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समाप्त हो गए, जो कैवल्य - दशा में जी रहा है, भगवान महावीर की भाषा में वह अरिहंत है, केवली है। तीसरा बद्ध ईश्वर उसे माना जिसके भीतर ईश्वर की शक्ति तो है, आत्मा तो है, मुक्त नहीं हो पायी, संसार से उसका जुड़ाव अभी शेष है। वह बद्ध ईश्वर है, जो अभी तक संसार से जुड़ा है, लेकिन संसार से बंधा होने मात्र से उसकी ईश्वरता, परमात्म शक्ति समाप्त नहीं हो गई। परमात्म शक्ति तो वैसी ही है। हाँ ! वह थोडी दब जरूर गई है। उसकी आंतरिक शक्ति, उसका प्रकाश तो अभी शेष है। सांसारिक जीवों के दीपक बुझे हुए नहीं है। मगर बदकिस्मती यह है कि वह ढ़की हुई है, उसका प्रकाश दब गया है और वह बाहर नहीं आ पा रहा है। कोई दीप जल रहा हो और उसे ढक दिया जाए तो उसका प्रकाश समाप्त थोड़े ही हो जाएगा । उसका प्रकाश ढक्कन तक सीमित हो जाएगा। आदमी कहता है कि आत्मा है तो उसे दिखायी जाए। आत्मा को दिखाया नहीं जा सकता, उसे महसूस किया जा सकता है, उसकी शक्ति को जरूर दिखाया जा सकता है । कोई आदमी यह कहता है कि मैं आत्मा को देखना चाहता हूँ तो वह बड़ी भूल कर रहा है। आत्मा क्या देखने और छूने की चीज है? वह तो सिर्फ महसूस करने की चीज है। आत्मा देखी कैसे जाएगी? कौन देखेगा आत्मा को ? आत्मा को सिर्फ महसूस किया जा सकता है क्योंकि आत्मा का रूप रंग, रूप आकार नहीं होता । आत्मा है, यह अनुभूति जिसने कर ली, वह तो सारे संसार में आत्मा ही आत्मा देख रहा है। जिसने आत्मप्रतीती कर ली वही साधक है। उसके लिए सारा संसार आत्मामय होगा । आप कितना भी देखने की कोशिश करो सिर्फ बाहरी भटकाव ही होगा, प्रतीती हो सकती है, दर्शन नहीं ।
एक गाँव का किशान अपना बैलगाड़ा लेकर शहर में आया। एक मोड़ पर दूसरी और से आ रही टाटा सुमो उससे भिड़ गई। नतीजा ! टाटा सुमो को काफी नुक्सान पहुँचा। उसमें बैठे लोगों को चोटें आई। इधर बैलगाड़ा वाला अपनी धुन में आगे बढ़ गया। टाटा सुमो वाले ने बेल गाडे वाले पर केस किया । न्यायधिश ने पूछा : जब तुमने टाटा सुमो को देख लिया तो हाथ से रूकने का
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