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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चणणावणो ( ३५६ ) . चत्रगढ चणणावणो-(क्रि०)१. भय, क्रोध, करुणा, चतुरानन-दे० चतुराणण। हर्ष, शीत, प्रावेश इत्यादि से शरीर की चतुराश्रम-(न०) चार आश्रम । (ब्रह्मचर्य, रोमावली का तन कर खड़ा होना । २. गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास)। आवेश में आना । तनतनाना। ३.'चणण' चतुर्थ-(वि०) चौथा । चौथो । शब्द करना । ४. जोश में आना। चतुर्थाश्रम-(न०) चौथा पाश्रम। संन्यस्ताचरणपण-(ना०) १. शारीरिक अशांति । श्रम । अस्वस्थता। २. वेदना । व्यथा । क्लेश । चतुर्थांश-(न०) चौथा भाग । ३. मानसिक अशांति । चतुर्थी-(ना०) १. चौथ तिथि । २. चौथी चणाई-दे० चिणाई। विभक्ति । चणायकाँ-दे० चिणायका । चतुर्दश-(वि०) चौदह । चवदे। चणारी-दे० चिणाई। चतुर्दशी-(ना०) पक्ष का चौदहवां दिन । चणीबोर-(न०) छोटा बेर । झड़बेरी का चौदश । चववस । बेर । चतुर्दिश-(अव्य०) चौतरफ । चारों ओर । चरणो-(न०) चना । चणक । चारूकानी । चण्णाटियो-(न0) नाश । चतुर्दिशा(ना०) चारों दिशाएँ । चारूकूट । चतड़ा-चौथ-(ना०) भादौं मास की गणेश चतुर्धाम-(न०) द्वारका, रामेश्वर. जगन्नाथचतुर्थी। पुरी और बदरिकाश्रम-ये मुख्य तीर्थ चतरबांह-दे० चत्रबाह । या धाम । चतराई-दे० चतुराई। चतुर्भुज-(वि०) १. चार हाथ वाला । चतुर-(वि०) १. होशियार । चतुर । २. २. चार कोण वाला। (न०) १. चार बुद्धिमान । ३. दक्ष । निपुण । ४. व्यव- कोण वाली आकृति । २. विष्णु भगवान । हार कुशल । ५. चालाक । ६. चार। चतुर्मास-(न०) आषाढ़ शुक्ला एकादशी से चतुर् । (समास में पूर्व पद) । कार्तिक शुक्ला एकादशी तक की अवधि । चतुरता-दे० चतुराई । चातुर्मास । चौमासो। चतुरपणो-दे० चतुराई।। चतुर्युग-(न०) सत्य, त्रेता, द्वापर और चतुरभुज-(वि०) चार भुजाओं वाला । कलि-ये चार युग । चत्रभुज । (न०) विष्णु भगवान। चतुर्वर्ण-(न०) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और चतुरंग-(ना०)१. शतरंज । २. चतुरंगिणी। शूद्र-ये चार वर्ण । चतुरंगणी सेना-(ना०) हाथी, घोड़े, रथ चतुर्वेद--(न०) ऋक्, यजुर, साम और और पैदल इन चार अंगों वाली सेना। अथर्व-ये चारों वेद।। चतुरंगिणी। चतुर्वेदी-(न०) ब्राह्मणों का एक गोत्र । चतुरंगिणी-दे० चतुरंगणी सेना। चतुस्तन-(न०) गाय, भैस आदि चार चतुराई-(ना०) १. पवित्रता। २. चतुर- स्तन वाला मादा पशु । पना। चतुरता। ३. चालाकी । ४. चत्र-(वि०) १. चार । २. चतुर । दक्ष । होशियारी । सावधानी। ३. धूर्त । छली । छळियो । चतुरागण-(न०) चतुरानन । ब्रह्मा । चत्रकोट-दे० चत्रगढ । (वि०) चार मुख वाला। चत्रगढ-(न०) चित्तौड़गढ़ । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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