SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चांदी । ३८९ ) चमोदर चांदी-स्त्री०१ आभूषण आदि बनाने का एक श्वेत धातु, रजत, चांपली-पु० छोटे होठों वाला ऊंट जिसके दांत दिखाई देते हों। रूपा । २ मांस तक पहुँचा घाव । ३ एक प्रकार की लाल चांपाधिप-पु० दानवीर राजा का कर्ण । मिट्टी । ४ शरीर पर घाव करते हुए किया जाने वाला चांपेयक-पु० चंपावृक्ष । सत्याग्रह। चांपी-पु०१ देववृक्ष, चंपा । २ गायों का समूह । ----कूल-पु० चांदोड़ी-स्त्री. मेवाड़ के रांगणा संग्रामसिंह (द्वितीय) के समय एक प्रकार का घोड़ा। प्रचलित एक सिक्का। चाब-१ हल की गहरी व मोटी रेखा, सीता । २ देखो 'चाम' । चांदी (चांद्यौ)-पु० [सं०चंद्र] १ चन्द्रमा । २ दूर दर्शक यंत्र चांबड़ (उ, डो)-देखो 'चांम'। लगाने का लक्ष्य-स्थान । ३ भूमि के नाप का स्थान विशेष । चांबर-पु० एक प्रकार का घास । ४ कच्चे छाजन की दीवार का उठा हुआ भाग । ५ रेखा चांबळ-देखो 'चंबळ'। गणित का उपकरण। -रांगो-पु. एक लोक गीत। चांबळी (रा', रास, राह)-स्त्री० चर्म पटिका, चमड़े को रस्सी। चांद्र-पु० [सं०] १ चंद्रमास । २ शुक्ल पक्ष । ३ चान्द्रायण । चांबोचाब-पु० पूरा खेत । -वि० सम्पूर्ण, पूर्ण । (खेत)। चांबी-पु० [सं० चर्म] १ चर्म, चमड़ी। २ खाल। व्रत । ४ चन्द्रकांत मणि । -वि० १ चंद्रमा संबंधी। २ देखो 'चांद'। -मसायरण-पु०-बुध ग्रह । -मारण चांमंड-देखो 'चामुडा'। -पु० चन्द्रमा की गति के अनुसार निर्धारित समय । चामंधर-पु० [सं० चर्मधारिन्] शिव, महादेव । -मास-पु. वर्तमान में प्रचिलत मास, महीना।-वरती चाम-स्त्री० [सं० चर्म] १ चमड़ी,त्वचा, चर्म । २ खाल । प्रतिक-पु. राजा । -वि० चान्द्रायण व्रत करने ३ देखो 'चांब'। -कस, घस-पु० जमीन पर छितरने वाला क्षुप । वाला। चांद्रायण-पु० [सं०] १ चन्द्रकला की स्थिति के अनुसार घटत चांमडियाळ-पु० यवन, मुसलमान । बढ़त ग्राहार पर मास भर किया जाने वाला एक कठिन चांमड़ी (डो)-देखो चांम' । व्रत । २ एक मात्रिक छन्द विशेष । चांमचोर-पु० व्यभिचारी व्यक्ति। चामचोरी-स्त्री. व्यभिचार, दुराचार । चांदिरणी-देखो 'चांदणी'। चामटी (ठी)-स्त्री० [सं० चर्म+यष्टि] चाबुक । चांद्रिणु-देखो 'चांनणो', | चांमणी-स्त्री० अांख, नेत्र । चानणछठ-स्त्री० १ भादव मास की शुल्क पक्ष की षष्ठी। चामर (रि)-पू०१ चवर । २ पूछ । ३ एक वणिक छंद विशेष । २ प्रत्येक मास की शुल्क पक्ष की षष्ठी। -प्राळ, याळ-पु० यवन, मुसलमान । चांनरिणयो-देखो 'चांनगो'। चांमरहारी-स्त्री० चंवर डुलाने वाला । चानणी-देखो 'चांदणी'। चामरियौ-पु० चमड़े का कार्य करने वाला, चर्मकार । घांनणी-पु. १ प्रकाश, उजाला । २ खुशहाली का प्रतीक । | चामरी-१० [सं० चामरिन्] घोड़ा, अश्व । --याळ = --पख-पु० शुक्ल पक्ष । ___ 'चांमरियाळ'। चांनी-स्त्री० १ गहगों पर खुदाई करने का उपकरण विशेष । चांमळ देखो चंबळ'। २ देखो 'चांदी'। चांमस-पु० [फा० चश्म] १ नेत्र । २ चश्मा, ऐनक । चाप (उ)-स्त्री. १ चंपा का वृक्ष । २ चंपी। चांमासौ-देखो 'चौमासी'। चापणी-स्त्री० १ चांपने की क्रिया या भाव । २ सेवा, टहल । चामिकर-देखो 'चांमोकर' । ३ डर, भय। बांमी-स्त्री०लाल मिट्टी। चापरणी (बी)-क्रि० १ पांव आदि दबाना, चांपना । २ सेवा करना, बंदगी करना । ३ अधिकार या कब्जे में करना। चामीकर, चांमीर-पु० [सं० चामीकर] १ स्वर्ण, सोना । ४ कुचलना । ५ भड़काने वाली बात करना । ६ डराना. २ धतूरा। -वि०-१ उज्ज्वल, उदार । २ सुदर, मनोहर। भयभीत करना या होना । ७ क्रोध करना । ८ जागृत होना, चांमुड़, चांमुडा-स्त्री० शुभ-निशुभ तथा चंड-मुड नामक चेतन होना । ९ गिरना । १० लज्जित होना । ११ दाबना, दैत्यों को मारने वाली देवी । २ पार्वती, गिरिजा । भींचना । १२ शीघ्रता करना। ३ चौसठ योगिनियों में से एक। -नंदन-पु. भैरव । चांपर-वि० १ हढ़, पक्का । २ तैयार, सन्नद । चामोदर-पु. चमड़े का बड़ा थैला । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy