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अकुडो
प्रग
ग्रंकुडौ-देखो 'अंकोटी।
अंखमीचणी-देखो 'अांखमीचणी' । ग्रंकूर-T० म० १ नवोद्भव प्ररोह, अंखुवा। २ डाभ, कल्ला, अंखि, अंखी-देखो 'प्रांख'।
कोपल कनखा। ३ नोक । ४ कली। ५ नत्र पल्लव, अंग-प० सं०] शरीर. देह। : देह का कोई भाग किसलय । अाशा। ७. मांस के छोटे दाने ।
अवयव । ३ भाग, हिम्मा. खण्ड, अंश। ८ मन, इच्छा, - देखो 'अफर'। ६ मुखद भविष्य के सूचक चिह्न ।
वृत्ति। ५ प्रकृति, पादत, स्वभाव । : उपाय, तरकीब । १० मनान. मंतति । ११ रक्त, खुन । १. गेम, लोम ।
७ पक्ष। ८ मित्र, माथी, महायक । ६ तरह, भांति, १३ मनोगत भाव।
प्रकार । १० वेद के छ: अंग । ११ मेना के चार अंग । अंकुरणो, (बौ) क्रि० ग्र. म. अंकुर१. अंकुरित होना,
१२ पार्श्व, बगल । १३ राजनीति के सात अग । उगना, उपजना। २ पल्लवित होना. फलना। ३ बजना, १४ कार्य का साधन । १५ छः की संख्या ।* १६ पाट ध्वनित होना। ४ वालों का खड़ा होना ।
की संख्या ।* १७ एक प्राचीन देश का नाम । १८ जैन अंकुरित-वि० सं०] १ उगा हुआ, प्रस्फुटित ।
शास्त्र विशेष, वि०-प्रिय । - पल्लवित ।
-----उधार-पु० बिना रेहन के लिया जाने वाला ऋगा । ग्रंकुस-पु. म. अंकुश | १ हाथी को हांकने का छोटा कांटा,
-पोळग-पृ० अंग रक्षक। अनुचर । - - खंभ-पृ० हाथी,गज । अकृश । २ नियंत्रण, दबाव । ३ प्रतिबंध, रोक । ८. भय, ---गथ-पु० कामदेव, मदन । ग्रह-पु० शारीरिक पीड़ा। हर, पातक । ५ शंका, लिहाज, शर्म । ६ मर्यादा, सीमा । ---ज, जात-पु. शरीर में उत्पन्न । पुत्र, बेटा । बाल, एक प्रकार का शस्त्र । ८ तीन लघु मात्रा का नाम । गेम । पसीना । मद । रोग। कामदेव। काम, क्रोध एक प्रकार का मामुद्रिक चिह्न।।
पादि विकार । जु । -जा-स्त्री. पुत्री, बेटी।--त्राण-पृ० -----ग्रह-पु. फीलवान, महावत ।-बंती, दंतौ--पु. एक दांत कवच । अंगरखा, कुरता। दान-पृ० मंभोग के लिये झुका तथा दुसरा सीधे दात वाला हाथी । -दुरधर-पु० ममपंग । ---दार-वि• ग्वाभिमानी। ---द्वार-पु. गरीर उन्मत्त व मस्त हाथी।-धारी-पु. महावन, फीलवान । के दश द्वार । नौ की संख्या* । - -धारी-पु० प्राणी।। -मुख-पू० रथ ।
--पाळ-वि० अंक रक्षक । ---कूटणी-स्त्री० शारीरिक दर्द, अंकुसरणी, (बौ) -क्रि०-१ चुभना। २ दर्द होना, मालना ।
पीड़ा । ---बळ-पु० घी, घृत । ---बूत-शरीर के टुकड़े, ३ कसकना।
खण्ड ।-भंग, भंगी-वि० खंडित, अपाहिज । स्त्री० वशीअंकूर-देखो 'अंकुर'।
करणिक शारीरिक चेष्टा । -भाव-भाव-भंगिमा। अंकूरी-पु०-१ बड़े कार्य का प्रारंभिक सूक्ष्म रूप ।
भू-पु०- वंशज । पुत्र, नेटा । - भूत-वि• अान्तरिक, २ जन्माक्षरी।
भीतरी। -पृ० पुत्र, बेटा। मरदन स्त्री० मालिश । रनि अंकेई-क्रि० वि०-१ अंकों में । देखा 'अंगेई' ।
क्रिया. ७२ कलाओं में से एक। - रक्ष, रक्षक-पृ० अग अंकोड--पु०-१ रहट में ऊबड़ियो के ऊपर लगा रहने वाला रक्षक। रखि, रखी-स्त्री०-कवच । - रळी-म्बी प्रानन्द.
लकड़ी का मोटा इटा। २ रहट के चक्र के बीच लकड़ी मौज। मभोग । -- राग-पु० मुगंधित उबटन। वस्त्राके. स्तंभ को नियंत्रित करने वाला उपकरण ।
भूषण । शृगार । मुगंधित बुकनी । - राज, राजा-पु० । देखो 'अकोड़ो'।
कर्ग । ...ळज-वि० मूवं, अजानी। बट-पृ० प्रकृति, अंकोडियौ, अंकोडौ-पु०-१ किमी लंबे बाम के मिरे पर लगा स्वभाव । -वायु-पु० घारों का n रोग। . वारी..
रहने वाला लोहे का हमियानुमा कांटा। २ लोहे का किसानों का पारम्परिक महयोग । -विक्रति, विक्रती, कांदा । ३ तीर का टेढा फन । ४ टेढ़ी बस्तु जिसमें कुछ विक्रिती-स्त्री. अपस्मार, मृगीगेग, मुर्छा, पक्षाघात । अटकाया जा सके।
विक्ष प, विखेप-पु० अंगों की मटकन । नृत्य, नन्न । कलाअंकोट, अंकोल-पु०-१ देरा नामक जंगली वृक्ष। २ पिश्ते बाज ।---विद्या-स्त्री. मामुद्रिक शास्त्र |---वोट-पु० देह का पेड़।
का गठन,ढांचा। संग-पु० म्पर्ण । संभोग। -संसकार-पृ० अंको-देखो 'ग्राको।
म्वभाव, प्रकृति ।- सुद्धि-स्त्री. शरीर की मफाई। अंख, अंखड़ी-देखो ‘ग्राख ।
---सेवक-पु. अंतरंग मेवक । -होण-पृ० कामदेव । ग्रंखफोड़-देखो ‘यांग्वफोड़।
वि अपर्ण । वंटित ।- होमा-स्त्री० मनी ।
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