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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अक्षांस www.kobatirth.org ( १ ) अक्षांस - पु० [सं०] अक्षांश ] १ भूमध्य रेखा से उत्तर-दक्षिण का अन्तर २ किती मानचित्र में उत्तर से दक्षिण की और खिवी हुई रेसाया उस रेखा का अंश । ३ भूमंडल पर पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली कल्पित रेखा । अक्षि स्त्री० [सं०] १ ग्रांख, नेत्र । २ दो की संख्या । अक्षर देखो 'अक्षर' । प्रक्षी देखो 'ग्रक्षि | 1 पक्षी १५० [सं०] १ क्षीण का पर्याय मोटा तात्रा पुष्ट । २ सवल । ३ सक्षम । ४ अविनाशी, अनश्वर । ---महांणसी, महारणसी, मांणसी - स्त्री० अन्नपूर्णा शक्ति, दान के लिये खाद्यान्न प्रक्षय रहने की सिद्धि । प्रक्षण - वि० [सं० प्रक्षुण्ण ] १ कभी न खुटने वाला, समाप्त न होने वाला । २ अनन्त, असीम । ३ श्रखण्डित, अभग्न । ४ समस्त, समूचा । ५ अपराजित । ६ अनाड़ी, अकुशल ७ असाधारण, विशिष्ट । ८ सदैव व निरन्तर रहने वाला । श्रक्षोभ पु० [सं०] १ दुख:, शोक या कष्ट के प्रभाव की अवस्था । २ शान्ति । ३ स्थिरता, दृढ़ता । ४ धीरता । ५ नोभ रहित अवस्था । - वि० १ स्थिर । २ धीर, गंभीर शान्त | अक्षौहिणी स्त्री० [सं०] १ पूरी चतुरंगिनी सेना । २ मेना का एक परिमाण या संख्या जिसमें १०९३५० पैदल ६५६१० घोडे २१८७० रथ व २१८७० हाथी होते थे । श्रखंग- पु० १ बेदाग पशु । २ देखो 'अखंड' | प्रखंड - वि० [सं०] १ जो खण्डित न हो, प्रभग्न । २ कभी न टूटने वाला, अटूट ३ जो निरन्तर हो, अविच्छिन्न, प्रवाध । ४ श्रविभक्त। ५ सम्पूर्ण समूचा ६ अजर, अमर, अनश्वर । - पु० १ ईश्वर, परमात्मा । स्त्री० २ गिरिजा, पार्वती 1 - कुमारी - स्त्री० गिरिजा, पार्वती, कुमारी कन्या । गोमति' । अखंडन ०ि० घमण्डन] मंग १ जिसका खण्डन न हो, अखण्डित २ पूर्ण पूरा ३ स्वीकृत, मंजूर | १ जहां खण्डन का प्रभाव हो । २ परमात्मा, ३ कान, समय । पु० ईश्वर | अखट पु० अकड़ता हुआ चलने वाला घोड़ा (शा. हो. ) | कभी अखडी - ० प्रक्षर श्रखरण- पु० मुख, मुंह | प्रखरणी स्त्री० १ मांस का शोरबा । २ यक्षिणी । ३ जिह्वा, जीभ । ४ कहनी, कथनी । अखंडळ. अजंडळीस-देखो 'ग्राखंडळ' | खंडित - वि० [सं०] १ जो खण्डित न हो, प्रभग्न । २ पुरा, ममुचा । ३ जो निरन्तर हो, जिसका क्रम न टूटता हो, अटूट निर्वाद ४ विभाग रहित, पविच्छिन । घडियाल स्त्री०क्षतयोनि स्त्री, कौमारिका । अखंड, अखंडौ- देखो 'अखंड' | 1 श्रख पु० बाग, बगीचा | खगरियो - पु० [फा. अखगरिया ] एक प्रकार का प्रशुभ घोड़ा । अखड़ - स्त्री० बिना जोती हुई भूमि, परती । पु० १ एक अशुभ घोड़ा जो ठोकर खाकर चलता है। २ देखो 'ग्रक्स' । श्रखखौ (ब)-देखो 'लकड़ी (बी)' । श्रखड़भूत-पु० घोड़ो का एक रोग । प्रखत Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि० १ अकड़ने वाला २ घड़ियल झगड़ालू । ३ बलवान, शक्तिशाली । ४ योद्धा, वीर । -पु० पहलवान, मल्ल । अखज, अखज्ज - वि० [सं० अखाद्य ] जो खाने योग्य न हो, अखाद्य कुपथ्य | खणी, ( बौ) - देखो 'आखणी' (बी) । प्रखणियाँ - वि० कहने वाला । प्रखत- वि० १ प्रटल, स्थिर, निश्चल २ देखो 'प्रक्षत' । खतपीळा - देखो 'पोळायाखा' अखर श्रखतियार अखत्यार, श्रख्तियार देखो 'इखत्यार' | अखत्यारपण, (पणौ ) - पु० १ स्वत्वाधिकार की भावना | २ अधिकार की भावना । अखत्र - वि० १ भयंकर ३ देखो 'प्रश्नत' | श्रखन- देखो 'अखंड' । भयावह । २ अगरिणत, अपार । नारी-देखोनकुपारी' (स्त्रीप्रान कंवारी, कुमारी ) | अखनी - पु० [फा० यस्ती ] १ पका हुआ मांस या मांस का शोरबा । २ संचित अन्न या धन राशि । अखबार पु० [20] दैनिक समाचारपत्र, समाचारपत्र । नवीस पु० पत्रकार । अखम वि० १ दृष्टिहीन यंत्रा २ देखो 'अक्षम' । श्रखमता- देखो 'क्षमता' । श्रपमाळा स्त्री० १ वशिष्ठ की २ देखो 'अक्षमाळा' । प्रखय देखो 'अक्षय' । पत्नी प्रखयकुमार देखो 'अक्षयकुमार' | कुमारी देखो न कंवारी' | For Private And Personal Use Only सामायिक अस्ती । (वड़, वट ) देखी 'अक्षपट' | त्री० [सं. चतवा]] १ देवी, दुर्गा, महामाया । २ देखो 'प्रक्षय' | प्रखर-देखो 'अक्षर' |
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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