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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रानक आपजी पानक-(न०) १. बड़ा ढोल । २. बड़ा आनी-(ना०) रुपये (६४ पैसों) के सोलहवें नगाड़ा । ३. गरजता हुआ बादल । भाग का सिक्का । चार पैसों की कीमत मानध-दे० प्रानक । का सिक्का। आनन-(न०) मुख । वदन । मूढो। आन-(सर्व०) इनको । अानन-पंच-(न०) पंचानन । सिंह। आनो-(न०) १. एक रुपये का सोलहवाँ आन-बान-(ना०) ठाट-बाट । सजधज। भाग । चार पैसे । २. किसी वस्तु का आनंद-(न०) हर्ष । प्रसन्नता । मोद। सोलहवाँ भाग। मारणंव । प्राप-(सर्व०) १. 'तुम' और 'वे' के लिये प्रानंदकंद-(न०) श्रीकृष्ण । २. परमात्मा। आदरार्थक शब्द । २. स्वयं । खुद । थे। प्रानंदकारी-(वि०) आनंद देने वाला। आप-अंगो-(वि०) १. मस्त । मौजी । आनंदघन-(न०) १. श्रीकृष्ण २. पर- २. घमंडी । मिजाजी । ३. अक्कड़ । मात्मा। आप-आपरै-(सन०) अपने-अपने । प्रानंदणो-दे० पाणंदणो। पाप-पापरो-(सर्व०) अपना-अपना । आनंद बधाई-(ना०) १. मंगल उत्सव । पाप करमी-(वि०) १. स्वभाग्य पर २. मंगल अवसर । प्राणंद बधाई । भरोसा करने वाली या करने वाला। आनंद-मंगल-दे० प्राणंद मंगळ । २. कर्म करके भाग्य बनाने वाली या आनंदी-(वि०) आनंद में रहने वाला। बनाने वाला । स्वावलंबी। - प्रसन्न रहने वाला। आप करमो-(वि०) १. स्वभाग्य पर पानाकानी-(ना०) टालमटूल । प्रागा- भरोसा रखने वाला। २. कर्म करके पीछा । हाँ-ना। भाग्य बनाने वाला । स्वावलंबी। पानापाई-दे० पानापाण । प्रापगा-(ना०) नदी । मानापारण--(न०) १. दशांश पद्धति के प्रापघात-(ना०) प्रापघात । प्रात्महत्या। पूर्व रुपये के ६४ पैसों के हिसाब से रुपये प्रापघाती-(वि०) अात्मघाती। आत्म हत्यारा। की रेजगारी को पाने और पाइयों में लिखकर दर्शाने की एक पद्धति, जैसे - आपच-(ना०) १. मनोव्यथा । २. आत्म हत्या। j' एक पाना (चार पैसे), 'ej' दो आपच-कूटो-(न०) १. कलह । २. मनपाने (८ पैसे), ' तीन पाने (१२पैसे)। स्ताप । ३. व्यर्थ का परिश्रम । बिना 1) चार आने (१६ पैसे) चवन्नी, '1)' लाभ का और पच-मरने का काम । अठन्नी (३२ पैसे), '1)' बारह पाने आप-चीतो--(वि०) अपनी इच्छा से और (४८ पैसे) पोन रुपया। 1) पाँच पाने इच्छानुसार काम करने वाला । २. अपने (२० पैसे), ' सवा पाँच आने प्राप। (२१ पैसे), ij॥' साढ़े पाँच पाने प्रापज-(सर्व०) स्वयौं । आप ही। (२२ पैसे)। ' ' पौने छः आने प्रापजादो-(वि०) १. स्वावलंबी । (२३ पैसे), '1' छः प्राने (२४ पैसे:, २. कर्मठ । ३. अभिमानी ४. हठी। 12) सात पाने (२८ पैसे) । इसी प्रकार आपजी-(न०) १. दादा पिता आदि रेजगारी के सभी हिस्सों को पाना पाइयों में लिखा जाता है। २. पाने और पाणों गुरुजनों के लिए सम्मान सूचक संबोधन । के पहाड़े। २. दादा-पिता आदि गुरुजन । ३. पिता। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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