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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५०८ ) ( ५०८ ) टकर ट-देवनागरी वर्णमाला का ग्यारहवां व्यंजन वर्ण । | टंकी-१ देखो 'टकौ' । २ देखो 'टंक' । ३ देखो 'टांको' । टं-पु० [सं० टम्] १ अंकुश । २ पुत्र । -स्त्री० ३ अांख । टंग, टंगड़ी-देखो 'टांग'। ४ पृथ्वी। ५ भौंह । -वि० १ गंभीर । २ वीर। टंगरणी (बौ)-क्रि० टांका जाना, लटकना, अटकना । टंक (उ)-पु० [सं० टकि, टंक] १ भोजन का समय । टंगपाणी-पु० [सं० टंकपाणि] ४६ क्षेत्रपालों में से २७ वां २ तलवार की नोक । ३ मिक्का । ४ तलवार । क्षेत्रपाल । ५ कुदाली। ६ छनी । ७ म्यान । ८ पहाड़ी की ढलान । टंगलो-वि० (स्त्री० टंगली) पैरों से चलने में असमर्थ । ९ एक ओर से टूटा हुआ पर्वत । १० क्रोध । ११ अहंकार । टंच-वि० १ तैयार । २ पूर्ण । ३ प्रस्तुत । ४ कृपण, कंजूस । १२ टांग । १३ सुहागा। १४ चारमाशे का एक तौल। टंचरणौ (बौ)-क्रि० टांचा जाना । १५ टकमाल में सिक्कों का धातु तोलने का एक टंचर-पु. शिर, शीश। मान । १६ धनुष की डोरी पर लटकाया जाने वाला एक | टंट, टंटी-स्त्री० घुटने से नीचे का भाग । मान । १७ सम्पूर्ण जाति का एक राग। -प्रठार, अढ़ार= | टंटेर-पु०१ मरे पशु का अस्थिपंजर । २ दुर्बल प्राणी। 'अढारटंकी'। टंटेरणी (बौ)-क्रि० लटकाना, लटकाये हुए फिरना । टंकण-पु० [सं० टंकणम्] १ सुहागा। २ घोड़े की जाति टंटोळपो (बौ)-क्रि० १ ढूंढना, खोजना । २ संभालना, विशेष व इस जाति का घोड़ा । ३ एक मानव जाति देखना । ३ स्पर्श करना, छूना। ४ थाह लेना । ५ परखना, विशेष। ४ टंकित करने की क्रिया। आजमाना । ६ सहलाना । टंकरणो-देखो 'टांकणो'। टंटी-पु० १ झगड़ा, लड़ाई । २ कलह, तकरार । ३ परेशानी, टंकणी (बी)-कि० १ टंकित करना, टाईप करना। २ टांका दिक्कत । ४ उलझन । जाना । ३ देखो 'टांकणी' (बी) । ४ देखो 'टंगणी' (बौ)। टंडीरो, टंडेरौ-पु० घरेलू सामान, व्यर्थ सामान । टंकपरीक्षा-स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक । टंपरणो (बौ)-क्रि० छलांग, भरना, कूदना । टंकसाळ-स्त्री० १ धनुष विद्या सिखाने का स्थान । २ देखो टंपाघोड़ी-पु० बच्चों का एक खेल विशेष। 'टकसाल'। टपाडणौ (बौ), टंपारणौ (बौ), टंपावणौ (बौ)-क्रि० छलांग टकाई-स्त्री० १ टांकने का कार्य । २ टांकने की मजदूरी। भराना, कुदाना। टकामाळि, टंकाउळि-देखो 'टंकावली'। टंमको-पु०१ ध्वनि । २ शब्द, अावाज । ३ नगाड़ा । ४ चमक। टंकाडिलो-वि० बहुमूल्य, कीमती । ५ हल्का प्रकाश। टंकार-स्त्री० १ धनुष की डोरी की ध्वनि । २ कगी हुईट-पु०१ योद्धा । २ देवदार । ३ पीपल । ४ चांदी। 'टोरी गा तार से निकलने वाली ध्वनि । टोबौ-पु० पैदा, तल। टकारगौ (बी)-क्रि० १ प्रत्यंचा से आवाज करना । २ ग्राघात टक-स्त्री० १ बिना पलक झपके देखने की क्रिया या भाव । से ध्वनि करना । ३ गिनना। ४ मानना, समझना। २ नजर, दृष्टि । ३ तक, पर्यन्त । ४ स्थिति । ५ क्षण, टंकारव, टंकारी-देखो 'टंकार' । पल । ६ देखो 'टंक' । ७ देखो 'ठक' । ८ देखो 'ठाक' । टकावळ. (ळि.ळी)-वि. बहुमूल्य,कीमती। -पु० हार,कंठाहार । | टकएक, टकेक-क्रि०वि० १ पलभर, क्षणेक । २ निरन्तर । टंकी-स्त्री० १ लोहे आदि का बड़ा पात्र, कोठी । २ पानी के टकटकरणी (बी), टकटकारणी (बौ)-क्रि० १ निरन्तर देखना, लिए बनाया छोटा जल-कुण्ड । ३ धनुष । टकटकी लगाना । २ टक-टक शब्द कन्ना। टंकेत-वि० खड़गधारी, कृपाणधारी। टकोर-देखो 'टंकार'। टकटको (क्की)-स्त्री० १ बिना पलक झरके निरन्तर एक ही जगह देखने की क्रिया या भाव । २ स्थिर दृष्टि । टंकोरियो, टंकोरौ-पु० १ देवपूजन के समय बजाया जाने वाला छोटा घंटा । २ ऐसा ही छोटा घंटा जो किसी स्थान या टकटक्को-वि० (स्त्री० टकटक्की) चकित, स्तंभित । पशु के गले में लटकाया जाता है। | टकर-देखो 'टक्कर'। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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