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जरीट
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( २७२ )
ताल ।
गंजा ० एक मात्रिक छंद विशेष
खंड
जौ - । वि० [स्त्री० [पंजी) वह जिसके सिर के बाल न हो, गंजा ० [सं०] १ विभाग, अनुभाग २ हिस्सा भाग, अंश । ३ टुकड़ा । ४ अध्याय, सर्ग । ५ समूह, झुण्ड । ६ शक्कर, चीनी । ७ रत्न का दोष । ८ देश, मुल्क | ९ काला नमक । १० दिशा । ११ वन । १३ महादेव । १४ परिच्छेद । १७ नी की संख्या
१२ मंजिल ।
खंजरीट (र) - पु० [सं०] १ खंजन पक्षी । २ एक प्रकार की खंडाळि स्त्री० [सं० खंड + प्रालिः ] १ तेल का एक नाप ।
२ सरोवर झील । ३ देवी, दुर्गा । ४ कामेच्छा वाली स्त्री । खंडाळा - पु० [सं० खंड + आलुच ] खड्गधारी योद्धा । चंडाळ स्त्री० [सं० खंड + बबली नंगी तलवारों की पंक्ति ] । डिक स्त्री० [सं०] कुक्षि च ।
खंडित - वि० [सं०] १ टूटा हुआ, भग्न । २ अपूर्ण ।
खंडिता स्त्री० [सं०] १ वह स्त्री जिसका पति अन्यत्र रात्रि व्यतीत करता हो । २ आठ प्रकार की नायिकाओं में से एक ।
खंडिनी - स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि ।
१५ तलवार । १६ मांस ।
- काव्य-पु० काव्य का अंश । लघु
राजा परस पर पु० शिवखंडियन देखो 'खांडब' ।
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काव्य - पति पु० महादेव | परशुराम विष्णु राहु । दांत टूटा हुआ हाथी । --चीन स्त्री० मछली पुरी स्त्री० मीठी पुडी (पुरी)
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- प्रळय-पु० ब्रह्मा का एक दिन बीतने प्रलय | -फरण-पु० एक प्रकार का सांप। विहंड - पु० विध्वंस, नाश । वि० - अपूर्ण मेह-पु० पिल की एक रीति ।
खंडण -
(न) पु० [सं०] १ तोड़-फोड़ की क्रिया । खण्डन २ छेदन । ३ किसी बात या सिद्धांत की काट, निराकरण । ४ विरोध । ५ विप्लव ६ विसर्जन । वि० १ तोड़ा हुआ । २ टूटा हुआ । ३ कटा हुआ । ४ विभाजित ।
(ब) ० [सं० खण्डनम् ] १ टूट-फूट होना, टूटना। खंडित होना । २ कम होना, घटना । ३ विभक्त हो जाना । ४ खंडन करना, तोड़ना । ५ नष्ट करना । ६ संहार करना । ७ मारना । ८ निराकरण करना । ९ साथी को छोड़ देना । १० पृथक होना ।
खंडत - देखो 'खंडित' ।
पर होने वाला - बंड, बिहंड, । टूक-टूक ।
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खंडर-पू० १ नाग, संहार, ध्वंस २ देखो 'खंडहर'। खंडरणौ (बी) - क्रि० १ विध्वंस या नाश करना। २ मारना, संहार करना ।
खंड-पु० [सं०] मंडल] १ गवारी योद्धा, वीर २ देखो 'खंड' | खंडव- देखो 'खांडव' ।
खडवाळिपौ- ० [सं०] [ माच] गान से पत्थर निकालने वाला श्रमिक |
खंडहर - पु० [सं० खंड + धर] इमारत का भग्नावशेष | टूटा
मकान ।
खंड-स्त्री० [सं० खंड ] तलवार, खड्ग । खंडक - वि० [सं० खंड: + रा० प्र० प्राक] संहार करने वाला । खंडी (पी) - स्त्री० [सं० क्ष द्राण्डपीन] मछली ।
मंदार देखो रहर' ।
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खंडी - स्त्री० [सं० खंडिनी ] १ पृथ्वी । २ एक प्रकार का व्यंजन ।
३ देखो 'खंड' । ४ देखो 'खांडव' । ५ देखो 'खांड' । खंडीवन- पु० खांडववन । खावक - पु० अग्नि, आग | खंडोखंडि - वि० खंड-खंड, ट्रक-ट्रक |
खंडौ- पु० [सं० खण्ड ] १ चुनाई का पत्थर । २ देखो 'खंड' | ३देखो 'खांडी' |
धाबार
jat - पु० १ धातु के बर्तनों की आवाज । २ झणझरणाहट । [सं० जनक] ३ चूहा ।
यंती १ अभिलाषा, इच्छा उत्कण्ठा । २ दाढ़ी । ३ देखो 'खत' ।
सि (ती) - स्त्री० १ लगन, इच्छा, अभिलाषा २ होश, चेतना । ३ देखो 'माति' ।
'खंतौ- देखो 'खातो' ।
खंदक (डी) - स्त्री० [अ०] १ शहर या किले के चारों ओर खोदी हुई खाई । २ खदान | ३ खाई, खड्डा, गर्त ।
खंदाखिौ - देखो 'खंधी' |
दाखल स्त्री खंदार - देखो 'गांधार' । बंदी देखो 'संधी' ।
खदेड़ी (दो) देखो 'पेड़ों' खो-देखो 'बंधी' ।
हस्ती हाथापाई
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खंध - पु० [सं० स्कंध ] १ कंधा अंश । २ शवयान के कंधा देने की क्रिया । ३ शरीर ४ गर्दन । ५ काव्य छन्द का एक भेद । ६ श्रार्या छन्द का एक भेद ।
खंधवालि - वि० [ स्कंध + बाल] वह जिसके कंधे पर बाल बिखरे हुए हों।
खंधारण (न) - पु० [सं० स्कंधानम् ] गाह्रा छन्द का एक भेद । धागळि स्त्री० [सं० स्कंधकलि ] एक प्रकार का खेल । धाबार बंधार५० [सं० स्कंधावार:] १२ मंग्य शिविर ३ फौज, सेना ४ घोड़ा । ५ राजा, सरदार | ६ एक प्राचीन देश, 'कांधार' ।