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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पसको ( ३६६ ) पहुंचक चसकणो-(क्रि०) रह रह कर दर्द होना। चहन-(न०) १. रोने का ढोंग । ढपला । चबखरणो। २. शिशु के अपने आप हँसने, अव्यक्त चसको-(न०) १. चसका। लत । २. शब्द बोलने आदि के प्रति लक्षण । व्यसन । ३. झटका देकर उठने वाली ३. चिन्ह । पीड़ा । ४. रह रह कर उठने वाला दर्द। चहबचो-(न०) पानी का हौद । कुड । चह चबखो। बच्चा । चसणो-(क्रि०) १. दीपक जलना। दीपक चहर-(ना०)१. निंदा। बदनामी । २. खेल। का प्रकाशित होना । ३. दीपक का प्रकाश तमाशा । ३.बाजीगर । मदारी । ४.ठाटहोना। ३. प्रकाशित होना। ४. बंदूक बाट । पानंदोत्सव । चहल । ५. पक्षियों का छूटना। का कलरव । ६. भांति २ के पक्षियों का चसम-(ना०) अांख । चश्म । नेत्र । समूह । पक्षी समूह । ७. कलंक । ८. चसमारण-(ना०व०व०) आँखें। चक्षुद्वय । व्यंग्य । (वि०) श्रेष्ठ । चसमो-(न०) १. चश्मा । ऐनक । २. चहरो-(न०) १. चहरा। सूरत । शक्ल । झरना। स्रोत । मरणो। २. मुख । मुह। ३. मुह पर पहनने की चसळक-दे० चसळको। कोई मुखाकृति । मुखोटा । ४. निंदा । चसळको-(न०) १. बैलगाड़ी के चलने पर अपकीति ।। उसके पहिये में अथवा कुएं पर मोट चहल-(न०) १. प्रानंद । मौज । २. पक्षियों निकालते समय भमण में होने वाला का कलरव । ३. सीमा । (अव्य०) आनंद शब्द । २. मस्ती में आये हुए ऊंट के से। मौज में। (क्रि०वि०) इधर-उधर । दांत पीसने से होने वाला शब्द । चसळक। चहल-पहल-(ना०) १. पानंदोत्सव की ३. दर्द । पीड़ा । पीड़। सजीवता। २. उत्सवीय वातावरण । चसवारणो-दे० चसावणो। ३. रोनक । चमक-दमक । चसारणो-दे० चसावणो। चहळावरणो-(क्रि०) १. बिजली का चमचसावणो-(क्रि०) १. दीपक जलाना। कना । २. चमकना । दीपक से प्रकाश करना । २.बंदूक छोड़ना। चहळावळ-(ना०) चमक । प्रकाश । ३. प्राग जलाना। चहाव-(ना०) १. इच्छा। अभिलाषा । चह-(ना०)१. चिता। प्रारोगी। २ इच्छा। २. उत्साह । उमंग । चाह । (वि०) गुप्त। चहावरणो-(क्रि०) चाहना। इच्छा करना। चहक-(ना०)१. पक्षियों का शब्द । २.दर्द। चहीजणो-(क्रि०) १. आवश्यकता होना । पीड़ा। २. चाहिये। चहकणो-(क्रि०) १. उमंग में बोलना । २. चहीज-(अव्य०) १. चाहिये । २. उचित पक्षियों का कलरव करना । ३.दर्द होना। है । ३. अावश्यकता है। दर्द उठना। चहुँ-(वि०) १. चारों। चारोंही । २. चार । चहचंद-(न०) १. पानंद । २. उत्सव ।। उच्छव। चहुँगमाँ-(प्रव्य०) चारों ओर । चहटणो-(क्रि०) चिपटना । चिपकना। चहुँचक-(प्रव्य०) १. चारों दिशाएँ । २. चैटरणो। चारों दिशाओं में। ३. चारों ओर । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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