SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 428
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौरी चौरी-१ देखो 'चंवरी'। २ देखो 'चोरी'। चौसाको-पु० चार कटोरियों या खानों का पात्र । चौळ-देखो 'चोळ'। चौसारौ-देखो 'चौसरौ' । चौलड़ो-देखो 'चोलड़ो' । चौसाळा (ळी)-स्त्री०१ मकान का, चारों ओर से बुला कक्ष । चौळाई-देखो 'चोळाई'। २ बैलगाड़ी में लगे लंबे इंगे। चौलावी-पु० वह कूप जिसका पानी चार मोट से निकाला चौसौ-पु० चार सौ तागों का ताना।। जाता है। चौहट (टी)-स्त्री. १ पेड़ की शाखा । २ देखो 'नौवटी' । चौधड़ो-वि० (स्त्री० पौषड़ी) १ चार परतों वाला। २ चार | चौहटौ (ट्टो)-देखो 'चौवटौ' । गुणा । ३ चार लड़ों वाला । चौहतर (तर)-वि० [सं० चतुस्सप्तति] सत्तर व चार । चौवटियो, चौवटो-पु० १ गांव के बीच खुला मैदान । २ चौराहा । -पु० चौहतर की संख्या, ७४ । ३ बाजार में दुकानों के मध्य का भाग । चौहतरौ-पु०७४ का वर्ष । चौवळ, (ळी, )-क्रि० वि० चारों ओर । चौवळी-देखो 'चौलड़ो। चौहथी-स्त्री. १ चार हाथ लंबी या चौड़ी वस्तु । २ बकरी के बालों की बनी मोटी पट्टी। ३ चार हत्थों वाली । चौवाळे-क्रि० वि० चारों ओर । चौवास्या-पु० वर्षा ऋतु के चार मास । चौहवंटौ-देखो 'चौवटी'। चौवितार-पु० चार प्रकार के ग्राहार । (जैन) चौहान-पु. एक क्षत्रिय वंश । मोवीस-देखो 'चौईस'। चौहोतर-देखो 'चौहतर' । चौवीसटौ, चौवीसौ-देखो 'चौईसौ'। भयंत, च्यांत-स्त्री० चिता, सोच । चौवी-पु०१ हाथ की अंगुलियों का समूह । २ देखो 'चोवी'। चौसंगी-देखो 'चौसांगी'। च्यहुपरि (परी)-क्रि०वि० च्यार प्रकार से । चौस-पु० फूलों का हार । च्यांदरणी, च्यांनरणी-देखो 'चांदणी'। चौसट (टी)-देखो 'चौसठ'। च्यार-देखो 'चार'। चौसठ (ठि, ठी)-वि० [सं० चतुषष्टि] साठ व चार । -पु० च्यारांनी-स्त्री० चौवन्नी । १ साठ व चार की संख्या, ६४ । २ चौसठ शक्तियां, योग च्यारइपासइ (ई)-क्रि०वि० चारों ओर । नियों का समूह। चौसठी-पु०६४ का वर्ष । च्यारमौ (वौं)-वि० चौथा । चौसर-पु. १ केश, बाल । २ चौपड़ की गोटी। ३ चौथी। च्यार, च्यारि-पु० चार। -भुज-पु० विष्णु । ब्रह्मा । पत्नी । ४ मूछ, श्मश्रु। ५ चौसरौ। च्यारू (रू)-वि० चागे। -मेर-क्रि० वि० चौतरफ । चौसरां (रा, रिय, रे)-क्रि० वि० चारों ओर । च्यारे-क्रि० वि० चारों। चोसरियो, चौसरी-पु. १ पुष्प हार । २ हार, माला । ३ मुड | च्यारचामर-क्रि० वि० चारों ओर । माला । ४ अविरल प्रश्र प्रवाह । ५ एक प्रकार की शराब ।। च्यारी-देखो 'चंवरी' । -नागरी वर्णमाला के च' वर्ग का द्वितीय व्यंजन । । छंचेड़, छछेड (1)-पु. मक्खन को गर्म करने पर निकलने वाला छह-देखो 'छ। मैल । छंगा-वि० कटा हुआ । छंछाळ (लो)-पु० १ हाथी, गज । २ एक प्रकार का घोडा । छंगाणी (बी), छंगावरणी (बो)-क्रि० १ करवाना । २ छंटवाना, -वि० मस्त, उन्मत्त । काट-छांट कराना । छंट-स्त्री० १ छंटाई, ऊंटनी । २ समुद्र के बीच की भूमि । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy