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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोछ ( १७८ ) प्रोझड़ ओछ-(ना.) १. नीचता। प्रोछापन। प्रोछो-(वि०) १. कम । थोड़ा। २. नीच क्षुद्रता । २. कमी । न्यूनता । प्रकृति वाला। ३. अपशब्द बोलने वाला। अोछटणो-(क्रि०) १. कूदना। २ भागना। अशिष्ट भाषी । ४. निंदा करने वाला। ओछरणो-(क्रि०) १. अोछापन करना। ५. ठिगना । बौना। ६. क्षुद । तुच्छ । क्षुद्रता दिखाना। २. अोछा होना । कम हीन ७. छोटा। होना : घट जाना। प्रोज-(न०) १. बल । शक्ति । प्रताप । प्रोछब-(न०) उत्सव । उच्छब । २. तेज । प्रकाश । ३. कान्ति । ४. शूरअोछाई—(ना०) १. क्षुद्रता । अोछापन । वीरता जगाने वाला काव्य । २. कमी । न्यूनता। प्रोजगी-(वि०) १. किसी की स्मृति में अोछाड़-(न०) १. थाली आदि में रखी रात भर नींद नहीं लेने वाला । २. रात हुई वस्तु को ढकने का वस्त्र । आच्छादन। में जगता रहने वाला। २. भोजनाच्छादन। ३. कपड़े का ढक्कन। अोजगो-(न०) १. रात को नींद नहीं लेने ४. ढकने का कपड़ा । ५. खोल । या नहीं पाने के कारण उत्पन्न आलस्य । गिलाफ । ६. रक्षक। नींद की खुमारी। उनींदापन । २. नींद प्रोछाड़णो-(क्रि०)१. ढकना । आच्छादित का अभाव । करना। २. पूर्ति करना। ३. रक्षा प्रोजतो-(वि०) १. उपयोग में लिया जा करना। ___ सकने योग्य । खपता । २. जिसके उपयोग पोछारणो-(क्रि०) १. कम हो जाना। करने में बहिन-बेटी के भाग की आपत्ति घट जाना। २. कग कर देना। घटान हो । ३. अनुकूल । देना। (त्रिभू०) कम होगया। घट गया। योजळा--(न०) (विना सिंचाई के ) केवल अोछापणो-(न०) १. अोछापन। हलका- जमीन की तरी से होने वाले गेहूं। पन । अोछाई। २. नीचता। क्षुद्रता। प्रोजस-दे० पोज । ३. कमी। प्रोजस्वी--(वि०) प्रोजसवाला । अोछा बोलो-(वि०) १. पोछा बोलने प्रोजार--- (न0) अौजार । उपकरण । वाला । २. अशिष्ट भाषी। प्रोज-(क्रि०वि०) १. अभी। अब ही। अोछी-(वि०)१. कम । थोड़ी। २. छोटी। २. अब भी। ३. अभी तक । ४. पुनः । ३. अशिष्ट बोलने वाली । ४. ठिगनी।। और । फिर। बौनी । ५. हीन । तुच्छ । प्रोजो-(न०) खर्च में कमी तथा बचत अोछी कापरणी-दे० प्रोछी वाढणी। करने की भावना। खर्च नहीं करना । पोछीजणो--(क्रि०) कम होना । घट बचत करने की मनोवृत्ति । जाना। अोझकणो-(क्रि०) १. डरना । भय ओछी ढाण-(ना०) ऊंट की एक चाल । मानना। २. डर के मारे उछलना । धीमी दौड़। ३. अचानक जाग उठना। चौंक कर ओछी वाढणी-(मुहा०) १. बात या काम जाग उठना । ४. चौंकना । ५. काँपना। के फैलाव को अधिक लंबाने से रुकना अोझड़-(त्रि०वि०) लगातार । (वि०) या रोकना । २. झंझट को फैलाने से रोकना। ३. हानिकारक बात का विस्तार का विस्तार १.असंख्य । अपार । २. भयंकर । (ना०) नहीं करना। १. झटका। २. चोट । प्रहार । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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