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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir K रते हैं । तथापि इस जाति में भी व्यापार करनेवालों की कभी नहीं है, और व्यापार भी कई प्रकार के करते हैं । जैसे: राज्य इज़ार दार पहिले इस देश के राजा महाराजा अपनी रियासत के गाँवों का भूमिकर तथा माळपर का कर ( ज़कात वा हासिल ) आदि प्रायः वर्ष भरके लिये इज़ारे ( ठेके ) पर दे देते थे । उनका इज़ारा लेने वालों में अधिकांश पुष्करणे ब्राह्मण ही मुख्य थे । राज्य सदायत राज्य के अन्तर्गत छोटे बड़े जागीरदारों से राज्यका 'रेख, चाकरी, सेरना, भोम बाब आदि' लगान प्रति वर्ष खेती की फ़सल आनेके समय लिया जाता है । वह द्रव्य राज्यमें जमा कराने के लिये पहिले से साद ( ज़मानत ) करानी पड़ती है । एसी साद करनेवालों में भी अधिकांश पुष्करणे ब्राह्मण ही होते हैं । राज्य मोदी I पिछले समय में राजाओं के यहां सेना बहुत सी रहती थी । उनको आटा, दाल, घी, आदि भोजनकी सामिग्री देने के लिये राज्यकी ओरसे मोदी नियत किये जाते थे । वे मोदी भी प्रायः पुष्करणे ब्राह्मण ही होते थे। जैसे सं० १८८४ में बांकानेर की २०००० सेना जैसलमेर पर चढ़ आई थी । उस सेना को मोदी ख़ाना तौलनेका प्रबन्ध फलौंधी के थानवी जालजी नामक एक प्रतिष्ठित पुष्करणे ब्राह्मणने अपनी ओरसे कर दिया था। व्याज वा धरोहर - For Private And Personal Use Only
SR No.020587
Book TitlePushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMithalal Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year1910
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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