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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपार पड़णो ( १३७ ) उघाड़ पड़णो-(मुहा०) १. समझ में ५. चित्त फट जाना। माना । २. रहस्य खुलना। उचरणो-(क्रि०) उच्चार करना। कहना। उघाड़ बार-दे० उघाड़ो बारो। उचंगो-(वि०) १. उचक्का । उठाईगीर । उघाड़ बारो-(न०) १. खुला प्रवेश । २. चाँई। ठग। धूतं । ३. बदमाश । २. वह स्थान जिसमें चाहे जिधर से प्रवेश उचंडणो-(क्रि०) १. उठाना । उचकना । हो सके। ३. मुख्य द्वार के अतिरिक्त २. उछालना। बिना अवरोध के आने जाने का मार्ग। उचंत-दे० उधार । ४. चोर के आने जाने के लिए सरल उचंत खातो- दे० उधार खातो । मार्ग । ५. चोरी करके भाग जाने का उचाट-(ना०) १. व्यथा । पीड़ा। सरल मार्ग। २. चिंता । ३. मन की अस्थिरता। उघाड़ीछाती-(ना०) हिम्मत । साहस । उचारणो-(क्रि०) १. उच्चारण करना । (वि०) साहसी वीर । (क्रि०वि०) अत्यन्त २. बोलना । कहना। वीरता पूर्वक । उचाळो-(नि०) १. दुष्काल या युद्ध आदि उघाड़ो-(वि०) १. नंगा । नग्न । उघारा। संकट के कारण सामूहिक रूप से निवास २. खुला हुआ। बिना ढका हुआ ।। स्थान को छोड़ कर दूसरे किसी स्थान में ३. स्पष्ट । साफ । ४. प्रगट । ५. जो निवास हेतु किया जाने वाला प्रजा का बंद न हो। ६. नहीं प्रोढ़ा हुआ। प्रस्थान । २. संकट काल में देशान्तर उघाड़ो होणो-(क्रि०) १. नंगा होना।। निवास के लिये किया जाने वाला प्रजा २. बदनाम होना। ३. खुल जाना। का एक साथ प्रस्थान । उच्चलन । ४. खुला होना। उचावणो-(क्रि०)१. बोझा आदि उठाना । उघामणो-दे० उगामणो । उगरामणो। २. उठवाना। उचकरिणयो-(न०) किसी वस्तु को ऊंचा उचासरो-(न०) १. श्रेष्ठ जाति का श्वेत उठाने के लिये उसके नीचे रखा जाने घोड़ा। २. इन्द्र के घोड़े का नाम । वाला ईंट, पत्थर आदि का टुकड़ा। उच- उच्चैःश्रवा। कन । टग। (वि०) १. उठाने वाला। उचाँचळो-(वि०)१. अविचारी। २. उद्धत । २. बोझा ढोनेवाला । ३. आँखों के ३. चंचल । ४. उतावला। सामने चोरी करने वाला। उचकाने उचित-(वि०) योग्य । मुनासिब । ठीक । वाला । उचीश्रव-दे० उचासरो। उचकणो-(क्रि०) १. उचकना । ऊपर उचैश्रव-दे० उचासरो। उठना । २. भागना । उचैस्रवो-दे० उचासरो। उचकावणो-(क्रि०) १. उचकाना। ऊपर उच्च-दे० ऊंचो । श्रेष्ठ । उठाना । २. आँखों के सामने किसी वस्तु उच्चळचित्तो-(वि०) १. उच्च हृदय । को चुरा लेना । उचकाना। उदार । २. अस्थिर चित्त वाला। उचक्को -दे० उचंगो। उच्चाटन-(न०) १. जुड़ी हुई वस्तु को उचटणो-(क्रि०) १. चौंकना । भड़कना। अलग करना । उखाड़ । २. एक बिचकना । १. नींद में चौंकना। ३. नींद अभिचार । उड़ जाना । ४. मन नहीं लगना। उच्चार-(न०) क्थन । बोल । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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