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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उवाड़ो उवाड़ी - पु० २ देखो 'अवाडी' । [सं० ऊधस] १ गाय, भैंस आदि का ऐन उसाड़ी- देखो 'उवाड़ी' । उबारा ५० या वर उवारस (बी) देखो 'वारी' (बौ उबारसी स्त्री० ० सहायता मदद - वि० मददगार । उवारी - वि० १ रहित, वंचित २ देखो 'उबारों' । उवासी- देखो 'उबासी' । उवे सर्व० वे, उन, उस । उसने । वेली (बी) देखो'' (दो)। उवेलौ- 1-पु० १ विलंब । २ देखो 'ऊबेळ' । उवै सर्व० ० १ वह दे । २ उस उन । 1 , www.kobatirth.org उनौ गर्व० वह उम । १ 1 उस - सर्व ० १ वह का विभक्ति रूप । २ देखो 'ऊस' । उसी दि० (स्त्री० उगा ऐसा २ देखो 'इस'। उसरण (न) वि० [ उपल] प्रागम स्त्री०ग्रीष्म ऋतु । उसतरी- देखो 'स्त्री' । • उसन- देखो 'उस्ण' | उसनरसम ० [सं० उ-रश्मि ] सूर्य । उसना - पु० [सं० उशनस् ] १ शुक्र ग्रह । २ शुक्राचार्य | उस देवो''। ( १५५ ) उसतरौ पु० बाल साफ करने का उपकररण उस्तरा । उसताज, उसताब- पु० १ युद्ध लड़ाई । २ उस्ताद, गुरु । - वि० ० १ दक्ष, चतुर । २ चालाक, धूर्त । उसध - देखो 'ध' । उसम पु० [सं० प] ऋषभ। उसर - पु० [सं० औप्सरस] १ नाच नृत्य । २ देखो 'ऊसर' । ३ देखो 'असुर' | 15 उसरण (बी) कि० १ गर्म पानी में पकता । २ वर्षा का होना । ३ कुऐ के पानी में उतरना (बर्तन) । ४ बटोरना, एकत्र करना । ५ निकालना । ६ पीछे रवाना होना, जाना । ७ हटना, टलना ८ बीतना, गुजरना । ९ श्राक्रमण करना । १० भूलना । ११ फैलना, व्यापना | उसरांग ( यरण ) - देखो 'असुर' । उस (रु) देश धर उसवास पु० [सं० उच्छवास ] उच्छवास, उसास । उस (बी) देउसी' (श्री) । उसरणी (बौ) - क्रि० उठाना, ऊंचा करना । 'उसांस देखो 'उमास' । उसा स्त्री० [सं० उम्रा ] १ गाय २ तड़का भोर [सं०] ३ बाणासुर की पुत्री का नाम । - पति-पु० अनिरुद्ध कामदेव | काळ- पु० ● प्रतिःकाल | उसारणी (बी) - क्रि० १ गर्म पानी में पकाना । २ कुठे में उतारना, पानी में उतारना ( पात्र ) । ३ बटोरना एकत्र करना । ४ निकालना ( चक्की में से चुन ) । ५ पीछे रवाना करना, भेजना । ६ हटाना, टालना । ७ कुए से पात्र द्वारा पानी निकालना ८ आक्रमण कराना । उसास उसासौ-पु० [सं० उच्छवास ] १ लंबी सांस, निश्वास | २ उच्छवास ग्रह । ३ ठंडी सांस । ४ श्वास । उसोनर १० [सं० उत्तीर] मिवि का पिता एक राजा । २ गांधार देश । ३ इस देश का निवासी । उसीर ( क ) - पु० [सं० उशीर] गांडरनामक घास, खसखस । उसीली- पू० वसीला, सहायता, मदद जरिया । उसीस (सौ) - पु० [सं० उत्शीर्ष या उपशीर्ष ] तकिया । चौकि० देवता के निमित्त संकल्प पूर्वक कुछ वस्तु रखना । उसूल - पु० सिद्धान्त । उस्ट पु० [सं० उष्ट्र]] ऊंट शासन पु० पौरामी पासनों में से । । एक प्री- पु० भगंदर रोग [गी- पु० एक प्रकार का घोड़ा । उरुण वि० [सं० उष्ण] १ गर्म, उत २ तेज, तीव्र । ३ फुर्तीला । ३ तीक्ष्ण । स्त्री० १ अग्नि । २ गर्मी । ३ ताप । ४ धूप ५ ग्रीष्म ऋतु । —कटिबंध- -पू० कर्क और मकर रेखाओं के बीच का भू-भाग । ता - स्त्री० गर्मी, ताप, धूप । उणां १० [० उष्मां] सूर्य रवि उरणारस्म - पु० [सं० उष्णरश्मि ] सूर्य रवि । उस्रा - स्त्री० [सं०] गाय । पु० तड़का | प्रकाश । उत्सपि उस्सविषिणो ) पु० [० उत्] चढ़ना द्वारा पूर्ण होने का समय, काल 1 उह सर्व० वह । ० १ त्याज्य । २ देखो 'उह' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उहकाळणी (बौ) - क्रि० १ उछालना, कुदाना । २ डिगाना । उदौ - देखो 'प्रोहदौ' । उहब - वि० उख For Private And Personal Use Only उहां क्रि० वि० वहां, उधर । उहा देखो 'पोहा। ३ तेज | उहास (त) - १ प्रकाश, चमक। २ विद्युत रेखा | ४ उत्साह । -हास - पु० परिहास | उहासियो - वि० उमंगित उत्साहित जोशीला | उहि उहि उ.ही (ज) उहे सर्व वही वह । उस उसी । -कि० वि० 1 J सर्व० उन्होंने । उन । उमवि०वि० [सं०] इस वर्ष इस माल 1 o
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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