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निधट्टरणौ
निजरि
निघट्टरपो (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न होना, लगना। २ देखो निचोपो (बौ), निचोवरणो (बौ)-क्रि० [सं० नि-च्यवनम् निघटणी' (बौ)।
१ रसदार वस्तु का रस निकालना, रस निकालने के लिए निघनक-वि० [सं० निधनक] पराधोन, अधीन ।
दबाना । २ गीले कपड़े का पानी निकालने के लिए ऐंठन निघस-पु० [सं० निघस] १ भोजन, खाना। २ खाने की क्रिया | देना। ३ कस व सार निकालना। ४ शोषण करना । या भाव।
५ शक्तिहीन करना, तेज विहीन करना । निघात-पु० [सं०] १ प्रहार, चोट, प्राघात । २ घात । निच्च-१ देखो 'नित' । २ देखो 'नीच' ।
३ उच्चारण के लहजे का अभाव । ४ मर्म, भेद, रहस्य । निच्चय-देखो 'निस्चय'। ५ भेद की बात । -वि०१ विशेष, खास । २ अधिक । निच्चळ-देखो 'निस्चळ' । ३ भयंकर । ४ जबरदस्त । -क्रि०वि०१ विशेषतया, निच्चु-१ देखो 'नित' । २ देखो 'नीच' । विशेषत: । २ बहुत तेजी से ।
निछंटणौ (बौ)-देखो 'नीछटगो' (बी)। निघास-देखो 'निघस'।
निछटणी (बो), निछट्टणौ (बौ)-देखो 'नीछटणी' (बौ)। निघिणु-वि० [सं० निर्घ गण] निर्दयी, कठोर ।
निछत्र, निछत्री-वि० [सं० नि: छत्र] १ छत्रहीन, राज चिह्न निघुट-वि० दृढ़, अटल ।
से रहित । २ देखो निक्षत्री' । निघ-देखो 'निगाह'।
निछमाळी-वि० [सं० निमिष + रा० पाळी] हिलती हुई निघोट-वि० [देश॰] १ खाली पेट, निराहार । २ पूर्ण, पूरा।। पलकों वाली। ३दृढ़, मजबूत।
निछरावळ (ळि, ळी)-स्त्री० [सं० न्यास-पावर्तः] १ न्यौछावर निघोस-स्त्री० [सं० निघोष आवाज, ध्वनि ।
करने की क्रिया या भाव । २ न्यौछावर किया हुअा द्रव्य, निचंत (तौ), निचत (तो)-देखो 'निम्चित' ।
वस्तु प्रादि । -खांनौ-पु० न्यौछावर करने का स्थान । निचलौ-वि० सं० नीच] (स्त्री० निचली) १ नीचे वाला, | न्यौछावर करने की प्रथा । ___ नीचे का, निम्न । २ देखो 'निस्चल'।
निछळ-वि० [सं० निश्छल] १ कपट व छल रहित । २ देखो निचाई-स्त्री० १ नीचापन, ढाल । २ नीचे की ओर विस्तार निस्चळ'।
या दूरी। ३ अोछापन, कमीनापन, नीच भावना । निछावर, निछावळ-देखो 'निछरावळ' । निचारौ-पु० [देश॰] भोजन आदि के बर्तन साफ करने, मांजने निछोह-वि० [सं० निः क्षोभ] १ जिसे प्रीति या प्रेम न हो। का स्थान ।
२ प्रिय भाव से रहित । ३ निर्दयी, कठोर, निष्ठुर । निचित-देखो 'निरिचत' ।
निजंत्रणौ (बी)-पु० [सं० नियंत्रणम्] नियंत्रण करना, काबू
___में करना । निचिता, निचिताई, निचिती-देखो 'निस्चितता'।
निज-सर्व० [सं०] स्वयं, खुद। -वि० १ स्वकीय, अपना । निचितो-देखो 'निस्चित' । (स्त्री० निचिती)
२ प्राकृतिक, स्वाभाविक । ३ विलक्षण । ४ सदैव बना निचिताई-देखो 'निस्चितता' ।
रहने वाला, स्थाई । ५ खास, मूल । -मंदिर-पु० देवालय निचीत-देखो 'निस्चित' ।
का खास भाग जहां देवमूर्ति स्थापित हो । निचीताई-देखो 'निस्चितता' ।
निजघास-पु० [सं०] पार्वती के क्रोध से उत्पन्न एक गण । निचीतौ-देखो 'निस्चित' (स्त्री० निचीती)
निजड़णी (बौ)-क्रि० टूटना, कटना।
निजर (रि)-देखो 'नजर'। -केद, कंद- 'नजर-कैद'। निचुड़णी (बी)-क्रि० [सं० नि-च्यवनं] १ रसदार वस्तु का
-दौलत='नजर-दौलत'। -बंद='नजर-बंद'। –बंदी= रस निकाला जाना, रस निकलना। २ गीले कपड़े में ऐंठन
'नजर-बंदी'। बाग='नजर-बाग'। -सांनी-'नजरदेकर पानी निकाला जाना। ३ कस व सार निकलना।
सांनी'। ४ शोषण किया जाना । ५ आर्थिक दृष्टि से शोषित होना।
निजर-बाज-वि० [फा०] तिरछी नजर से देखने वाली । ६ शक्ति या तेजहीन होना।
निजरांग (गो)-देखो 'नजरांगो' । निचोड़-पु० [सं० नि-च्यवन] १ रस । २ सार, तत्त्व ।
निजराणौ (बौ), निजरावरणौ (बो)-क्रि० १ दिखाई देना, ३ निचोड़ने से निकलने वाला द्रव पदार्थ । ४ सारांश,
दिखना । २ नजर में पाना । ३ ध्यान में माना। ४ दृश्य तात्पर्य । प्राशय । ५ मूल बात । ६ गूढार्थ ।
दिखना । ५ नजर लगना । ६ देखना । ७ लखना । निचोड़णी (बी)-देखो 'निचोणी' (बौ) ।
| निजरि-देखो 'नजर'।
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