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नच
कछी
कच-पु० [सं०] १ केश, बाल । २ रोम । ३ चोटी, शिखा । | कच्चीनकल (रोकड़)-स्त्री० एक प्रकार की बही जिसमें व्या
४ सूखा हुआ जख्म । ५ झुंड । ६ अंगरखे का भाग। पारी दैनिक प्राय-व्यय का हिसाब रखता है। ७ काच । ८ देखो 'कुच'। -वि. १ कच्चा। २ श्याम । कच्चीपक्की-स्त्री० एक देशी खेल ! ३ देखो 'कच्छ' । .....कबरी-स्त्री० बालों में पुष्प गूंथने की | कच्चौ-देखो 'काचौ'। क्रिया। --कोळो-स्त्री० काच की चूड़ी । ---बीड़ी-स्त्री० कच्छ -पु० [सं०कच्छ, कक्ष] १ कांख, वगल । २ पार्श्व ३ तट, लाख की चूड़ी जिसमें काच जड़े हों। --मेड़ी-स्त्री० रंग किनारा । ४ हाशिया । ५ सीमा । ६ गोट, मग्जी । ७ नाव महल । —लूरण-पु. एक प्रकार का नमक ।
का एक हिस्सा । ८ सूखी घास। ९ जंगल । १० भूमि । कचनार-पु०१ एक प्रकार का वृक्ष । २ इस वृक्ष का पुष्प। ११ घर । १२ कांख का फोड़ा । १३ पाप, दोष । कचपच, (पिच)-स्त्री० अस्पष्ट ध्वनि या आवाज ।
१४ कांछ । १५जलप्रायः देश । १६ नदी या समुद्र किनारे की कचर-पु० १ कूड़ा-कचरा । २ कुचल कर किया गया चूरा । भूमि । १७ गुजरात के समीप एक प्रदेश । १८ धोती की ३ कोल्हू में अध कचरे तिलों का समूह ।
लांग । १६ छप्पय छंद का एक भेद । २० देखो 'कच' । कचरघण, (घन, घारण)-पु० कुचल कर किया गया चुरा ।। २१ देखो 'कच्छप'। २२ देखो 'काछी' ।
२ कचूमर । ३ कोचड़ । ४ संहार, नाश । ५ विध्वंस । कच्छप-पु० [सं० कच्छप:] १ कछुपा । २ विष्णु के चौवीस ६ अधकवरी अवस्था ।
अवतारों में से एक। ३ कुबेर की नौ निधियों में से एक । कचरणौ (बौ)--क्रि० १ कुचलना । २ मसलना । ३ चूरा करना। ४ दोहे छंद का एक भेद । ५ घोड़े के मस्तक का एक रोग। कघराबी (ह)-पु० ध्वंस, संहार।
--वंस-पु० कछवाहा वंश । कचरोळी-पु०१ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला । २ कचरा ।
कच्छपी-स्त्री० [सं०] १ सरस्वती की वीणा । २ कछवी । कचरौ-पु० १ कूड़ा-करकट । २ व्यर्थ सामान का ढेर । ३ कच्चा |
कच्छियो-१ देखो 'कच्छप' । २ देखो 'कछियौ' । खरबूजा । ४ निरर्थक वस्तु, फूस ।
कच्छी-स्त्री० १ जांघिया । २ एक प्रकार की सलवार । ३ कच्छ कचहड़ी-देखो 'कचेड़ी'।
का निवासी । ४ कच्छ का घोड़ा। ५ काछ का ऊंट या कचाई-स्त्री० १ कच्चापन, कच्चाई । २ कमजोरी । ३ अनुभव
मादा ऊंट। की कमी।
कछ-१ देखो 'कच्छप' । २ देखो 'कच्छ' । ३ देखी 'काछ' । कचारा-स्त्री० काच की चूडी बनाने का व्यवसाय करने वाली
४ देखो 'कुछ'। जाति। कचारों-पु० उक्त जाति का व्यक्ति ।
कछरपो-देखो 'कसणौ' । कचिया-स्त्री० कंचुकी।
कछणा(बी)-क्रि० १ शस्त्रास्त्र से सुसज्जित होना । २ कसना। कबरि-स्त्री० बालों का जूड़ा ।
३ बांधना। कचूर-पू. हल्दी की जाति की एक औषधि विशेष । नर कचूर। कछदाद-पू० पेड़ के संधिस्थल व अण्डकोश पर होने वाला कचेड़ी, कचड़ी-स्त्री० न्यायालय, अदालत । दरबार ।
दद् रोग। कचोट-स्त्री० घातक प्रहार। प्राघात ।
कछनो-स्त्री० १ कच्छी, जांघिया । २ कछौटा। कचोरी, कचौरी-स्त्री० [सं० कर्चुरिका] नमकीन खाद्य पदार्थ
कछप-देखो 'कच्छप'। कघोळ (उ, डो)-१ निदा, बुराई । २ देखी 'कचोळी' ।
कछपी (बी)-देखो 'कच्छपी' । कचोलड़ी कचोलड़ौ कचौला, कचौली,कचौलु-स्त्री. १ कटोरी। कछर-पु० [सं० कच्छ्र] १ दुःख, क्लेश । २ कष्ट, पीड़ा।
२ तश्तरी । ३ चिलम के नीचे का हिस्सा । ४ काच ३ पाप का दुःख । की चूड़ी।
कछव-देखी 'कच्छप'। कचोळी-पु० १ कटोरा, प्याला । २ निंदा, अपवाद ।
कछवी-पु० १ घोड़ों का एक राग । २ देखो 'कच्छपी' कच्चर-वि० [सं०] १ मलिन, मैला । २ दूषित । ३ अस्वस्थ । ४ देखो 'कचर'।
कछांट-स्त्री० कठिनाई से दूध देने वाली गाय या भैस । कच्ची कुड़क (को)-स्त्री० किसी मुकद्दमें के फैसले से पहले जारी
कछियांगो-स्त्री. १ कच्छ देशोत्पन्न देवी। २ गावड़ या संगी देवी। किया जाने वाला आदेश जिससे जायदाद में हेरा-फेरी| कछियो-पु० जांधिया, कच्छा । -वि० रसिक । न हो
कछी-देखो 'कच्छो' ।
विशेष ।
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