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पासीद
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( ११५ )
श्रासीत - वि० [सं०] १ बैठा हुआ, विराजमान । २ उपस्थित । ३ स्थित । ४ सुशोभित । श्रासीरबाद, (वाद) - पु०
[सं० प्राशीर्वाद] १ शुभकामना सूचक शब्द | २ वरदान ३ दुग्रा, आशिस । प्रासीविव (स) १० [सं० चाशीविष] सर्प, सांप
सोस (डी) [स्त्री० [सं० सि] आशिस प्राशीर्वाद,
स्त्री० [पं प्राशुवति] मन्नि बाग घासे देखो 'घासव' ।
धातुपाठी देखो 'ग्रावपाळी'
धार पु० [सं०] १ रक्त, सून २ देखो 'घर' । -fão ० असुर संबंधी ।
श्रासुरांग - देखो 'असुर' ।
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प्रामुरी दि० [सं०] पर संबंधी, राक्षसी स्त्री० १ संख्या । २ राक्षसी, पिशाचनी । ३ शल्य चिकित्सा । -धरम पु० श्रसुरों की प्रकृति, स्वभाव, धर्म । धामू १० [सं० प्राश्विन] १ पाश्विन मास प्रासोज ।
२ देखो 'प्रसू' । ३ देखो 'ग्रासु' । आसूदगी - स्त्री० सम्पन्नता, वैभव । श्रासूदी आसूदी (धी)- वि० [फा० मासूद] ( स्वी० पासूदी, पी) १ आलसी, अकर्मण्य । २ संतुष्ट तृप्त । ३ सम्पन्न । ४ भरा-पूरा ५ बिना जुना । ६ थकान रहित । श्रासुररण-पु० मुसलमान ।
प्रास्त पु० प्रापत्ति, कष्ट, विपदा, दुःख । वि० श्रास्तिक । मास्तर पु० [सं० प्रस्तर] बिछोना।
मंगल प्रास्तिक वि० [सं०] ईश्वर व धर्म में प्रास्वा रखने वाला । श्रास्तिकता - स्त्री० [सं०] ईश्वर व धर्म में प्रास्था ।
कामना । दुआ । प्रासीसी (बी) कि० १ आशीर्वाद देना, दुआ देना २ मंगल प्रस्थांन पु० [सं० स्थान] १ बैठने का स्थान २ सभा, - । कामना करना । ३ वरदान देना ।
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बैठक, मंडप
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धातु क्रि० वि० [सं० धातु] जल्दी शीघ्र तत्काल पु० । १ वर्षाकालीन एक धान्य । २ प्रारण । ३ आश्विन मास । --कवि-पु० तत्काल कविता रचने वाला व्यक्ति । कवि । झाग पु० [सं० प्राशुग] १ बाण, शर, तीर । २ वायु । ३ मन । - वि० द्रुतगामी । - प्रासन पु० धनुष । श्रासुती स्त्री० [सं० ग्रासुतिः ] शराब, आसव 1 श्रासुतोस - वि० [सं० प्रशुतोष ] शीघ्र तुष्टमान होने वाला । ० शिव, महादेव ।
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घासेर पु० १किला, गड़ २ एक राजपूत यंग
श्रासोज-पु० [सं० प्रश्वयुज ] आश्विन या क्वार माम । चासोजी वि० उक मास संबंधी । —स्त्री० मास की तिथि । श्रासौ पु० [सं० प्रामत्र, ग्राश्रम] १ लाल रंग की एक शराव विशेष | २ तपस्या के समय काम आने वाला काष्ठ
उक्त
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ग्राहंची
का उपकररण । ३ सोने या चांदी से मंढा डंडा । ४ प्रोषधियों का अर्क । ५ बढ़ई का एक उपकरण । ६ यम पाश । ७ एक राग विशेष ।
प्रास्था स्त्री० [सं०] श्रद्धा, भक्ति ।
प्रास्थिसंस्कार - पु० एक प्रकार का दाह संस्कार ।
श्रास्पद - पु० [सं० प्रास्पदम् ] १ स्थान । २ कारण । ३ प्रतीक । श्रास्फाळ - पु० [सं०] १ भुजा ठोकने की आवाज । २ हाथी के कानों की फड़फड़ाहट ।
प्रास्य- पु० [सं० श्रास्यं ] १ मुख । २ डाढ़ । ३ चेहरा, शक्ल । ४ छेद । ५ कमजोर गाय के गर्भाशय का भाग जो प्रसव के बाद बाहर निकल जाता है । ६ छाछ के ऊपर पाने वाला पानी । [ सं प्राशय ] ७ प्रयोजन, मतलब, तात्पर्य । श्रास्यप - देखो 'सौ' ।
चास्या स्त्री० घामा, प्रमिलाया पुरी स्त्री० एक देवी । -भंग - स्त्री० निराशा ।
प्रास्रम, (म्म ) -- पु० [सं० श्राश्रम] १ ऋषि-मुनियों का निवास स्थान, तपोवन । २ कुटिया । ३ मठ । ४ विश्राम स्थान । ५ स्थान । ६ आर्यों के जीवन की चार अवस्थाऐं | ७ विद्यालय ८ वन उपवन चार की संख्या । - वि० ० चार।
श्रात्रय पु० [सं० श्राश्रय ] १ ग्राधार, अवलम्ब ।
मदद | ३ आधार वस्तु । ४ शरण, पनाह । ५ घर, मकान । द्यावयास स्त्री० [सं० प्राथवाश] चग्नि, धाग प्रास्रव - पु० [सं० श्राश्रव] १ कर्मों का प्रवेश द्वार, कर्म बंध ।
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हिंसा आदि । २ दोष । ३ प्ररण ।
श्रावकाळ (ळ) - पु० यौ० समय की ऐसी अवधि जब नवीन कर्म पुद्गल आत्मा के द्वारा गृहीत होते हैं। प्रात्रित वि० [सं० प्रार्थित) १ किसी पर पाचारित भय लंबित । २ शरणागत । - पु० सेवक, दास । प्रास्रीवाद - देखो 'आसीरवाद' ।
प्रास्वाद - पु० [सं०] स्वाद, जायका ।
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२ सहारा,
आस्वासन पु० [सं०] चखना या स्वाद लेना किया। घावात [सं०] वामन] सांरखना ती ढास
(ब) ० [सं०] [भ्यंचन] १ भटका देना देता । २ मारता, ध्वंस करना । ३ छीनना, झपटना ।