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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घरमेढी ( ३४५) घसैड़-पसड़े परम्परा कायम रहने का साधन । पत्नी गरीब घर(सगाई करते समय विचारणीय) की प्राप्ति । विवाह । ५. पत्नी। २. घर की हानि । खुद की हानि ।। घरमेढी-(न०) १. गृहस्थ । गृहमेधी । घराऊ-(वि०) १. घर संबंधी। घर का। २. घर का मुखिया। २. निज का । अपना । ३. पापस का। घर-रो-घर-(न०) १. अपना घर । २. घर परस्पर का। के सभी लोग । ३. संपूर्ण घर । पूरा घराघरू-(वि०) निजी । अपना । अपना मकान । ही । घर रो धणी-(न०) १. पति । २. घर का घराणो-(न०) कुल । वंश । घराना । . मालिक । मकान-मालिक । घरियो-(न०) आभूषण का कोठा, जिसमें घरलोचू-(वि०) १. आमदनी की सीमा में नग जड़ा जाता है। रहकर विवेक से घर का खर्च चलाने धरू-(वि०) १. घर से संबंधित । घर का। वाला । २. घर की व्यवस्था को सुचारु २. निज का । अपना । निजी । खानगी। रूप से बनाये रखने वाली। घरूपणो-(न०) घर वालों के जैसा व्यवघरवट-(ना०) १. घर की व्यवस्था । २. गृहस्थ लक्षण। ३. घर की परंपरा। घरेचो-(न०)पुनर्विवाह । धारेचो । नातो । मर्यादा। घर की पारंपरिक मर्यादा। नातरो। ४. वंश का गुण । ५. वंश । घरोघर-(अव्य०) १.प्रतिघर । प्रत्येक घर । घरवाळी-(ना०) १. घर की मालकिन । २. घर प्रति घर । एक घर के बाद दूसरा धरिगवाणी। २. पत्नी। घर । ३. सभी घरों में । घर-घर । घरवाळो-(न०) १. घर का मालिक । घरोट-दे० घरवट । घरधरणी । २. पति । घरोपो-(न०) बहुत अच्छा सम्बन्ध । धर घरवास-(न०)१. अन्य पुरुष के घर में पत्नी का सा संबंध । अपरणात । रूप से किया जाने वाला निवास । २. घलावणो-(क्रि०)डलवाना । प्रवेश कराना। पर स्त्री का पत्नी रूप में ग्रहण । ३. पैसाड़णो। गृहस्थ । गृहस्थाश्रम । घसक-(ना०) १. डीग । गप्प । २. तौरघरवासो-(न०) १. पर पुरुष के साथ पत्नी तरीका । रंग-ढंग । ३. सूरत-शक्ल । ४. रूप का सम्बन्ध । पत्नी रूप में पर पुरुष बनावट । रचना । ५. ठसक । के घर में रहना। २. गृहस्थावस्था। घसकाळ-(वि०) घसक मारने वाला । ३. गृहस्थ-जीवन । __ गप्पी । २. ठसक वाला । ठसकाळ । घरविकरी-(ना०)घर का सामान । गृहस्थी घसको-दे० घसक । का सामान । घसड़को-(न०) १. खरोंच । रगड़ । २. घरविध-(वि०) १. निजी । आपसी । रेखा । चिन्ह । ३. खर्चा । ४. भारी । व्यक्तिगत । २. गुप्त । ३. घर संबंधी। खर्च का परिणाम । ५. बिना मन का ४. घर की तरह । (ना०) १. मित्रता। काम । इच्छा के विरुद्ध करने या करवाने प्रेम संबंध । २. प्रेम । स्नेह । (क्रि०वि०) का भाव । बेगार । वेठ । परस्पर । आपस में। घसड़णो-दे० ढसड़णो । घरहारण-(ना०) १. निर्बल स्थिति का धर। घसड़-पसड़-(ना०) अव्यवस्था । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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