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लय' का प्रबन्ध करने के लिये प्राय पुष्करणे ही ब्राह्मणों को नियत करते हैं । अतः बहुत समयसे जोधपुर दरबार के यहां पुरोहित जाति के पुष्करणे ब्राह्मण ही राज्य पुस्तकाध्यक्ष हैं।
पुष्करणे ब्राह्मण राज्य दानाध्यक्षः। राजाओंके यहां नित्य और नैमित्य समयमें यथायोज्ञ दान किया जाता है। उस दानको लेनेवाले तो अनेकानेक ब्राह्मण आते हैं उन्हीं को दिया जाता है परन्तु दान का संकल्प करानेवाले 'दानाध्यक्ष' सदासे सदा से पुष्करणे ही ब्राह्मण हैं। इस समय जैस लमेर दरबार के यहां तो उन्हीं के पुरोहित, बीकानेर दरबार के यहां कीकाणी व्यास और जोधपुर दरबार के यहां व्यास पदवी. वाले चण्डवाणी जोशी हैं।
पुष्करणे ब्राह्मण राज्य के जोशो वेदिया। ___ राजाओं के यहां शान्ति, पूजा, पाठ, मन्त्र अनुष्ठान आदि करने के लिये प्राय पुष्करणे ब्राह्मण भी सदासे नियत रहते हैं
और आवश्यकता पड़ने पर उपरोक्त कर्म करने के लिये उन की वरणी विठलाई जाति है । उस समय वर्ण दक्षिणा तथा कर्म द. क्षिणा देने के उपरान्त उन्हें प्रतिदिन इच्छा भोजन भी कराते हैं। ऐसे कर्म करने का प्रचार जोधपुर की अपेक्षा जैसलमेर तथा बीकानेर के राज्यों में अधिक है।
--*-- पुष्करणे ब्राह्मण राज्य ज्योतिषी। इस जाति में ज्योतिष विद्या का प्रचार सदासे चला आता
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