________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शोधनपत्रम्.
पत्रम् श्लोकः
पत्रम् श्लोकः
अशुद्धम् .
निदयता
शुद्धम् . निर्दयता -ताही!
१५९
-ताहा! द्वितीय
शुद्धम्. देवीगृह-तम् करिकर्ण-मालिन्यं खण्डितं जायते
द्वितीयं
DECeleoe000000000000000@GE
अशुद्धम्. देवी गृह-तम करिकण-मालिन्य खण्डित जायत -ङ्किता त तदा जयसन-बोच
१४० १४५
--वश्यं यपिये! देशनां -सिद्धान्त कर्कशया
यस्त्रिय! दशनां -सिद्धान्त ककशया
१५३
२१६ २२३
30309080500000
१५५
१५६
ते तदा जयसेन-वोच
-सेन
-को वि
-कोवि
For Private and Personal Use Only