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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . ४८ हुआ। इससे पहिले तो मेड़ते में राज्य था। इससे यह बात निःसन्देह स्वीकार करनी पड़ती है कि सं० ७४४ में मण्डोर में पड़िहारों का राज्य ही नहीं था । तो फिर मण्डोर के पड़िहार राजा नाहररावने सं० ७४४ में पुष्कर के तालाबको खुदवाया था यह बात क्यों कर सिद्ध हो सकती है ? मण्डोर के राजा नाहरराव पड़िहार तो सं० १२०० के लगभग हुये थे और उन्होंने सं० १२१२ मे ही पुष्करजी का तालाब खुदवाया था जिस के कई प्रमाणमैं पहिले लिख चुकाई । किन्तु इबने परभी यदि कोई सं० ७४४ में ही पुष्कर खुदवाना मानले तौभी पुष्करणे ब्राह्मण तो पुष्कर खुदनेसे सैंकड़ों वर्ष पहिलेसे मारवाडमें सिन्धसे आये हैं जिसे जैसलमेर जोधपुर आदिके इतिहास सप्रमाण स्वीकार करते हैं। शिला लेखों से भ्रमपुष्करजी के तालाब को मण्डोर के पड़िहार राजा नाहरावने खुदवाया है । परन्त केवल प्राचीन शिला लेखों परही विश्वास करने वाले कोई २ विद्वान् कहते हैं कि पुष्करजी का तालाब ना. हररावने खुदवाया ही नहीं किन्तु मण्डोर के पड़िहार राजा चेन्दुकके पुत्र 'शिलुक' ने खुदवाया है। जिसके प्रमाण में वे पड़िहार राजा बाहुक का शिला लेख, जो सं०९४० के चैत्र सुदि ५ का खुदा हुआ जोधपुर के कोट में मिला है और इस समय महक में तवारीख राज्य मारवाड़ में रखा है, देते हैं । उसमें यों लिखा है:ततः श्रीशिलुकाजातः पुत्रो दुर्वार विक्रमः। येन सोमा कता नित्या स्त्रवणो वलदेशयोः ॥१८॥ भट्टिकं देवराजं यो वल्लमण्डल पालकं । निपात्य तत्क्षणं भुमौ प्राप्तवाञ्छत्र चिह्नकं ॥१९॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020587
Book TitlePushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMithalal Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year1910
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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