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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोडाळी ( २६२ ) कोपट कोडाळी-वि० (स्त्री० कोडाळी) १ स्वागत करने वाला । कोणाघात-पु० [सं०] एक लाख हुडक व दस हजार ढोलों की २ प्यार करने वाला। ३ उमंगित । -पु० १ एक | एक साथ बजने की आवाज । प्रकार का धब्बेदार सर्प। २ ऊंट के गले का प्राभूषण। कोत-पु० बन्दूकों का जुड़ा। ३ छोटा शंख। कोतक (ग)-देखो 'कौतुक'। कोडि-स्त्री. १ किनारा, तट, कोर । २ देखो 'कोडो'। कोतकी (गी)-देखो 'कौतकी' : कोडिमाळ (नौ)-पु० [सं० कोड़-पाल] १ सूअर, वराह । कोतरणौ (बौ)-देखो 'कू'तणौ' (बौ)। २ वराह अवतार । ३ देखो 'कोडायतौ' । | कोतल-पु० [फा०] १ बिना सवार का सजा-सजाया घोड़ा। कोडियाळी-स्त्री० १ कौड़ियों की माला। २ एक प्रकार की २ राजा की सवारी का घोड़ा । ३ आवश्यकता के लिए चिड़िया । ३ देखो 'कोडयाळी' । तैयार रहने वाला अन्य घोड़ा। कोडियो-पु. १ कुम्हार का एक उपकरण । २ घास विशेष । कोतवाळ-पु० [सं० कोट्टपाल] १ नगर रक्षक, पुलिस कोडियो-देखो 'कोढ़ियो' । अधिकारी । २ साधु का चिमटा । ३ कुत्ता । ४ देखो कोडी-स्त्री० [सं० कपर्दिका] १ कौड़ी, कपर्दिका । २ अांख के कोटवाळ'। अदर का श्वेत भाग । ३ अांख का टेला। ४ उमंग, उत्साह ।। कोतवाळी-स्त्री० १ कोतवाल का पद । २ कोतवाल का कार्य । ५ तट, किनारा। -वि० १ हर्षित, प्रसन्न । २ अभिलाषी, ३ कोतवाल के कार्य करने का दफ्तर । उमंगित । ३ श्वेत, सद*। ४ देखो 'करोड़' । कोता-वि० [फा० कोतह] १ छोटा, लघु । २ कम, अल्प । ५ देखो 'कोड़ी' । --खांनी-स्त्री० एक प्रकार की कटार । कोडीको (ळी)-वि० (स्त्री० कोडीली) हर्षित, उमंगित, कोताई-स्त्री० [फा० कोताही] १ कमी, अल्पता । २ लघुता, शौकीन । । छोटापन । ३ भूल, गफलत । ४ लापरवाही । कोडे, (.)-क्रि०वि०१ उत्साह से,उत्सुकता से । २ कहां किधर। कोताड़ी-स्त्री० छोटे कानों की बकरी। कोडौ-पु. १ एक प्रकार का धब्बेदार सर्प । २ बड़ी कौड़ी। कोतिक (क्क, ग)-देखो 'कौतुक' । ३ बच्चा, बालक । ४ कुढ़न, जलन । ५ वर्षा की छोटी कोतिल-देखो 'कोतल' । छोटी बूदें। कोतुक-देखो 'कौतुक'। कोड्याळी-देखो 'कोडियाळी' । कोतुहळ (हल)-देखो 'कौतुहळ' । कोढ़-स्त्री० [सं० कुष्ठ] रक्त एवं त्वचा संबंधी एक संक्रामक कोथळियौ, कोयळी-स्त्री०१ कपड़े की छोटी थैली। २ ऐसी थैली __रोग, कुष्ठरोग। में भरा सामान। कोढरण (णी)-स्त्री० कुष्ठ रोग से पीडित कोई स्त्री। कोथळी-पु० १ बड़ा थैला । २ जाटों की एक वैवाहिक प्रथा । __ -वि० दुष्टा। कोयी-स्त्री० म्यान के शिरे पर लगा धातु का छल्ला । कोढ़ियो, कोढी-पु० (स्त्री० कोढ़णी) कुष्ठ का रोगी । कोदंड-पु० [सं०] धनुष। कोद-स्त्री० १ दिशा । २ कोना । ३ नोक । -क्रि०वि० ओर, -वि० दुष्ट । तरफ। कोण-पु. १ कोना । २ दो रेखामों के बीच का अंतर । कोदाळ-पु० १ एक प्रकार का अशुभ घोड़ा । २ कुदाल । ३ दिशा । ४ दो दिशामों के बीच की विदिशा । ५ सितार कोवाळी (लो)-देखो 'कुदाळी' । बजाने की नखिया । ६ मंगल ग्रह । ७ शनिग्रह । ८ तलवार कोदू-पु० कौंदा नामक हल्का अनाज । आदि शस्त्रों की पैनी धार । ९ जन्म कुंडली में लग्न से | कोन, कोनन-देखो 'कोरण'।। नवम व पंचम स्थान । -दंड-स्त्री० घर के कोने में की कोनार-स्त्री० किसानों से लिया जाने वाला एक कर । जाने वाली कसरत । -- लग--पु० चलते हुए लगड़ाने वाला कोनी (कोन्यां)-क्रि०वि० नहीं, कभी नहीं। घोड़ा। ----संकु-पु० सूर्य की एक स्थिति जब वह न तो कोगवृत्त में होता है न उन्मडल में । कोनीयौ-पु० चौकोर वस्तु की मजबूती के लिए चारों ओर लगाया जाने वाला लोहे की पत्ती का बंद । कोणप-पु० [सं० कोणप) १ राक्षस, असुर, दैत्य । २ शव, | कोप-पु० [सं०] १ क्रोध, गुस्मा, रोष । २ रूठने का भाव । मुर्दा। -कोरण-पु० नैऋत्य कोण । ३ नायिका का मान । ४ नाराजगी। --भवन-पु० राज कोणस्त-पु० शनिश्चर। महल का एक कक्ष जिसमें रानियां हठ कर जाती थीं। कोणाकोणी-क्रि०वि० एक कोने से दूसरे कोने तक । कोपट-पु० संहार, ध्वंस । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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