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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोठारू (१८०) प्रोढावणी अोठारू-(न०) ऊंट, ऊंटनी और उसके प्रोडव-(ना.) ढाल । फलक । बच्चे । ऊंट धन । ऊंट समूह । २. ऊंट प्रोडवरणो-(क्रि०) ढक देना। ढकना । या ऊंटनी । ३. साँड़नी। ऊंटनी । (वि०) २. ढाल से रक्षा करना। ऊंट संबंधी। प्रोडंडी- (ना.) १. मुक्की। मुठ्ठी । दे० अोठी-(क्रि०वि०) उधर । (न०) १. ऊंट- प्रोडंडीस । सवार । शुतुर सवार । २. उष्ट्रारोही- अोडंडीस-(वि०) १. उद्दण्ड । २. जबर दूत । (वि०) ऊंट संबंधी । ऊंट का। दस्त । अोठीजट-(ना०) ऊंट के काटे हये बाल। पोडी-(ना०) १. टोकरी । डलिया। ऊंट के बाल । २. (प्रोडा से छोटा) घास का नाप । अोठीपो--(न०) १. आजीविका के लिये प्रोडो--(न०) १. बड़ा टोकरा । २. कुतर ऊंट के द्वारा सवारी ले जाने, माल लादने किये हुए घास-चारे का एक नाप । प्रादि का किया जाने वाला धंधा। प्रोड़ो-दे० ग्रोहड़ो। (वि०) उस तरह का २. ऊंटों के क्रय-विक्रय का काम । ऊंटों वैसा । ऊड़ो। के व्यापार का काम । ३. राज्य की अोढ-(ना०) सिंचाई के लिये कुएं पर शुतुरसवारी की नौकरी का काम। रहने वाले बैलों और मनुष्यों के लिये बने ४. ऊंटों का प्रदेश (जैसलमेर)। घास के छाजन । हाळी, बैल आदि के अोठे-(क्रि०वि०) १. वहाँ । २. उधर । रहने के लिये कुएँ पर बने हुये अस्थाई अोठो-(न०) १. उदाहरण । मिसाल । निवास के पड़वे-झोंपड़े। दृष्टान्त । २. परदा। ३. उपालंभ। अोटरग-(न०) १. अोढ़ने का वस्त्र । ताना । ४. एकान्त । ५. सहारा । मदद । २. ढाल । ३. युद्ध में रक्षा का साधन । (वि०) ऊँट संबंधी। ऊंट का। (वि०) प्रोढरिणयो-(न0) ओढ़नी या ओढ़ना के १. खराब । बुरा । २. ऊंट से संबंधित । लिये ऊनता सूचक शब्द । ओढ़ना । पोठो दूध-(न0) ऊंटनी का दूध । प्रोढणो। प्रोड-(न०) १. मिट्टी खोदने का काम प्रोढणी-(ना०) १. स्त्री के प्रोढ़ने का एक करने वाला व्यक्ति । २. एक जाति । वस्त्र । प्रोढ़नी । २. चुनरी । बेलदार । ३. किनारा । (वि०) समान । अोढणो--(न०) १. स्त्री के प्रोढ़ने का एक बराबर । (ना०) ओर । तरफ । वस्त्र । अोढ़ना। (क्रि०) १. वस्त्र से अोड़-(ना०) १. समानता। बराबरी। शरीर को ढाँकना । २. जिम्मेवारी लेना। २. समुद्र का किनारा। ३. गांव का ३. धारण करना। किनारा । (ना०) ओर । तरफ। (वि०) प्रोढाडणो-(क्रि०) उढ़ाना । समान । बराबर । प्रोढामणी-दे० प्रोढावणी । प्रोडण-(ना.) १. प्रोड की स्त्री । ओढाळगो-(क्रि०) दरवाजा बंद करना । २. प्रोड जाति की स्त्री। ३. ढाल ।। किंवाड़ ढकना। फलक । ओढावणी-(ना०) १. विवाह में कन्या के प्रोडणो- (क्रि०) १. प्रहार करना । पिता की ओर से वर के माता-पिता २. प्रहार हेतु हाथ या शस्त्र उठाना । ३. तैयार करना। ४. भेलना । थामना। अादि कुटुम्बीजनों को पघड़ी, दुपट्टा, ५. सहन करना। ६. ढकना । प्रौढ़ना, रुपये आदि मेंट देकर किया जाने For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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