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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 良 www.kobatirth.org ( १८३ ) देखो'काळी' कठसरी - स्त्री० [सं० कंठश्री ] गले का हार, माला । करच वि० [सं०] स्थ] १ जवानी याद कंठाय २ कंठ से उच्चारण किया जाने वाला । ३ कंठगत । ४ गले में [सं० कांस] १ पति । २ ईश्वर । माना। । ७ पात्र का किनारा । पड़ोस ९ तलवार । कांत, (डी) (तौ) - पु० - वि० १ अच्छे स्वर वाला सुस्वर । २ बैंगनिया रंग का । ३ स्वामी, मालिक । ४ सात मात्रात्रों का एक मात्रिक - आमरण पु० गले का हार छंद । —हरख - स्त्री० शय्या, सेज ! का व जाली पट्टी कतारी० [सं०] कांता]] स्त्री, पत्नी कंठ पर होने वाली भंवरी (शुभ) कांतार, कांतारक - देखो 'कांतार' । का हार । गले का एक रोग । कतुकी - स्त्री० केतकी । पर होने वाली गौरी (अशुभ) कर- पु० १ खलिहान कला कंटोला वृक्ष विशेष बाल पु० म िस्त्री० घोड़े के । -माळ, माळा - स्त्री० गले -सूळ - पु० घोड़े के कंठ कंठ का रोग विशेष ०१ गते काभूषण २ देखो'काळ' अटका हुआ । कठाग्र, कंठाग्रहण - पु० प्रालिंगन । - वि० कंठस्थ । कंठाळ (क) - पु० ऊंट | कंठाळी- वि० १ बलवान । २ मधुर राग से गाने वाला । ३ देखी 'लक'। डाळ - पु० [सं० करनाल ] तुरही नामक वाद्य । कडी-स्त्री० टोकरी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कडी ०१ पत्थर की बुनाई करने वाला २ देखो 'कड़ियों' कंडीर [वि० [स्त्री० [कंडीरण) १ भयंकर भवाय २ पेटू बहु भक्षी । ३ बड़ा फीमची । स्त्री० करवीर । कडकर - पु० [सं०] कपिकच्छु नामक लता, कउंच 1 कडू, (य) या स्त्री० [सं० कंड्या ] खुजली । कर देखो 'क'। कशदोरी-देखो 'दो कायर - देखो 'कर' । सारी-देखो सारी क कठि ( का, य) - स्त्री० १ तट । २ कगार । ३ देखो 'कंठी' । -राव पु० सिंह, व्या कंठी-स्त्री० [सं०] १ गर्दन २ गले की माला गले का आभूषण । ४ रक्त चंदन की माला । ५ कुछ पक्षियों के गले की लकीर । ६ तलवार की म्यान का एक भाग । ७] गुंज, पट्टा कालरबंध वि० अनुवायी, शिष्य -र, रव ५० सिंह शेर कबूतर । मादा हथिनी । -रण, रणी - स्त्री० सिंह्नी रल, रवी, रोम्रौ पु० सिंह । कंठी पु० मणियों का हार २ बड़े मोिं की माला कंदरा (री) स्त्री० [सं०] कंदरा ] गुफा, गुप्त स्थान । ३ कंठ का प्राभूषण । ४ गला, कंठ । -कर-पु० पर्यंत पहाड़ कड, (म) - वि० १ चालाक, धूर्त । २ पाखंडी, ढोंगी । ३ बेकार, केवळ पु० [सं० कंदलः] १ नाश, संहार, ध्वंस । २ युद्ध, कलह । ३ शोरगुल । ४ सोना, स्वर्ण । ५ टुकड़ा । ६ समूह | (न)-१ देखो 'दळ' २ देखो 'कु ंदन' | कप, कदरप पु० [सं०] कंदर्प ] १ कामदेव २ श्रीकृष्ण के पौत्र का नाम । ३ पौरुष, पुंसत्व - वि० कुत्सित दर्पवाला, प्रभिमानी। यह स्त्री० त्रयोदशी । । । 7 व्यर्थ । ४ सवृत्त । में पड़ा रहने वाला भूसा । २ एक देखी 'कांतार' | कती, कांथ (थ) - देखो 'कंत' । बड़ (डी) - ० १ नाथ सम्प्रदाय का साधु २ देखो 'कंत'। कंपड़ी कधी स्वी० बीचड़ों को जोड़कर बनाया हुधा पहनने का वस्त्र । २ फकीरों का चोगा । ३ गुदड़ी। - धार, धारी- पु० शिव, महादेव, संन्यासी । कद - पु० [सं०] १ आलू, मूली, गाजर आदि जड़ीय पदार्थ । मूल, जड़ । २ गुलाब के फूल चीनी के साथ जमा कर बनाया हुआ खाद्य पदार्थ (गुलकंद ) । ३ मेघ, बादल । ४ योनि का एकरोग । ५ एक वर्ग वृत्त । ६ छप्पय छंद का एक भेद । ७ दु:ख, उदासी ८ कलंक । ९ श्यामता । १० नौ निधियों में से एक । ११ समूह । १२ कंधा । - वि० मूर्ख । --क-पु० वितान, चंदोवा । —चर - पु० सूर - मूळ- पु० जड़ीय पदार्थं । For Private And Personal Use Only कंदळी स्त्री० १ ध्वजा, पताका । २ देव वृक्ष । ३ छठी बार निकाला गया तेज शराब । ४ एक प्रकार का हरिण । ५ युद्ध, समर । ६ देखो 'कदळी' । बार देखो'गंधा' - कंदारौ पु० पथ, रास्ता । दा० [सं०] स्कंधालय ] धनुष कदीजलौ (बौ)-देखो 'किंदणी' (बी)। कंदील - पु० अंग्रा, नोक, तीर । कटुक--पु० [ कंदुकः ] गेंद । कंटू, कड़ी- पु० ग्वार या तिल के कटे पौधों का व्यवस्थितढेर | गंज ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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