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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चामचोर ( ३७२ ) चारभुज चामचोर-(वि०) व्यभिचारी। चारखाणी-(ना०) जरायुज, उद्भिज, अंडज चामचोरी-(ना०) व्यभिचार । पर स्त्री और स्वेदज प्राणियों के उत्पन्न होने के ___ गमन । ये चार प्रकार। चामजू-दे० चमजू। चारखूट-(ना०) १. चारों दिशाएँ। २. चामड़ियाळ-(न०) मुसलमान । चौखूट। चामडियो-(न0) चमड़े का काम करने चार चाँद लागणो-(मुहा०)प्रतिष्ठा, शोभा वाला । चमार । चर्मकार । खालड़ियो। इत्यादि में वृद्धि होना । चामड़ी-(ना०) चमड़ी। चार-छाँतो-(न०)घास, कड़बी आदि पशुओं ___ के चरने की सामग्री। चार-डोको । चामड़ो-(न०) १. चमड़ा। खाल । २.. चारो। त्वचा। चमड़ी। ३. मरे हुए पशु का चमड़ा । खालड़ो। चारजामो-(न०) घोड़े या ऊंट की पीठ पर चामण-(ना०) आँख । ___ कसा जाने वाला सवारी के लिए प्रासन । चारडोको-(न०) अन्न के अतिरिक्त कृषि चामणी-दे० चामण। चामर-दे० चवर। द्वारा प्राप्त होने वाला पशुओं के लिये घास चारा आदि। खेती से उत्पन्न होने चामरस-(न०) संभोग सुख । चामसुख-दे० चामरस । वाले नाज का अतिरिक्त भाग । कड़बी। कड़ब चार-छाँतो। चामरियाळ-(न०) १. मुर,लमान । २. चारण-(न०) १. क्षत्रियों का यशोगान घोड़ा। करने वाली एक जाति । २. इस जाति का चामरी-(न०) घोड़ा। मनुष्य । चामळ-(ना०) चम्बल नदी।। चारणिया वंट-(न०)जागीरी की वह प्रथा चामीकर-(न०) सोना । सुवर्ण । जिसमें (पाटवी और थाटवी)सभी भाइयों चामीर-दे० चामीकर । में जागीरी व भूमि का समान बंटवारा चामुडा-(ना०) चामुंडा देवी । दुर्गा का किया जाता है। सभी भाइयों में गांव एक स्वरूप । और जमीन के समान बँटवारे की प्रथा । चामोटो-दे० चमोटो। चारणी-(ना०) १. चारण की स्त्री। २. चाय-(ना०) १. एक पौधा तथा उसकी चालनी । (वि०) चारण संबंधी। पत्तियां । २. इस पौधे की सूखी पत्तियों चारणो-(क्रि०) चराना । घास खिलाना। को गरम पानी में डालकर बनाया जाने (न०) चालना । बड़ी चलनी । वाला गरम पेय । चार धाम-(न०) भारत की चार दिशामों चायना-(ना०) १. चाहना । इच्छा । २. में चार बड़े तीर्थ-पूर्व में जगन्नाथपुरी, मावश्यकता । दक्षिण में रामेश्वर, पश्चिम में द्वारका, चायलवाड़ो-(न०)बीकानेर जिले का चायल और उत्तर में बदरीनाथ । जाति के जाटों का प्रदेश । चारपाई-(ना०) खाट । माचो । चार-(वि०) तीन और एक । (न०) चार चारभुजा-(न०) राजस्थान का एक प्रसिद्ध की संख्या । '४' (ना०) घास । चारो। तीर्थ स्थान । वल्लभ संप्रदाय का एक तीर्थ स्थान ।२. चारभुजा भगवान । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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