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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रांति के लड़ो मनोहर । ७ भयभीत । ८ ग्रस्त । -पु० १ घोड़ा । २ पैर । या किये जाने के वाचक हों, खाणी, सोणो अादि । ३ देखो 'कांति'। -करम-पु० मृतक-संस्कार। -कांड-पु० कर्म कांड का शास्त्र । कांति-स्त्री० [सं०] १ उपद्रव । २ विद्रोह । ३ अान्दोलन । ----जोग-पु० देव पूजन । देवालय निर्माण । ----फळ-पु.. ४ उलटफेर । ५ भारी परिवर्तन । ६ आक्रमण । ७ गति । | कर्मानुसार फल । ---सक्ति-स्त्री कार्य करने की क्षमता। ८ अग्रगमन । ६ पग, कदम । १० विषुवत रेखा से किसी ईश्वरीय शक्ति । -सून्य-वि० कर्मशून्य, कर्महीन। --स्नान ग्रह मण्डल की दूरी । ११ एक कल्पित वृत्त जिस पर सूर्य | -स्त्री० स्नान की एक विधि । भूमि के चारों ओर भ्रमण करता है। किस-देखो 'क्रस'। क्रांतिसाम्य-पु० [सं०] ज्योतिष में ग्रहों की तुल्य क्रांति । क्रिसन-देखो 'क्रमगा। कांमत (ति, ती)-स्त्री० १ चमत्कार, करामात । २ शौर्य, क्रिसनवरतमा-स्त्री० [सं० कृष्णवर्मन् | अग्नि, प्राग । पराक्रम । ३ युद्ध । ४ देखो 'कांति' । क्रिसनागर (रौ)-देखो 'किसनागर' । कांयंती-१ देखो 'क्रांति' । २ देखो 'कांति' । क्रिसारण (न, नु)-स्त्री० [सं० कृशानु] १ अग्नि । २ किसान, काय-क्रांय, क्रांव-क्रांव-स्त्री० कौवे की बोली, कांव-काव । कृषक । काथ-पु० [सं०] १ एक नाग का नाम । २ एक बंदर। क्रिसोदरीय-वि० [सं० कृशोदरी] पतली कमर या कटि की। कासळक (क्क)-पु० मस्ती में पाए हुए ऊंट के दांतों के टकराने | क्रिस्णागर (रौ)-देखो 'क्रिसनागर' । की ध्वनि । किस्स-देखो 'क्रम'। कासलको (क्को)-पु० मस्ती में दांत बजाने वाला ऊंट । कोडणी (बी)-क्रि० क्रीड़ा करना, मलना । काह-स्त्री० पशुओं को बांधने की रस्सी, पाश, राम । क्रीड़ा-स्त्री० सं० १ केलि, कल्लोल । २ खेल । ३ प्रामोदकाहि-स्त्री० करुना क्रन्दन, त्राहि-त्राहि । प्रमोद । ४ रति-क्रीड़ा, सम्भोग । ५ मजाक, दिल्लगी। क्रिखि (खी)-देखो 'सि'। ---प्रिय-वि• विलासी। रसिक । क्रिगळ-देखो 'कंगळ' । कोट-१ देखो 'किरीट' । २ देखो' कीट'। क्रित-देखो 'ऋत'। क्रीडणौ (बौ)-क्रि० क्रीड़ा करना, खेलना । क्रितक्क-देखो 'ऋतिका'। क्रीत-वि० [सं०] खरीदा हुया । मोल लिया हुमा । -पु० १ बारह क्रित-क्रित-देखो 'ऋतक्रत्य' । प्रकार के पुत्रों में से खरीदा हा पुत्र । २ देखो 'कीरती' । क्रितमन-पु० [सं० ऋतुमनाः] इन्द्र । क्रीतड़ी-देखो 'कीरती'। क्रितानंत-देखो 'क्रांत'। क्रीला-देखो 'क्रीड़ा। क्रितारथ-देखो 'कतारथ' । क्रोस-स्त्री० चिग्घाड़। क्रितारथी-कि० वि० १लिए वास्ते । २ देखो 'क्रतारथी' । कुचपद-पु० एक वणिक छन्द विशेष । ऋिति-देखो 'ऋति' । झड़ी कु झि झी, कुम-देखो, 'कुरज' । क्रिपरण-देखो 'ऋपण'। कुद्ध, ऋध-नि० [सं०] कुपित, क्रोध युक्त। क्रिपांरण-देखो 'ऋपारण'। क्रुधांगरणी (नो)-स्त्री० क्रोधाग्नि । क्रिपा-देखो 'क्रया'। -नाथ = 'क्रपानाथ' । क्रुधार-वि० क्रोधी। क्रियमाण-वि० [सं० क्रिपमाण] १ करने योग्य । २ किया जाने वाला । -पु०१ कर्म के चार भेदों में से एक । २ वे कर्म जो क्रूझ (डी)-देखो 'कुरज। वर्तमान समय किए जाते हों। कर-वि० [सं०] १ निर्दयो। २ नगंस। परपीड़क । क्रिया-स्त्री० [10] १ कोई कार्य, कर्म । २ प्रयास, प्रयत्न, ४ पातयायी। ५ नीच, बुरा । ६ घोर । ७ तीक्षा, तीखा। चेष्टा । ३ प्रक्रिया, विधि । ४ अनुष्ठान । ५ प्रारंभ । ८ उष्ण, गरम । ९ भयानक । -पु० १ ज्योतिष में विषम ६ शौचादि नित्य कर्म । ७ प्रायश्चित । ८ उद्यम, उद्योग, राशियां । २ पाप ग्रह । -वंती-स्त्री० दुर्गा का एक नाम । व्यापार । ६ उपाय । १० उपचार । ११ परिश्रम । ---द्रक-पु० शनिग्रह । मंगल ग्रह । --वि० दुष्ट, नीच । १२ शिक्षण । १३ व्याकरण का एक अंग । १४ मतकसंस्कार । १५ अभ्यास । १६ श्राद्ध आदि कर्म । १७ न्याय ऋता-वि० [सं० वेतृ] खरीददार । -पु०म० क्रतुः सतयुग । या विचार का साधन । १८ पूजन । १६ शुभाशुभ कर्म । यन्व २० व्याकरण में वे शब्द जो किसी कार्य,घटना प्रादि के होने के लड़ौ-पु० ऊट । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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