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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेटे बेटी सब रहे, नाइजु कछू उपाय ॥ क्षत्रि रोति सब छुट गई, भयो वैश्य व्यापार । वाको कन्या देव नहीं, कहा करें उपचार ॥ मुलतान में आय के, विप्र विनती कराय । ब्रह्म सभा भेली भई, धर्मशास्त्र कढ़वाय ॥ हमसों विधि सब पूछि के, देखो शास्त्र विचार । देखी अन्य एक मतो. करी दियो निर्धार ॥ पीढ़ी दासों पाँच गुनि, तामें एक निकास । तामें बाँधो गोत्र संब, करो प्रस्ताव सुवास ॥ ऊपर पीढी जो रही, जात सबै ज कहाय । तामें करों विवाह सब, शास्त्र आज्ञा दिवाय ॥ यदुवंश में याद वभये, तिन कियो आपस में विवार । बहुत पोढ़ी बीते भई, (तहं) दोष नहीं निर्धार ॥ मुलतान के मध्य में, विप्र सभा सब जोड़। बाको विधि सब पूछ के, दान देत है रोड ॥ भाटिया सब भेले भये, दीन्हों दान अपार । नुख नाम सब बाँधके, चले जु अपने द्वार ॥ ब्राह्मण कुलकी जाति में, पोकरना जु कहाय। तुलसी लोन्ही हायमें, तुम हम गुरु जु कहाय ॥ सिन्ध, कच्छ, हालारमें, और सबै ही ठौर । For Private And Personal Use Only
SR No.020587
Book TitlePushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMithalal Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year1910
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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