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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चनेषक ( ३८० ) चमा चनेयक-वि० थोड़ा, तनिक, किंचित । | चपळा-स्त्री० [सं० चपला] १ दुर्गा । २ लक्ष्मी । ३ बिजली चन्नरण-देखो 'चंदण' । ----गो', गोह- 'चंदरणगोह'। विद्युन । ४ पुश्चली स्त्री, कुल्टा स्त्री। ५ जिह्वा, जीभ । चप-क्रि०वि० १ तुरन्त, फौरन, चट । २ अकस्मात, यकायक । ६ पिप्पली वृक्ष । ७ मदिरा । ८ प्रार्या छंद का एक भेद । चपक-पु० मेना का वाम भाग । -क्रि०वि० शीघ्र, तुरन्त ।। -वि० पीला*। चपकणौ (बौ)-देखो 'चिपकरणो' (बी)। चपळाई (लात)-स्त्री० चपलता, चंचलता। चपकारणी (बो), चपकावरणौ (बो)-देखो 'चिपकारणो' (बी)। चपलाहार-पु० हार विशेष । चपको-पु० रोग के स्थान पर लोहे की गर्म सलाका से दग्ध चपलु-देखो 'चपळ' । करने की क्रिया। | चपळी-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा। २ देखो 'चपळ' । चपड़-चपड़-स्त्री० १ चप-चप की ध्वनि । • बकवास, हुज्जत । चपाचप-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । चपड़ास स्त्री० १ चपरासी का बिल्ला । २ मालखंभ की एक चपेट-स्त्री० १ तमाचा, थप्पड़ । २ वेग पूर्ण चलती हुई वस्तु कसरत। ! को लपेट, धक्का, झौंका, रगड़ । ३ मार करने की परिधि । थपड़ासी (रासी)--पु० (स्त्री० चपड़ासण) १ राज्य का छोटा चपेटणी (बौ)-क्रि० १ तमाचा या थप्पड़ मारना, पीटना। कर्मचारी । २ अनुचर, परिचायक । । २ वेग में लपेटना, झौंका देना, आघात करना । ३ मार चपड़ी-स्त्री० १ माफ की हई लाख जो मुहर लगाने के काम की परिधि में लेना । ४ दबाव में लेना। ___अाती है । २ तख्ती, पटिया । ३ परत । | चपेटारगी (बी), कपेटावरणी (बो)-क्रि० १ तमाचा या थप्पड़ चपड़ो-पु. १ शक्कर की चासनी की जमाई हुई पत्तरनुमा लगवाना । २ वेग में लपेटाना, झोंका दिराना, प्राघात मिठाई । २ अनाज का छिलका. भूसा । कराना । ३ दबाव में लिराना। चपट-१ देखो 'चपत'। २ देखो 'चपेट'। चप्पल-स्त्री० खुली ऐडी की पट्टीनुमा जूती। चपटणौ (बौ)-देखो 'चिपटणी' (बौ)। चबक-स्त्री० १ डर, शंका । २ चुभन । ३ पीड़ा, कसक । चपटाणी (बौ), चपटावरणौ (बी)-देखो 'चिपटाणौ' (बो)। चबकरणी (बो)-क्रि० १ चुभन होना, कसकना। २ भय खाना, चपटी-१ देखो 'चिमटी' । २ देखो 'चपटो' । (स्त्री०) शंका मानना। चपटौ-वि० (स्त्री० चपटी) १ सपाट, फैला हुआ, पथराया चबको-पु० १ सुई आदि नोकदार वस्तु की चुभन । २ ऐसी वस्तु हुमा । २ जिसमें उभार न होने, दबा हुमा, चिपका हुप्रा । के पाघात से होने वाला क्षत । ३ रह-रह कर उठने वाली चपणो (बो)-१ देखो 'चपणी' (बी)। २ देखो 'चिपकणो' (बी)। पीड़ा। बपत-स्त्री० [सं० चपट] १ थप्पड़ तमाचा । २ हथेली का चबरणौ (बो)-१ देखो 'चाबणो (बी)' । २ देखो 'चवणी (बी)'। प्रहार । ३ चोट, प्राघात । ४ हानि, नुकसान । ३ देखो 'चुभरणौ' (बौ)। चपदस्त-पु० सफेद पैर का घोड़ा विशेष । चबरक (को)-पु० १ विवाह में सह भोज की प्रणाली। २ देखो 'चबको'। चपरको-पृ० १ एक प्रकार का प्रहार । २ चुभन । ३ तीक्ष्ण चबलियो-देखो 'चबोलियो' । चबाणी (बी), चबावरणौ (बो)-क्रि० १ दांतों से कुचलना, चपळ-वि० [म० चपल) १ चंचल, अस्थिर। २ चस्त, फुर्तीला। चबाना। २ काटना, खाना। ३ नाजायज ढंग से हजम ३ कांपने या थरथराने वाला । ४ आतुर, व्यग्र । कर जाना। ५ जल्दबाज । ६ चुलबुला, नटखट । ७ अस्थाई, क्षणिक । | चबीरण (गो)-पु० १ चबैना । २ चुरबन । ८ कायर । नश्वर, निबंल । १० अविवेकी। पू० चबूतरी (रो)-पु० [सं० चतुरस्त, चत्वर] मकान के मागे या १ कामदेव । २पारा । ३ वेग । ४ मछली।५ बिजली। किसी खुले स्थान में, बैठने हेतु बनाया हा चौकोर व कछ ऊचा स्थान । ६ चातक पक्षी। ७ सुगंध द्रव्य । -क्रि०वि० शीघ्र, चल्दी। --भाव-पु० चंचलता। | चरणो-देखो 'चबीणो'। चबोलियौ-पु० छोटी डलिया। चपळता-स्त्री० १ चपल होने की अवस्था या गुण । २ चंचलता, | चम्बलियो-पु०१ पानी से भरा छोटा गड्ढ़ा । २ छोटी डलिया। स्फति । ३ चालाकी, धुर्तत। । ४ कंपन, थरथराहट । चम्बू-वि• वहुत चबाने वाला, चट्ट । ५ कायरता। चमकौ-देखो 'चबको'। चपळमती-वि० १ कुशाग्र बुद्धि । २ अस्थिर चित्त । चभड़-चमड़-स्त्री० १ किसी वस्तु को दांतों से चबाने की चपळवास-पु० गरुड़ । किया । २ चबाने से उत्पन्न ध्वनि । स्वाद। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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