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चितोड़ी
( ३९८ )
चित्रलेखा
चितौड़ी, चितौड़ो-पु. १ चांदी का एक प्राचीन सिक्का । १२ अशोक वृक्ष । १३ श्रृंगार में एक प्रासन । १४ चम२ सिसोदिया राजपूत।
कीला प्राभूषण । -वि० १ चमकीला । २ स्पष्ट, साफ । चिरांग-पु० [सं० चित्राङ्क] एक प्रकार का कल्प वृक्ष । (जैन) ३ विलक्षण, अद्भुत । ४ रंग-विरंगा । ५ रुचिकर, प्रिय । चितंगौ-वि० (स्त्री० चित्तंगी) चित्तभ्रम,पागल । -पु०चित्तौड़। -कर-पु० चित्रकार। -करम-पु. बहत्तर कलाओं के चित्त-१ देखो 'चित' । २ देखो 'चित्र' ।
अन्तर्गत एक। -कळा-स्त्री० चित्र बनाने की कला । वित्तउत्त-पु० सोलहवें तीर्थंकर का नाम । चित्रगुप्त ।
-कार-पु० चित्र बनाने वाला। -कारी-स्त्री० ६४ चित्तकरणगा-स्त्री० [सं० चित्रकनका] विद्युत्कुमारी नामक देवी | कलाओं में से एक । -काव्य-पु० चित्र के रूप में लिखा विशेष (जैन)।
हा कोई काव्य । -मंदिर, महळ-पु० चित्रशाला । चित्तफूड-१ देखो 'चत्रकूट'। २ देखो 'चितौड़।
-योग-पु० ६४ कलानों में से एक । -विद्या-स्त्री० चित्तग-पु० [सं० चित्रक] १ चीता। २ एक पशु विशेष (जैन) चित्रकला। -सारी, साळा, साळी-स्त्री० चित्रशाला । चित्तगुत्त-पु० चित्रगुप्त ।
चित्रक-पु० [सं०] १ एक प्रकार का छोटा क्षुप । २ हिरन । चित्तगुत्ता-स्त्री० [सं० चित्रगुप्ता] १ सोम नामक दिपाल की चित्रकूट, (कोट)-पु० [सं०] १ एक प्रसिद्ध पर्वत । २ चित्तौड़ ।
अग्र महिषी । २ दक्षिण रुचक पर्वत पर बसने वाली एक | चित्रकेतु-पु० [सं०] १ चित्रित पताका रखने वाला व्यक्ति । दिक्ककुमारी (जैन)।
२ लक्ष्मण का एक पुत्र । ३ गरुड़ का एक पुत्र । चित्रांगो-वि० (म्त्री० चित्तंगी) उज्जवल, पाक दिल । चित्रगढ़-पु० चित्तौड़गढ़ । चित्तकावी-वि० अभीष्ट, वांछित ।
चित्रगुप्त-पु० [सं०] चौदह यमराजों में से एक । चित्तण्णु-वि० [सं० चित्तज्ञ] मन की जानने वाला । (जैन) चित्रघंटा-स्त्री० नौ दुर्गानों में से एक । चित्त-पक्ख-पु० [सं० चित्रपक्ष] वेणुदेव नामक इन्द्र का एक चित्रण-स्त्री० [सं०] १ चित्रित करने का कार्य । २ वर्णन । लोकपाल । (जैन)
३ व्याख्या। चित्तपत्तन-पु० [सं० चित्रपत्रक] १ चार इन्द्रियधारी जीव । चित्रणी-स्त्री० [सं०] चार प्रकार की स्त्रियों में से एक । २ विचित्र पंख वाला जंतु विशेष । (जैन)
चित्रणौ (बी)-क्रि० १ चित्रित करना । २ वर्णन करना। चित्तप्रसादण (न)-पु० चित्त का एक संस्कार ।
चित्रपदा-पु० [सं०] एक प्रकार का छंद । -स्त्री० मैना पक्षी । चित्तभंग-देखो "चितभंग' ।
चित्रपुंख (पूख)-पु० [सं०] तीर, बांण । चित्तभू-पु० [सं०] कामदेव ।
चित्रविचित्र-वि० १ अद्भुत, विनित्र । २ रंग विरंगा। चित्तभूमि-स्त्री० चित्त की पांच अवस्थाऐं । (योग) चित्रमाण (भाण, मानु)-पु० [सं० चित्रभानु] १ अग्नि । चित्तभ्रम-वि० मूर्ख, पागल, मतिभ्रम ।
२ सूर्य । ३ अश्विनीकुमार । ४ भैरव । ५ मणिपुर के चित्तरस-पु० [सं० चित्ररस] एक कल्प वृक्ष । (जैन)
राजा व अर्जुन के श्वसुर । ६ साठ संवत्सरों के बारह चित्तळ-देखो 'चीतळ'।
युगों में से चौथे युग का प्रथम वर्ष । ७ चित्रक । ८ प्राक चित्तविक्षेप-पु० चित्त की अस्थिरता ।
का वृक्ष । चित्तविग्भम, (विभ्रम)-पु. मतिभ्रम ।।
चित्रमरिण-स्त्री० घोड़े के पेट पर होने वाली सीप के प्राकार चित्तहिलोळ-पु० डिंगल का एक गीत (छन्द) विशेष ।
की भौंरी। चित्तारो-देखो 'चितारौं' । (स्त्री० चितारी)।
चित्रमद-पुनायक का चित्र देखकर नायिका का विरह चित्तसाळा, (समा)-स्त्री० चित्रशाला ।
प्रदर्शन। चित्ता-स्त्री० १ चित्रा नक्षत्र । २ देखो 'चिंता' ।
चित्ररथ-पु० [सं०] १ सूर्य । २ एक गंधर्व । ३ श्रीकृष्ण का चित्तार-पु० चित्रकार । (जैन)
एक पौत्र । ४ एक यदुवंशी राजा। ५ अंग देश के राजा चित्ति-देखो 'चित्त'।
का नाम । चित्र-पु० [सं०] १ किसी वस्तु या जीव की तसवीर, फोटो, चित्ररेखा-स्त्री० [सं०] बाणासुर की कन्या उषा की एक
चित्र, प्राकृति । २ किसी तसवीर या प्राकृति का ढांचा. सहेली। खाखा । ३ धब्बा, दाग । ४ स्वर्ग, आकाश । ५ कई प्रकार | चित्रल-वि० [सं०] चितकबरा । के रंगों का समूह । ६ काव्य में एक अलंकार । ७ रस, | चित्रलेख-देखो "चित्रगुप्त'। अलंकार युक्त कविता या काव्य । ८ कुष्ठ रोग का एक | चित्रलेखा-स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा । २ चित्ररेखा। भेद । ६ चित्रगुप्त । १० दृश्य । ११ यवन मुसलमान । ३ चित्र बनाने की कूची । ४ एक वर्णवृत्त विशेष ।
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