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धात
धारण
धात-४० [सं० धात] १ कामदेव । २ सूर्य । ३ पत्थर, पाषाण । | धाफड़-देखो 'धापड'।
४ नागवार । ५ स्वभाव, प्रकृति । ६ देखो 'धाता' । धाब-पु० कटे घास का ढेर । ७ देखो 'धातु'। -धर-पु०. पर्वत, पहाड़। -बीज-पु० | धाबडिया-स्त्री० गेहूँ बोने की एक क्रिया विशेष ।
कामदेव, मदन । - स्वायु-वि० धातु का स्वाद लेने वाला। धाबळ-पु. १ ऊनी वस्त्र विशेष । २ कपड़ा विशेष, वस्त्र । धातरि-स्त्री० एक प्रकार की सब्जी ।
३ देखो 'धाबळी'। धातांसार-पु० [सं० धातु-मार सोना, स्वर्ण ।
धाबळपाळ (ली), धाबळवाळ (ळी). धाबळियांणी, धाता-पु० [सं० धातृ] १ ब्रह्मा, विधाता, विधि । २ विष्णु। धाबळियाळ (ळी)-स्त्री० १ श्रीकरणी देवी । २ देवी, दुर्गा ।
२ शिव, महेश । ४ शेषनाग । ५ बारह प्रादित्यों में से एक ३ 'धावळा' पहनने वाली स्त्री। ६ रक्षा । ७ ठगण के आठवें भेद का नाम (111)। -वि० धाबळियौ-देखो 'धाबळो"। - १ रक्षा करने वाला, रक्षक । २ धारण करने वाला, धाबळी, धावळीयार-देखो 'धाबळयाळ' । धारक । ३ पालन करने वाला, पालक ।
धाबळी-पु०१ स्त्रियों का अधोवस्त्र, घाघर । २ लहंगा, घाघरा। धातु स्त्री० [सं०] १ लोहा, तांबा, सोना प्रादि मूल द्रव्य, अपार- धाबो-देखो 'दाबी'।
वर्धक पदार्थ । २ शरीर को बनाए रखने वाले पदार्थ । धाभाई-पु० [सं० धात्रेय-भ्राता] धाय का पुत्र । ३ शक, बीर्य । ४ शब्द का मूल रूप। -करम-पु० ७२ | धाय-स्त्री० [सं० धात्री] १ अन्य के बच्चे को स्तनपान कराके कलायों में से एक । -क्षय-पु० शरीर से वीर्य पात का रोग, पालने वाली स्त्री। २ लालन-पालन करने वाली स्त्री।
छ । खांसी। -थभक='धानुस्तंभक । --पुस्ट-वि. उप माता । ३ एक वृक्ष विशेष । ४ बार, दफा । वीय को गाढ़ा व पुष्ट करने वाला। ---प्रधान--पु० प्रधान ५ देखो 'धा' । धातु, वीयं । -भ्रत-पु. पर्वत, पहाड़ । —माक्षिक-पु० धायक-देखो 'धावक'। एक उपधातु, सोनामक्खी । --रेचक-वि० वीर्य को बहाने धायडेती-देखो 'धाड़ायत'। बाला । -वरद्धक, वरधक-वि० वीर्यवर्दक। --वाद- धायन-क्रि० वि० निरन्तर, लगातार । . पु. कमची धातुओं को माफ करने की क्रिया । ६४ कलावों धायभाई-देखो 'धाभाई'। में से एक । -वादी-पु० धातुओं को साफ करने वाला। धायरछ, धायराहु-देखो 'धतराठ' ।
वैरी-प० गंधक । --स्तंभक-वि० वीर्य का स्तंभन करने । धायोडी. धायौ वि० मि. ध १ तृप्त, ग्राषाया हुअा । २ जो पाला।
भूका नहा। ६ घना, मापन। गिरा हुआ, पड़ा हना। धातापम ५० [सं० धातु-उपमा] सोना ।
धार-स्त्री० [सं०] १ चाकू, शस्त्र प्रादि का तीखा फल, तीक्ष्ण धात्रवादी-देखो 'धातुवाद' ।
शिरा । २ तलवार । ३ द्रव पदार्थ की पतली धारा । पात्री स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ माता। ३ गंगा। ४ ४ प्रवाह, वेग । ५ मूसलाधार वृष्टि । ६ किनारा, तट,
सेना, फौज । ५ प्रांवले का वृक्ष या फल । ६ प्रार्या छन्द छोर । ७ क्रम, मिलसिला । ८ पृथ्वी, इला । ९ सीमा,
का एक भेद । ७ देखो 'धाय' । --फळ-पु० आंवला । हद । १० एक प्रदेश का नाम जिसे नल राजा ने विजय धाद्रिग पु० पुरुषों की बहत्तर कलाओं में से एक ।
किया था । ११ देखो 'धारा'। पाच-स्त्री. १ ध्वनि विशेष । २ शीघ्रता से कार्य करने की धारक-वि० [सं०] १ धारण करने वाला । २ निभाने वाला।
क्रिया या भाव । ३ मार-पीट । ४ प्रहार, चोट, प्राघात। ३ वहन करने वाला। -धरा-पु० शेषनाग। धाप-स्त्री० [सं०] अघाने की अवस्था या भाव, तप्ति । संतोष। धारकसुरत-वि० [सं० श्रुत-धारक] पंडित, ज्ञानी ।
--वि०वि० पेट भर कर, तृप्त होकर । जी भरकर। इच्छा- धारकोर -स्त्री० द्वार या खिड़की के सामने पड़ने वाला दीवार नृमार।
का किनारा। धापड़ -पु० [सं० ध्रपक] १ मोट का पानी गिराने का स्थान । धारक्क-देखो 'धारक'। लिलारी, छिउलारा । २ थापड, तमाचा, चपन ।
धारजळ-देखो 'धारूजळ' । धापरणौ (बौ)-क्रि० [सं०] १ पेट भरना, भूख शांत होना। धारण-स्त्री० [सं०] १ एक वार तोलने की क्रिया । २ पांच सेर २ तृप्त होना, अघाना । ३ संतुष्ट होना तुष्ट होना। ४ तर
का एक तौल विशेष । ३ तराजू का पलड़ा। ४ ग्रहण करने होना, सराबोर होना, दृढ़ निश्चय करना । ५ सम्पन्न होना।
की क्रिया या भाव । ग्रहण । ५ अवलंबन, सहारा । ६ देखो पापभी (वौं)-देखो 'धपाऊ' ।
धारणा' । --पितंबर, पितांबर-पु० परमेश्वर । श्रीकृष्ण ।
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