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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि-(न०) १. मंत्र दृष्टा। २. नया दर्शन प्राप्त करने या कराने वाला महात्मा । ३. मुनि । तपस्वी। ऋषि-ऋण-(न०) ऋषियों का ऋण जो प्रेकतान वेदों के पठन-पाठन और उनके अनुसार प्राचरण करने से पूरा होता है। ऋषिकल्प-(न०) ऋषियों के समान पूज्य व बड़ा । रे प्रे-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा प्रेकज-(वि०) एक ही । का पाठवां स्वर वर्ण । कजीव-(वि०) १. अभिन्न । २. मिला श्रे-(सर्व०) १. यह । २. इस । (ब०व०) हुआ । मिश्रित । ३. सुघटित । ३. ये। (प्रव्य०) संबोधन के रूप में अकटंगियो-(वि०) एक टाँग वाला । प्रयुक्त । एक शब्द । लंगड़ा। प्रेक-(वि०) १. संख्या में पहला । दो का अकटाणो-(न०) १. दे० अकासणो । प्राधा । २. बेजोड़ । ३. प्रधान । ४. अमुक एक बार। (उदा, एक हतो राजा) । (न०) १. पहिला अंकठाँ–(ना०) एक जगह । अंक या इकाई। २. एक की संख्या। अंकठा-(वि०)१. एकत्रित । २. एक साथ । ३. विष्णु । ४. परमात्मा। ५. संख्या- अंकठो--(वि०) इकट्ठा । एकत्रित । वाचक शब्द के अंत में 'लगभग', 'करीब' अकड़-(न०) १. ४८४० वर्ग गज जमीन । अर्थ में-उदा. पाँचेक, हजारेक । २. इतनी भूमि का नाप । (प्रव्य०) मात्र । सिर्फ। उदा. एक रामरो अकडकी-दे० इकडंकी। भरोसो राखो। प्रेकडसण-(न०) गणेश । गजानन । एक दशम । ग्रेक अंगो-(वि०) १. एक तरफी प्रकृति वाला । अपनी इच्छानुसार करने वाला। कढाळ-(वि०) एक समान । एक तरह २. हठी । जिद्दी। ___ का। प्रेक-अंक-(वि०) १. एक के बाद प्रेक। अकढाळियो-(न०) एक पलिया प्रोसारा। एक भार ढालू छाजन वाली कोठरी। २. एक के बाद दूसरा । क्रमिक । प्रगढाळा प्रगढाळियो। प्रेकक्खरी-दे० अंकाक्षरी।। प्रेकरण-(वि०) एक ही। प्रेकचक्र-(वि०) चक्रवर्ती । (न०) सूर्य । कत-(न०) दे० अकासणो। (क्रि०वि०) प्रेक चख-(वि०) एक चक्षु । एक अाँख एकत्र । इकट्ठा । वाला । काना । कारणो। प्रेकतरफी-(वि०) १. एक पक्ष का । प्रेकच्छरी-दे० प्रेकाक्षरी। २. जिसमें पक्षपात किया गया हो। प्रेकछत्र-(न0)१. एक तंत्र शासन प्रणाली । अंकता-(ना०) १. मेल । एक्य । २. बरा वह शासन प्रणाली जिसमें एक ही का बरी। पूर्ण प्रभुत्व हो। २. एक हत्थी हुकूमत । अकताई-दे० एकता। ३. पूर्ण प्रभुत्व । (वि०) १. एक राजा अकतान- (ना०) सभी का एक साथ स्वर वाला। २. पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न । (संगीत) । २. एकाग्रचित्त । (वि०) लीन For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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