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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कवल' ( २१४ ) कश्यपसुत कवल-(न०) १. कौल । वादा। २. कवा। करने का काम । कवि कर्म । ग्रास । कवो। कवि-प्रसिद्धि-दे० कवि-समय । कवळ-(न०) १. सूपर । २. जवान सूपर। कवियण-(न०ब०व०) कविजन । कविलोग। ३. कमल। कविराजा-(न०)१. श्रेष्ठ कवि । २. कवि। कवलपंजो-(न०) कौलनामा । इकरार- कविलास-(न०) कैलाश । नामा। कवि-समय-(न०) प्रकृति, शास्त्र और लोक कवळी-(ना०) १. हस्तलिखित पुस्तक को विरोधी वे बातें जिनका कवि लोग सुरक्षित रखने के लिये उसके आकार का परम्परा से वर्णन करते आ रहे हैं । उनके हाथ से बनाया हुअा गत्ते, कूटे आदि का संबंध में यह नहीं विचारा जाता कि बना एक प्रकार का वेष्टन या डिब्बा। वस्तुत: वे उस प्रकार होती हैं या नहीं। २. एक विशेष रंग की गाय । ३. गाय । यथा-हंस का मोती चुगना । स्वाति बूंद ४. द्वार के आजू बानू लगाई जाने वाली से केले में कपूर उत्पन्न होना इत्यादि । खड़े पत्थर की पट्टी। (वि०) कोमल । कवि प्रसिद्धि । मुलायम । कवीश्वर-(न०) १. वाल्मीकि ऋषि । २. कवळो-(न०) १. सूअर । २. द्वार का बड़ा कवि । । कवीसर । पार्श्वभाग। ३. द्वार । (वि०) १. नर्म। कवीसर-(न०) कवीश्वर । कोमल । २. केवल । मात्र । ३. बिना कवेयीमौत-दे० काची मौत । मात्रा का वर्ण । कवेयो-(वि०) १. कुवयस । अल्पवयस्क । कववाहण-(ना०) अग्नि । कव्य-वाहन । २.युवा । (केवल मौत का एक विशेषण।) कवा-(ना०) १. ऋतु विरुद्ध हवा । २. कवेळा-(ना०) १. कुसमय । २. संध्यासमय । ऋतु विरुद्ध हवा के चलने से फल या साँझ । ३. अमंगल बेला । फसल आदि में उत्पन्न होने वाला रोग कवेसर-दे० कबीरार । या जीव-जन्तु । कर्वत-दे० कुवैत । कवाज-(ना०) १. कुचाल । बुरा आचरण। कवो-(न०) ग्रास । कौर । कुचमाद । २. दुष्टता। कव्य-(न०) पितरों को आहुति रूप में दी कवारपाठो-(न०) क्वार पाठा । घीक्वार। जाने वाली भोजन सामग्री । कव। कवाली-(ना०) १. कव्वाली । २. गजल । कव्यंद-(न०) कवीन्द्र । श्रेष्ठकवि । कवि-(न०) १. कविता रचने वाला। २. कव्वाल-(न०) कव्वालियों का गाने वाला। ब्रह्मा । ३. वाल्मीकि । ४. वेदव्यास । कव्वाली-गायक । ५. भाट । ६. चारण। कश्मीर-(न०) भारत का ठेठ उत्तर में कविइलोळ-(न0) डिंगल का एक गीत- आया हुआ प्राकृतिक सौंदर्य का एक छंद । प्रसिद्ध प्रदेश या राज्य । काश्मीर । कवित-(न०) एक छंद । एक वर्णवृत। कश्मीरी-(वि०) १. काश्मीर-संबंधी । (न०) छप्पय । घनाक्षरी छंद । १. काश्मीर की भाषा। २. काश्मीर का कविता-(ना०) छंदोबद्ध रसमय रचना। निवासी। पद्य। कश्यप-(न०) एक प्रसिद्ध ऋषि । कविताई-(ना.) १. कविता। २. कविता कश्यपसुत-(न०) सूर्य । सा For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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