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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंछना इंछना-(ना०) इच्छा। इंद्रजव-(न०) कुड़ा बीज । इंछा-(ना०) इच्छा। इंद्रजाळ-(न०) १. मंत्र तंत्र तथा हाथ की इंछा-भोजन-दे० इच्छा-भोजन । सफाई द्वारा अचंभे की बातें दिखाने की इंजन-(न०) भाप की शक्ति से चलने विद्या या कला । फरफंद । जादूगरी। __ वाला यंत्र । एंजिन। २. मायाकम । ३. नट विद्या । ४. धोखा। इंजीनियर-(न०) यंत्र शास्त्र का विशारद। छल । ५. मंत्र-तंत्र द्वारा आश्चर्योत्पादक इंजैकशन-(न०) पिचकारी द्वारा । कला का ग्रन्थ । __ शरीर में दवा प्रवेश करना। इंद्रजीत-(न0) मेघनाद । इं?-(क्रि०वि०) यहाँ । इस जगह । अठ। इंद्रधजा-(ना०) रंग-बिरंगी अनेक छोटी __ धजाओं वाला एक बड़ा ध्वज। इन्द्रध्वज । इंडज-(न०) अंडे से उत्पन्न होने वाले इंद्र धनुष-दे० इंद्रधनुस । प्राणी । अंडज । इंद्र धनुस-(न०) सूर्य के सामने की दिशा इंडिया-(न०) भारत देश । में वर्षा होने के कारण सूर्य के प्रकाश से इंडै-दे० इंठे। क्षितिज को छता हुआ दिखाई देने वाला इंतकाळ-(न०) मृत्यु । मौत । सात रंगों का अर्धवृत्त । इंतजाम-(न०) प्रबन्ध । इंतजाम। इंद्रपुरी-(ना०) १. इंद्र की नगरी । इंतजार-(न०) १. प्रतीक्षा । २. आतुरता। २. देवताओं की नगरी । इंतजारी-दे० इंतजार ।। इंद्रप्रस्थ-(न०) पांडवों की राजधानी । इंद-(न०) १. इंद्र । २. इन्दु । चन्द्रमा । प्राचीन दिल्ली। इंदगोप-दे० इंद्रगोप। इंद्रलोक-(न०) स्वर्ग। इंदर-(न०) १. इन्द्र । २. मेघ-घटा। इंद्रवधू-दे० इंद्रगोप । ३. स्वामी । ४. वृक्ष । इंद्राण-(न०) १. तसतूबा । इन्द्रायण का इंदर धनख-दे० इंद्र धनुष । फल । २. इंद्रायण की लता । इंदराज-(वि०) १. ऊँचा । १. श्रेष्ठ। इंद्राणी-(ना०) इन्द्र की पत्नी। ३. बड़ा। (न०) १. लिखा जाना। इंद्रापुरी --(ना.) १. इन्द्र की राजधानी । लिखावट । २. नोंध । नुंध । अमरापुरी २. इन्द्रापुरी के समान वैभव इंदरियो-(न०) १. मेघ-चटा । २ इंद्र। या सुख । इंदिरा-(ना०) लक्ष्मी। इंद्रायण-(ना०) १. तसतूबे की लता। इंदीवर-(न०) नील कमल । २. इन्द्रायण का फल । तसतूंबो।। इंदु-(न०) चंद्रमा। इंद्रासण-(न०) इन्द्र का सिंहासन । इंद्र-(न०) देवताओं का राजा । इन्द्र । इन्द्रासन । इंद्र कूण-(ना०) खगोल और शकुन शास्त्र इंद्रासन-दे० इंद्रासण । की सोलह दिशाओं में से एक दिशा। इंद्रिय--दे० इंद्री । इन्द्रकोण । इंद्री--(ना०) १. शिश्न । लिंगेद्रिय । इंद्र कूट-दे० इंद्र कूण। २. वह शक्ति जिसके द्वारा बाहरी पदार्थों इंद्रगोप-(ना०) बीरबहूटी । ममोलो। के भिन्न भिन्न गुणों का भिन्न भिन्न रूपों ममोलियो। ___ में अनुभव होता है (ज्ञानेन्द्रिय)। ३. शरीर For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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