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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आखाबीज (१०) प्रोगमच आखाबीज-(ना०) अक्षय तृतीया का रगड़ से होने वाला निशान । ४. चिन्ह । पहला दिन । अक्षय द्वितीया। प्रखंबीज। निशान । ५. अनुमान । आखारी-(ना०) १. कुएँ से सिंचाई करते पागण-(न०) अगहन । मार्गशीर्ष मास । समय बैलों की अमुक समय के बाद की आगत-(वि०) १. प्राया हुआ। २. उपजाने वाली बदली। २. बारी। पारी। स्थित । (वि०) १. विकट । कठिन । २. दुर्गम । आगतरी-(ना०) १. वह बोआई जो ठीक ३. भीषण । भयंकर। समय पर या कुछ पहले की गई हो । आखिर-(क्रि०वि०) अंत में । अंततोगत्वा। २. पहली वर्षा में की गई बुवाई । ३. वह (वि०) अंतिम । (न०) अंत । खेती जो पहली वर्षा से तैयार हो रही आखिरकार-(क्रि०वि०) अंत में। हो। पाखी-(वि०ना०) १. अखंड । २. पूर्ण । प्रागतरो-(न०) उचित समय पर या पूरी । ३. समस्त । सब । पहली वर्षा के होते ही हाथ में लिया आखीर-दे० आखिर। हुया खेती का काम। आखू-(न०) चूहा । ऊंदरो। २. कंजूस। प्रागत-स्वागत---दे० प्रागता-स्वागता । ___३. चोर । ४. सूअर । अागता-स्वागता-(ना०) १. अागत-स्वाआखेट-(ना०) मृगया। शिकार । गत । आवभगत । खातिरी। २. अतिथि आखेटक-(न०) शिकारी । का आदर-सत्कार । आखेटी-(न०) शिकारी । आगती-पागती-(क्रि०वि०) १. आस-पास । आखेप-दे० आक्षेप। २. इधर-उधर । पड़ेगड़े। आखो-(वि०) १. अखंड। २. पूरा । पूर्ण। अागतो-- (वि०) १. क्रोधित । २. उतावला । ३. समस्त । ४. कसी नहीं किया हुआ। ३. नाराज । ४. दुखी । बेचैन । बधिया नहीं किया हुआ (बैल, घोड़ा, प्रागना ---दे० प्राग्ना । पादि)। आगबंध-(न०) घोड़े की जीन का प्रागे पाख्यात-(वि०) १. विख्यात । प्रसिद्ध । का बंधन । २. आश्चर्यजनक । अखियात । आगबोट-(न०) आग की शक्ति से चलने आख्यान-(न०) १. वर्णन । २. कथा । वाला जहाज । कहानी। आगम -(न०) १. भविष्यकाल । २. भविष्य आग-(ना०) अग्नि । वासदे । २. ताप । की जानकारी । ३. होने वाली घटनाओं जलन । ३. क्रोध । ४. कामाग्नि । की जानकारी । ४. भवितव्यता । होन५. डाह । ईर्षा । हार । ५. आगम । परब्रह्म । ६. प्राय । प्रागड़-(ना०) चूल्हे के आगे का पाली आमदनी । ७. आगमन । ८. प्रारंभ । बनाकर घेरा हुमा भाग जिसमें चूल्हे की शुरू। ६. आदि । १०. प्रथम । राख इकट्ठी होती है । वेऊरणी । वेउंडी। ११. उत्पत्ति । १२. शब्द साधन में वह प्रागड़दी-(क्रि०वि०) आगे। वर्ण जो बाहर से लाया जाय (व्या०) प्रागड़ो-(न०) १. किसी वस्तु की गाँठ १३. वेद । १४. जैन शास्त्र । या पर्व वाला भाग। २. माप का आगमच-(वि०) पहले । (प्रव्य०) पहले निशान । ३. किसी वस्तु की बारबार से। मागूच । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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