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उतार
( १३७ )
करना । ३३ पीना । ३४ नजरों से गिराना। ३५ तोड़ना, उत्क्रमण-पु० [सं०] १ अतिक्रमण, उल्लंघन । २ मृत्यु । चुनना । ३६ मुकाबले में लाना। ३७ कष्ट निवारणार्थ उत्क्रस्ट-वि० [सं० उत्कृष्ट ] श्रेष्ठ, सर्वोत्तम । कोई वस्तु वारणा । ३८ आरती करना, देवमूर्ति के प्रागे उत्क्रस्टता-स्त्री० [सं० उत्कृष्टता] श्रेष्ठता, बड़प्पन । धूप, ज्योति प्रादि घुमाना ।
उत्त'ग, (गौ)-देखो 'उत्तुंग' । उतारु (रू)-बि० १ उद्यत, तैयार, तत्पर । २ उतरा हुआ। उत्त-पु० [सं० उत्] १ आश्चर्य, संदेह । २ पुत्र, लड़का। ३ काम में लिया हुमा।
-क्रि०वि० उधर, उस पोर । उतारी-पु० १ ठहरने का स्थान, पड़ाव डेरा। २ ठहरने की उत्तन-पु० [अ० वतन] १ वतन, देश । २ जन्म भूमि । क्रिया । ३ नदी पार करने की क्रिया । ४ नदी पार कराने
उत्तपत्त (त्ति)-देखो 'उत्पत्ति' । पर दिया जाने वाला पारिश्रमिक । ५ टोना का दस्तूर ।
उत्तपाती-देखो 'उत्पाती' । ६ नकल । ७ फहरिश्त ।
उत्तप्त-वि० [सं०] १ खुब तपा हुआ । २ तप्त, संतप्त । उताळ-देखो 'उतावळ' ।
३ दुःखी पीडित । ४ दग्ध । ५ चितित । उत्ताळे-क्रि० वि० शीघ्र जल्दी।
उत्तमंग-देखो 'उत्तमांग'। उताळी-देखो 'उतावळो' । (स्त्री० उताबळी)
उत्तम-वि० [सं०] १ श्रेष्ठ, बढ़िया। २ पवित्र, शुद्ध । ३ मुख्य, उतावळ (ळि, ळी)-स्त्री० जल्दी, शीघ्रता, त्वरा ।
प्रधान । ४ सर्वोच्च । ५ सबसे बड़ा । ६ प्रथम । -पु. उतावळी-वि० (स्त्री० उतावळी) १ अातुर । २ जो हर काम में
१ विष्णु का नाम । २ श्रेष्ठ नायक । ३ राजा उत्तानपाद शीघ्रता करता हो। ३ उत्सुक । ४ बिना विचारे शीघ्रता
व सुरुचि का पुत्र । -अंग-पु० मस्तक, शिर । -गंधा करने वाला।
-स्त्री० मालती -तया-क्रि० वि० भली प्रकार, अच्छी उतिग-पु० चीटियों का घर ।
तरह । –तर, तरु-पु. चंदन वृक्ष । -ता, ताई-स्त्री० उतिम, उतिम, उतीम-पु. १ पांच सगण व एक ह्रस्व का श्रेष्ठता । पवित्रता । मुख्यता, प्रधानता । सर्वोच्चता ।
छन्द विशेष । २ देखो 'उत्तम' । -रस-देखो 'उत्तमरस' ।। भलाई । उत्कृष्टता । -वसा-स्त्री० ज्योति । दीपक । उतिपति-देखो 'उत्पति'।
श्रेष्ठ दशा । -पद-पु० श्रेष्ठ पद, मोक्ष । -पुरुष-पु० उतुळीबळ-देखो 'प्रतिबळ' ।
सर्वनाम के अनुसार प्रथम पुरुष, कर्ता । ईश्वर। -रसउतै-क्रि० वि० वहां, उधर, उस पोर ।
पु० दूध । --संग्रह-पु० सम्यक् संग्रह । एकांत में पर उतोलणी (बी)-क्रि० १ तौलना । २ शस्त्र उठाना । ३ मारना,
स्त्री से प्रालिंगन । वध करना।
उत्तमांग-पु० [सं०] मस्तक, शिर । उतो-वि० (स्त्री० उती) उतना ।
उत्तमा-स्त्री० [सं०] सर्वश्रेष्ठ स्त्री। उत्कंठा-स्त्री० [सं०] १ प्रबल इच्छा, अभिलाषा, त्वरा।
उत्तमाई-स्त्री० उत्तमता, पवित्रता।। २.खेद । ३ एक प्रकार का संचारी भाव ।
उत्तर-पु० [सं०] १ दक्षिण के सामने की दिशा । २ प्रश्न उत्कंठित-वि० [सं०] १ उत्सुक, चिंतित । २ व्याकुल आतुर ।
बात या पत्र का जबाब । ३ अस्वीकृति, मनाही । ४ मांग ३ प्रबल इच्छा वाला।
के बदले किया जाने वाला कार्य । ५ बहाना, मिस, ब्याज।
६ प्रतिकार । ७ एक प्रकार का अलंकार । ८ उत्तर दिशा उत्कंठिता-स्त्री० [सं०] उत्सुका-नायिका ।
का पवन । ९ शिव । १० विष्णु । ११ भविष्य । १२ राजा उत्कट-पु० [सं०] १ हाथी का मद । २ मदमाता हाथी ।
विराट का पुत्र । -वि० १ पिछला, बाद का । २ ऊपर -वि० १ श्रेष्ठ, उत्तम । २ लम्बा चौड़ा, विस्तृत ।
का । ३ श्रेष्ठ। ४ तेज, तीव्रगामी। ५ अपेक्षाकृत ऊंचा। ३ शक्तिशाली । ४ विकट, भयंकर । ५ उग्र । ६ अत्यधिक ।
६ बायां । ७ सम्पन्न । -क्रि०वि० पीछे, बाद में, अनन्तर । ७ नशे में चूर, मदोन्मत । ८ विषम । ६ प्रबल, तीव्र ।
-प्राखाडा-स्त्री० आषढ़ा नामक २१ वां नक्षत्र । --प्रासरण-पु० एक योगासन ।
-कळा-स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक। --काळ-पु० उत्करम-पु० [सं० उत्कर्ष] १ श्रेष्ठता, उत्तमोत्तम गुण । भविष्यत् काल । -काशी-स्त्री. उत्तर का एक तीर्थ स्थान ।
२ बड़ाई. प्रशंसा । ३ उन्नति । ४ प्रसिद्धि । ५ समृद्धि । --कुरु, कुरु-पु० जम्बू द्वीप के नव वर्षों से एक, जनपद, ६ उदय, विकास । ७ हर्ष, प्रानन्द । ८ अहंकार । देश । -क्रिया-स्त्री० अन्त्येष्टि क्रिया । पितृकर्म, ६ प्रभाव । १० प्रचुरता।
श्राद्ध । जीवन के अंतिम समय में ली जाने वाली प्रतिज्ञाएं।
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