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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिबळरणी । ४०० ) चिरपोटण चिबळरणौ, (बी)-क्रि० चबाना मुंह में डाल कर जिह्वा पर | चियत्त-वि० [सं० त्यक्त] छोड़ा हुआ, त्यक्त। (जैन) इधर-उधर करना। चियां-पु. १ कच्चे मकानों की छाजन के प्राजू-बाजू का भाग। चिबुक, चिम्बुक-स्त्री० [सं० चिबुक] ठोड़ी, ठुड्डी। . २ इमली का बीज । चिन्भड़-पु. १ ककड़ी विशेष । (जैन) २ सूअर का बच्चा। चिया-स्त्री० चिता । चिम-स्त्री० [सं० चिह्न १ प्रांख के काले कोये पर होने | चियाग, (य)-पु० [सं० त्याग] त्याग। (जैन) वाला, सफेद दाग । २ अांख में चोट लगने से होने वाला चियाप-स्त्री० मितव्ययता । दर्द या चिह्न। चियापू-वि० मितव्ययी। चिमक-देखो 'चमक'। चियाबास-पु० चैत्यवास। चिमकरणौ (बौ)-देखो 'चमकणी' (बौ)। चियार (इ) (रि, री)-देखो 'चार' । चिमकारणी, (बौ)-देखो 'चमकाणी' (बौ)। चियारै-वि० चारों। -पु. चार । चिमकी-स्त्री० डुबकी, गोता। चिरजी-पु० १ एक प्रकार का सूखा मेवा । २ देखो चिरंजीव' । चिमचिमाही-स्त्री० एक प्रकार का दर्द । चिरंजीत-क्रि० वि० चिरकाल तक। चिमचिमी-स्त्री० मस्सा, भगंदर प्रादि से होने वाली पीड़ा | चिरजीव, (वी)-वि० [सं०] दीर्घायु, चिरायु । -पु०१ मात विशेष । की संख्या । २ चिरायु होने का प्रार्शावाद । ३ कामदेव चिमचौ--देखो 'चमची'। की उपाधि । चिमटणी, (बी)-क्रि० १ सटना, जुड़ना । २ चिपकना । चिर-वि० [सं०] १ बहुत दिनों का, पुराना । २ बहुत, अधिक । ३ संलग्न होना। ४ गुथना। ५ आलिंगनबद्ध होना। -क्रि०वि० दीर्घकाल से, अधिक समय तक | -पु० ६ किसी कार्य में अधिक व्यस्त होना । ७ अधिक सम्पर्क में दीर्घकाल । -काळ-पु० अधिक समय । -जीव, जीवी, आना या साथ रहना। जीवौ-पु० विष्णु । मार्कण्य ऋषि । सेमर का वृक्ष । चिमटारणी (बी), चिमटावणी (बी)-क्रि० १ सटाना, जोड़ना। कौना। २ चिपकाना । ३ संलग्न करना । ४ गुथाना । ५ आलिंगन | चिरकरणो (बो)-क्रि० १ अपान वायु के साथ थोड़ा मल निकल बद्ध करना । ६ अधिक व्यस्त रखना । ७ अधिक सम्पर्क में जाना । २ बच्चों का मल त्यागना । करना, साथ लगाना। चिरको-पु० अपान वायु के साथ निकला थोड़ा मल । चिमटी, (ठी)-स्त्री० १ तर्जनी व अंगुष्ठ से पकड़ी जाने वाली | चिरचणी-स्त्री. अनामिका । नमक आदि की मात्रा । २ आटे की मात्रा जो भिखारियों | चिरचरणौ (बी)-क्रि० १ पूजन करना । २ चंदन आदि लगाना। को डाली जाती है । ३ भुरकी। ४ स्वर्णकारों का छोटा ३ चंदन का लेपन करना । ४ देखो 'चरचरणौ' (बौ)। अौजार । ५ चिमटे का सूक्ष्म रूप । चिरजा-देखो 'चरजा'। चिमटौ. (ठो)-पु० जलते अंगारे आदि को पकड़ कर उठाने चिरइि (ट्ठिय)-वि० दीर्घकाल तक जीवित रहने वाला। का लोहे की पत्ती का बना उपकरण, चिमठा । चिरणोटियौ-पु० सधवा स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र । चिमठाणौ (बौ)-देखो 'चिमटाणो' (बौ)। | चिरणौ (बौ)-क्रि० १ फटना, विदीर्ण होना। २ सतह में दरार चिमतकारी-देखो 'चमत्कारी'। पड़ना। ३ लकीर की तरह को घाव बनना। ४ शस्त्र या चिमनी-स्त्री० १ मिट्टी के तेल से जलने वाला छोटा दीपक । चाकू से चीरा जाना। ५ लकड़ी आदि का कटना, विभक्त २ धू'मा निकलने के लिए लगाया हया लम्बा पाईप या होना । इसी तरह की कोई बनावट । चिरत, चिरतत, चिरत्त-देखो 'चरित्र' । चिमोटो-पु. उस्तरे की धार तेज करने का चमड़े का उपकरण।। चिरताळ, (ळ,ळी)-वि० (स्त्री० चरताळी) १ चरित्र करने चिमोतर-वि० [सं० चतुस्सप्तति] सत्तर व चार, चौहत्तर । वाला । २ चकित करने वाला। ३ पाखंडी, धूर्त । -स्त्री० चौहत्तर की संख्या, ७४ । ४ अद्भुत चरित्रवाला। ५ वीर । चिमोतरी-पु० चौहत्तरवां वर्ष । चिरनाटियो-पु० नाश, विध्वंस । चिय-पु० [सं चित] १ उपचय, बुद्धि । (जैन) २ जोर से चिरपड़ो-पू० १ रह-रह कर होने वाली वर्षा । २ ऐसी वर्षा से उच्चारण किया हुआ शब्द । होने वाला कीचड़।। चियका, (गा)-स्त्री० [सं० चिता] शव दाह के लिए चुनी | चिरपटी-स्त्री०१ ककड़ी। २ चिड़प । गई चिता। चिरपोटर-स्त्री० काक माची । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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