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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थरावणी ( ६१७ ) यांन थरावरणी (बी)-देखो 'थरथराणी' (बी)। थह, थहक-स्त्री० [सं० स्था] सिंह आदि की मांद, थरु, थरू-वि० [सं० स्थिर] १ अटल, स्थिर । २ अनादि, | घुरसाली । गुफा। सनातन । ३ चिर स्थायी। थहण-स्त्री० [सं० स्था] स्थान, जगह । थल-पु० [सं० स्थल] १ स्थान, जगह । २ पृथ्वी, भूमि, थहरणौ (बो)-क्रि० १ ठहरना, टिकना, रुकना । २ कांपना, जमीन । ३ धरातल । ४ वैभव, सम्पत्ति, धन, दौलत ।। थर्राना। ५ बालू रेत का टीबा। ६ मरु प्रदेश । ७ भवन, घर । यहाणी (बी), यहरावणी (बौ)-क्रि० १ ठहराना, टिकाना। ८ भाव । देखो 'थळी'। २ कांपना, थर्राना। थळकण-देखो 'थळगट' । थां-सर्व० पाप, तुम। थळकरणी (बो)-त्रि०१ स्थूल शरीर के मांस का हिलना । | थांअळो-देखो 'थाहरौ'। (स्त्री० थांपळी) २ तनाव या खिचाव न रहना, ढीला पड़ना, झोल खाना । थारण-देखो 'थांन'। ३ पिचकना । थारणगिद्धि-स्त्री० [सं० स्त्यानगृद्धि] छः मास तक का शयन । थळगट, थळगटी-स्त्री० [सं० स्थल-स्कंभ] द्वार की चौखट के थांणथप-देखो 'थांणाथप' । . नीचे वाली बाड़ी लकड़ी । थांणबंध-देखो 'थांणाबंध' । थळगांमी-वि० [सं० स्थलगामी] भूमि पर रहने व विचरण करने वाला । थांणाथप-वि० एक ही स्थान पर स्थाई रहने वाला । -पु० चलने फिरने में असमर्थ साधु (जैन)। थळचट-वि०१ पराया माल खाने वाला, चटोरा । २द्वार-द्वार थांणादार-देखो 'थांणेदार'। भीख मांगने वाला। थळचर थळचारी-पु०[सं० स्थल-चर] पृथ्वी पर रहने वाला जीव । यांणादारी-देखो 'थाणेदारी' । थाणाबंध-पु० [सं० स्थानबंध] डिंगल का एक गीत या छंद । थळथळणौ (बी), यळथळारणौ (बौ)-क्रि० स्थूल शरीर के मांस का हिलना-डुलना । थाणायत-पु० १ चौकीदार । २ पुलिस या सेना का एक कर्मचारी । ३ देखो 'थांगत'। ४ देखो 'थांणाथप'। थळपति-पु० [सं० स्थल-पति] १ राजा, नृपति । २ भू-स्वामी। थळभारी-पु० कहारों का एक संकेत । थांणु (ए)-पु० [सं० स्थाणु] १ शिव, महादेव । २ सूखा वृक्ष । थळयर-देखो 'थळ चर'। ३ देखो 'थांणी'। थळवट, (वटी, वट्ट, वट्टी)-देखो 'थळी' । थांगेत, थाणत-पु० १ किसी स्थान का अधिपति । २ चौकी थळाथूरणी-स्त्री० मुठभेड़, युद्ध, टक्कर । या अड्डे का मालिक । ३ पुलिस थाने का प्रभारी । थळि-देखो 'थळी'। ४ चुगी वसूल करने वाला अधिकारी। ५ किसी स्थान का देवता। यळियामारू-पु. एक लोक गीत विशेष । थाळपो-पु० मरु प्रदेश या रेगिस्तान का निवामी । -वि० । यांगदार, थांणदार-पु० [सं० स्थान + फा० दार] १ पुलिस मरुस्थल या रेगिस्तान संबंधी। थाने का प्रभारी। २ जकात या चुंगी वसूल करने वाला थळी-स्त्री० [सं० स्थल] १ मरुस्थल, रेगिस्तान । २ रेगिस्तानी अधिकारी। इलाका । ३ देखो 'थळगट' । थाणेदारी, थांणदारी-स्त्री० थानेदार का पद या कार्य। थळू-देखो 'थळ' । थांणी-पु० [सं० स्थान] १ आस-पास के क्षेत्र की सुरक्षार्थ थळेचौ-देखो 'थकियौ'। स्थापित सैनिक चौकी। २ पुलिस विभाग का एक उप थळेरी-देखो 'थळगट'। खण्ड । पुलिस स्टेशन । ३ टिकने या ठहरने का स्थान । थळेस्वरी-स्त्री० [सं० स्थल-ईश्वरी] देवी, शक्ति, दुर्गा । ४ स्थान, जगह । ५ समूह । ६ वृक्ष या पौधे के चारों पोर थवक्क, थवक्को-पु० [सं० स्तबक] समूह । बनाया हुया घेरा। थाला, थांवला। ७ एक प्रकार का थवणी-स्त्री० [सं० स्तवनिका] सुस्मृति, स्मृति-चिह्न। सरकारी लगान। -सर्व० (स्त्री थांगी) अापका, तुम्हारा। थवरणौ (बौ)-क्रि० होना। हो जाना। यांन-पु० [सं० स्थान] १ कोई देव-स्थान या चबूतरा । थविर-वि० [सं० स्थविर] १ वृद्ध, बुड्ढा । २ स्थिर व २ स्थान, जगह, ठिकाना। २ एक निश्चित लंबाई का परिपक्व बुद्धि वाला । ३ अनुभवी। ४ स्थविर कल्पी कपडे का बड़ा टुकड़ा या भाग। ४ देखो 'थरण' । साधु (जैन) । -अनाद-पु. देवालय । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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