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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तेरस www.kobatirth.org ( ५९९ ) तेरस, तेरसि, तेरसी स्त्री० [सं० पयोदशी) प्रत्येक मास के तेल- फुलेल पु० पुष्पसार, द प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि । तेमी (बी) वि० तिराणु के स्थान वाला, १३ बरा के बाद वाला । - पु०९३ का वर्ष । तेरा - देखो 'तेरे' । तेराताळी स्त्री० १ शरीर पर तेरह स्थानों पर बंधे मजीरों को बजाने की क्रिया । २ उक्त प्रकार से मजीरे बजाने से उत्पन्न ध्वनि । ३ उक्त प्रकार के वाद्य बजाने वाली मंडली । तेरापंथ पु० जैन श्वेतांबर शाखा की एक प्रशाखा । तेरा पु० उक्त कानु तेरह - वि० दश व तीन । तेरहमी (याँ) - वि० [स्त्री० [तेरहमी, बी) तेरह के स्थान वाला तेलार पु० तेनी बारह के बाद वाला । तेलिरग- देखो 'तेला' । तेरही स्त्री० १ मृतक का तेरहवां दिन । २ इस दिन किया जाने तेलियो - वि० १ तेल की तरह चिकना, चमकीला । २ तेल के वाला पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि । रंग का मटमैला । - पु० १ तेल के रंग का एक ऊंट विशेष । २ उक्त रंग का घोड़ा । ३ एक प्रकार का बबूल । ४ सोंगिया नामक विष । ५ श्याम रंग का भैरव । ६ एक तरह का सांप । ७ तेल में भीगा वस्त्र । ८ एक प्रकार का सिंह । ९ वर्षा ऋतु में होने वाला एक कीड़ा । — कंद - पु० एक प्रकार का जमीकंद । -- कत्थौ पु० एक प्रकार का काला कत्था । - कुमैत - पु० कुमैत या काले रंग का घोड़ा । -- पांरणी - वि० तेल की चिकनाई वाला पानी। -सुरंगपु० एक प्रकार का घोड़ा सुहागौ पु० चिताव श्याम रंग का सुहागा । । तेली पु० [सं० कि] (स्त्री० तेलस) कोल्हू में सरसों या तिल पेर कर तेल निकालने का व्यवसाय करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । -वाड़ी-पु० तेलियों का मुहल्ला । तेलू स्त्री० चिकनाई, स्निग्धता । तेळी, तेली- पु० १ तीन दिन तक लगातार किया जाने वाला उपवास व्रत भादव मुक्ता एकादशी से पूर्णिमा तक २ । का गौ सेवा का व्रत । ३ एक साथ उत्पन्न होने वाले तीन बच्चे । ४ देखो 'तेलियो' । " तेरोड़ो, तेरौ - सर्व ० ( स्त्री० तेरी, तेरोड़ी) तेरा, तुम्हारा । तेरी-पु० तेरह का वर्ष । तेलंग देखी 'लंग' । तेल- पु० [सं० तैल] १ तिल, बीजों व वनस्पतियों से निकलने वाला स्निग्ध व तरल पदार्थ । तेल । २ मिट्टी का तेल व इसी प्रकार के अन्य तेल । तेला, तेलास-स्त्री० ऊंट पर सवार तीन व्यक्ति । तेलायौ पु० तीन व्यक्तियों की सवारी वाला ऊंट । तेलकार - पु० [सं० तैलकार ] १ तेल का व्यापारी । २ तेली । तेल- देखो 'तिनंगी। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेरायळ - वि० [० १ बदमाश, दुष्ट । २ क्रोधी । ३ दोगला । तेराहियो - पु० [सं० त्र्यहिक ] प्रति तीसरे दिन आने वाला ज्वर । तेरिदी - पु० तीन इन्द्रियों वाला जीव या प्राणी । तेरिमृ'देखो 'रमन रमी' । तेर-देखो 'तहरीर' । तेरु ंडौ–पु० मकर संक्रांति के दिन किया जाने वाला विभिन्न प्रकार की तेरह-तेरह वस्तुत्रों का कन्याओं को दान । तेरा, तेरौ ते वि० तैरने की कला में प्रवीण, तैराक तेरे देखो 'तेरे'। तेरे 'क- वि० तेरह के लगभग या करीब । की संख्या १३ सर्व० तुम्हारे क्रि०वि० हद तेरं-वि० [सं० त्रयोदश] दश और तीन । - पु० दश और तीन तेवड़ स्त्री० १ तैयारी । २ तीन तार या लड़ की रस्सी । - पु० ३ विचार । ४ निश्चय इरादा । ५ प्रबन्ध । - वि० तीन तह वाला, तिगुना, तिहरा तेवड़णौ (बौ) - क्रि० [सं० त्रिगुणाकरणम् ] १ विचार करना, सोचना । २ निश्चय करना, तय करना । ३ दृढ़ निश्चय - तबर करना । तेवड़ौ - वि० (स्त्री० तेवड़ी ) १ तीन परत का, तीन तह का । २ तीन गुना । तेवट - स्त्री० १ तबले की एक ताल । २ देखो 'तेवटियो' । तेवटियो तेवटी ० १ स्त्रियों के गले का एक ग्राभूषण विशेष । २ तीन पाट का ओढ़ने का वस्त्र, चादर । तेवडउ - वि• इतना, उतना । तेवरण- देखो 'तींवरण' । तेलड़ी - स्त्री० तीन लटिकाओं की माला । वि० तीन परत की । तीन लड़ी। तेलड़ी - वि० (स्त्री० तेलडी) १ तीन परत का । २ तीन लड़ों तेवणियो- पु० कुए से पानी निकालने वाला | का । ३ तीन पंक्ति का । सेलण स्त्री० तेजी की स्त्री तेलपाल - पु० तेलियों से लिया जाने वाला कर । For Private And Personal Use Only तेवणी (बौ) - क्रि० कुए से चरस द्वारा पानी निकालना । , तेवर तेवरी - स्त्री० १ क्रोध भरी चितवन त्यौरी | २ भौंह भृकुटी ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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