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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रानंद www.kobatirth.org यानंद (दी) १० [० घानंद) १ हर्ष, गुणी प्रसन्नता २ सुख । ३ मस्ती । ४ उत्साह । ५ फलित ज्योतिष का एक योग | कंद - पु० ईश्वर । श्रीकृष्ण । —दत, दातावि० ग्रानन्ददायक । स्त्री० प्रसन्नता । -- बधाई स्त्री० मांगलिक उत्सव भैरव- पु० एक रसौषधि । भैरवीस्त्री० एक रागिनी । - मंदिरासरण पु० चौरासी आसनों में से एक । आप गर्व० [सं०ग्रात्मन, प्] १ स्वयं खुद । २ तुम और वह का श्रादर सूचक | पु० जल पानी। करमी-वि० भाग्यशाली, स्वकर्मी । गरजी- वि० स्वार्थी । -घात पु० श्रात्म हत्या | घाती वि० श्रात्म हत्यारा । --च-स्त्री० आत्म हत्या | चक-स्त्री० घबराहट, बेचैनी, भय । प्रापगा स्त्री० [सं०] नदी, सरिता श्रापड़रौ ( बौ) - क्रि० १ पकड़ना । २ दौड़कर पहुंचना । पड़ा (बी० फि० पकड़ना श्रापण सर्व० अपना । श्रापड़ी - वि० (स्त्री० आपणड़ी ) अपने वाला | श्रारणपू (पौ) - पु० अपनत्व, ममत्व । ( १०४ ) श्रावण - स्त्री० [सं०] १ दुकान, हाट । २ बाजार । - पु० [सं०] अर्पण] ३ श्रद्धा पूर्वक दान सर्व० [सं० श्रात्मन्] । अपना, अपने अपन | प्रापरिणयाँ - वि० अर्पण करने वाला । प्रापणीय (स्त्री० [बाप थापणी) अपना हमारा " श्रापणी (बी) - क्रि० १ देना । २ अर्पण करना, भेंट करना । हुम देना । ४ धारण करना । , प्राप्त कि० बि० ग्राम में परस्पर। स्त्री० [सं० प्रपत्ति ] संकट, विपत्ति कष्ट हार, हारी वि० विपत्ति व संकट का हरण करने वाला | श्रापताप ( ताब) देखो 'ग्राफताब ' । श्रापती - सर्व० ग्रपन, स्वयं । ग्राप । प्रापति स्त्री० [सं०] १ विपत्ति, संकट । २ दुःख, क्लेश । ३ विघ्न, बाधा । ४ दोषारोपण । ५ ऐतराज, उज्र । ६ दुर्गति, दुर्दशा कष्ट काल । प्रापयी आप स० अपने प्रान स्वयं श्रापद- देखो 'आपत्ति' । 1 श्रपदतपुर दत्तात्रेय मुनि । आपदथित वि० [सं० प्रापादग्रस्त ] विपत्ति में फंसा हुआ । श्रापदा स्त्री० प्राफत ग्रड़चन । श्रापद्धरम- पु० आपात्कालीन धर्म । श्रापनांमी - वि० [सं० आत्मन्, नाम्न] अपने नाम से प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला, लब्ध प्रतिष्ठित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपन्न- वि० [सं०] १ प्राप्त उत्पन्न । २ गिरा हुआ । ३ ग्रापाद् ग्रस्त । श्रापपर, प्रापबीच क्रि०वि० आपस में परस्पर । प्रापमरणी - वि० सतर्क, सचेत । प्रायमल (लो)- वि० [सं०]पनी इच्छा से कार्य करने वाला । २ स्वतंत्र । ३ योद्धा, वीर । आपमा है - क्रि०वि० परस्पर आपस में । श्रापमुरादी (दौ), श्रापरंगी - वि० १ स्वेच्छाचारी । २ स्वतंत्र, आजाद | ३ अपने हाल में मस्त । आय वि० मूर्तिमान साक्षात् 1 प्रापरोळ- स्त्री० ० सहज स्वभाव, मस्ती | श्रापस - पु० १ परस्पर । २ निज संबंध, नाता । ३ भाई चारा । ४ साथ । ५ अत्यधिक श्रम । ६ गुस्सा | श्रापां सर्व० • हम । श्रापांगआपण पु० [सं० प्रापोपरि - । प्रापसवारची धापस्वारथी बि० प्रपनी स्वार्थ सिद्धि में तत्पर । चाहनांमी देखो 'धापनांमी' | श्रापहमला- देखो 'आपली' । प्रापणा ( ) - सर्व० अपने अपना । २ अपनापन । वि० उन्मत्त, मस्त । श्रापणाणौ श्रापणावरण - लाख (श्री) पायी (बी) ० १ अपनाना, स्वीकार प्रापांणी वि० बलवान मक्किताली पराक्रमी सर्व अपनी । | करना । २ अधिकार में करना । प्रापोरगी सर्व० [स्त्री० यापांगी) अपना । प्राण १ गति, बल, साहस For Private And Personal Use Only श्रापांन - वि० १ उन्मत्त मस्त । २ देखो 'पान' | हर (रो) वि० अपनी सामयं से अधिक कार्य करने वाला । २ जोशीला । ३ सवेग तीव्र । श्रपापंथी - वि० १ कुमार्गी । २ स्वार्थी । ३ मनमानी करने वाला । श्रपापणी- पु० • अपनत्व | पावाली अपार बली । • श्रायत (तो, तौ) - वि० [० प्राप्यायित] १ बनवान शक्तिशाली । २ साहसी ३ वीर बहादुर । ४ असंयत, असंयमी । ५ स्वेच्छाचारी ६ उदंड । ७ श्रदम्य । ८ दुष्ट । बौ०१ टकराना २ देखी 'बाफळी'। प्रापित स्त्री० [सं०] अमित चग्नि, प्राग । पुषा - वि० अपने आप स्वतः कार्य कराने वाला । श्राश्राप, श्रापे, श्रापेज, श्राप सर्व० अपने ग्राप, स्वतः । ०० वीर । आपोआप प्रापोप क्रि०वि० ग्रपने ग्राप, स्वतः । आपोपरि क्रि०वि० परस्पर, ग्रापस में ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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