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पुष्करणे ब्राह्मणों से निवदन ।
आपको ज्ञात होगा कि कच्छ देश निवासी पणिया जाति के पुष्करणे ब्राह्मण श्रीमान् पण्डिव ज्येष्ठाराम मुकुन्दजी स्कन्द पुराणोक्त श्रीमाल क्षेत्र महात्म्य में की "पुष्करणो पाख्यान" ना. मक पुस्तक गुर्जर भाषा टीका सहित सं० १९४५ में बम्बई में छपवाकर पुष्करणे ब्राह्मणों में विना मूल्य वितरण करके धन्य. वादके भागी हुये थे ।* उस कथा में पुष्करणे ब्राह्मणों के पूर्वज सिन्ध देशसे श्रीमाल क्षेत्र में जाके लक्ष्मीजी से वर प्राप्त करके, फिर पुष्करणे कहलाये जिसका वृत्तान्त लिखा है। (१)पुष्करणोत्पत्ति नामक पुस्तक की आवश्यकता___ परन्तु पुष्करणे कहलाने के पश्चात् अद्यावधिका लौकिक माचीन ऐतिहासिक वृत्तान्त उस में न होने से उसे जानने की जिज्ञासा रखने वालों की इच्छा पूर्ण करने के लिये हमारे परमपूज्य पितृव्य (बड़े बाप ) श्रीमान अटलदासजीकी आज्ञानुसार मेरा विचार हुआ कि 'पुष्करणोत्पत्ति'नामक एक ऐसी महान् पुस्तक कई भागोमें संग्रह की जावे कि जिस एकही पुस्तक, पुराण आदिकी सम्पूर्ण कथाएं तथा लौकिक ऐतिहासिक सम्पूर्ण वृत्तान्त आ जायें। (२) उक्त पुस्तक के विषय
(१) शास्त्र भाग-इस में पुराण आदि ग्रंथों में जहां२ पुष्करणे ब्राह्मणों का वृत्तान्त आया है, वह एकत्र करना तथा पुष्करणे ब्राह्मणों के बनाये हुये प्राचीन व आधुनिक सम्पूर्ण ग्रन्थों का मूचि पत्र बनाना. इसादि ।
(२) जाति निर्माण भाग-इस में जाति मर्यादा स्थापित
* उसी पुस्तक का गुजराती से हिन्दी अनुवाद जैसलमेर निवासी पुरोहित मोतीलालजीने छपवाके पुष्टिकर हितैषिणी सभा'मोधपुर के भेट की थी,
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