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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चितराणं ( ३७८ ) चितराण - (न०) 'चित्तौड़ का महराना' चित्रकूट - ( न० ) का संक्षिप्त रूप | चित्तौड़ाधिपति । चितराम - ( न०) १. चित्र । छबि । चित्राम | २. आश्चर्य व घबराहट से चित्र जैसी निष्प्राण स्थिति । ३. भीति चित्र । चितवरण - ( ना० ) १. देखने का एक प्रकार । चितवन । २. दृष्टि । ३. याद । चितवन- दे० चितवरण । चिता - ( ना० ) श्मशान में शव को जलाने के लिये चुना जाने वाला लकड़ियों का ढेर | आरोगी | चेह । चह । चितानळ - ( ना० ) चिता की अग्नि । चितारणी - ( ना० ) १. विवाह, त्योहार आदि पर स्नेही संबंधियों के यहाँ भेजी जाने वाली पक्वान्नादि की भेंट | हाँथी । २. भेंट | उपहार । ३. याददास्त । चिताररणो - ( क्रि०) १. याद करना । २. चित्र बनाना । चितारो - ( न०) चित्रकार | चितेरो । चिताळ - ( ना० ) बड़ा और चिपटा पत्थर | चितेरो दे० चितारो । चित्त दे० चित | चित्तोड़ - ( न०) १. मेवाड़ का इतिहास प्रसिद्ध मगर और किला । २. मेवाड़ की प्राचीन राजधानी | चित्तौड़गढ़ | चित्तोड़गढ़ - ( न० ) चित्तौड़गढ़ । दे० चितोड़ | चित्तोड़ी - ( न० ) मेवाड़ राज्य का एक प्राचीन सिक्का | चित्तौड़ी रुपया । (वि०) चित्तौड़ संबंधी । 1 चित्र - ( न० ) १. छबि । तसबीर । चितराम । चित्राम । २. दृश्य । चित्रकला - ( ना० ) चित्र बनाने की कला या विद्या । चित्रकार - (०) चितारो | चित्र बनाने वाला । चित्रकारी - ( ना० ) चित्रकार का काम | चित्र-निर्माण | चित्रकला | चिपकरणो १. प्रसिद्ध चित्तौड़ नगर का साहित्यिक और संस्कृत नाम । २. प्रयाग के निकट का एक पर्वत जिस पर वनवास के समय राम, सीता और लक्ष्मण रहे थे । एक तीर्थ स्थान । चित्रकोट - दे० चित्रकूट । चित्रगुप्त - ( न०) १. प्राणियों के पाप-पुण्य का लेखा रखने वाले एक यम । २. कायस्थ जाति के प्रादि पुरुष । चित्रणो- दे० चितरणो । चित्राम - ( न० ) १. चित्र । चितराम । २. भीति-चित्र । चित्रामरणी - ( ना० ) १. चित्रकारी । २. नक्काशी । ३. नक्काशी करने का पारिश्रमिक | चित्रारो- ( न० ) चित्रकार । चितेरो । चितारो । चिदाकाश - ( न० ) आकाश के समान निर्लिप्त Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir और व्यापक परब्रह्म । चिदारणंद - (न०) चेतन और आनंद | चिदा नंद | परब्रह्म | चिदात्मा - ( न० ) चेतन्य स्वरूप परमात्मा । परब्रह्म । चिदानंद - दे० चिदारद । चिदाभास - ( न० ) १. जीवात्मा । २. चैतन्य स्वरूप परब्रह्म का प्रतिबिंब जो मनुष्य के अंतःकरण पर पड़ता है । ३. ज्ञान का प्रकाश । ४. ज्ञान | चिनगारी - ( ना० ) प्रग्निकरण । स्फुलिंग । चिनियो - (वि० ) थोड़ा । किंचित् । चिनेक - ( अव्य० ) १. क्षणभर । २. थोड़ी देर । ( वि०) १. थोड़ा । किंचित् । २. थोड़ा सा । चिन्मय - ( न० ) पूर्ण, विशुद्ध ज्ञानमय ईश्वर । चिन्ह - ( न० ) चिह्न | निशान । चिपकरणो - ( क्रि०) १. चिपकना | चिमटना । चिपटना । २. लिपटना । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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