SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 565
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रश्नव्याकरणसूत्र 'महोरग' महोरगाः 'गंधव्या' गन्धर्वाश्च, एतेषां द्वन्द्वः । एतेऽष्टौ व्यन्तरभेदाः एते हि तिरियवासी' तिर्यग्वासिनः-मनुष्यलोकवासिनः, तथा 'पंचविहा' पञ्चविधाचन्द्रसूर्य-ग्रह-नक्षत्र-तारारूपाः, 'जोइसियाय' ज्योतिपिकाच देवाः, से के ? इत्याह-'बहस्सइचंद रसुक्कसणिच्छरा', बृहस्पतिचन्द्रसूरशुक्रशनैश्वराः, तथा 'राहुधूमकेउबुहा य' राहुधूमकेतुबुधाश्च तथा-'अंगारका य'अङ्गारकश्च 'मगलना मको गृहविशेष ' कीदृशः ? एषः ? इत्याह-' तत्तत वणिज्जकणगवण्णा' तप्ततरक्खस-किंनर-किंपुरिस-महोरग-गंधव्वा य तिरियवासी) अब सूत्रकार उन देवनिकायों को नामनिर्देश पूर्वक प्रकट करते हैं, उनमें वे सब से पहिले भवनपतियों के भेदों के नामों को कहते हैं-असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, विद्युत्कुमार, ज्वलन -अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिशाकुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार ये दश प्रकारके भवनपति हैं। तथा अप्रज्ञप्तिक, पञ्चप्रज्ञप्तिक, ऋषिवादिक, भूतवादि क्रंदित, महाक्रंदित कूष्मांड, पतंगदेव, आठप्रकार के ये व्यन्तर निकाय के देव है। तथा पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व ये आठ व्यन्तर देवों के भेद हैं । ये व्यन्तरदेवतिर्यग्लाक-मनुष्यलोक वासी हैं। तथा- (पंचविहा जोइसियाय देवा वहस्सइ चंद रसुक्कसनिच्छरा) चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र एवं तारा ये पांच प्रकार के ज्योतिषिक देव हैं । इन में जो ग्रह जाती के देव हैं उनके ये बृहस्पति चंद्र, सूर्य, शुक्र, शनैश्चर तथा.( राहुधूमकेउ बुहा य अंगारगा य ) राहु, धूम,केतु, बुध महाकंदिय-कुहण्ड-पयंग-देवा पिसायभूय-जक्ख-रखंस-किनर-किंपुरिस-महोरग गंधव्वाय तिरियवासी " वे सूत्रा२ ते देव नियोने नाम निर्देश सहित પ્રગટ કરે છે. તેમનામાંથી સૌથી પહેલા ભવનપતિના ભેદોનાં નામો બતાવે छे-सुभा२, नामा२, सुप भा२, विधुत्मा२. ४५सन मनमा२, દ્વીપકુમાર ઉદધિકુમાર, દિશાકુમાર વાયુકુમાર અને સ્વનિતકુમાર, એ દસ પ્રકારના ભવનપતિ છે. તથા અપ્રજ્ઞપ્તિક, પંચપ્રજ્ઞપ્તિક, ઋષિવાદિક, ભૂતવાદિક, કંદિત, મહાકંદિત, કુષ્માંડ, અને પતંગદેવ, એ આઠ પ્રકારના વ્યન્તર નિકાય हे। छ. तथा पिशाय, भूत, यक्ष, राक्षस, नि२, ठिपुरुष, महा२२॥ भने आध, मे मा ०यन्त२व तिया -मनुष्यतो पासी छ. तया “ पंचविहाजोइसियाय देवा वहस्सइ चंद सूर सुक्कसनिच्छरा" यन्द्र, सूर्य, बड, नक्षत्र અને તારા એ પાંચ પ્રકારના જ્યોતિર્ષિક દેવે છે, તેમાં પ્રહ જાતિના જે દેવે छ तेमना २५ति यद्र, सूर्य, शु, शनि तथा “राहुधुमकेउ-बुहा य भंगा For Private And Personal Use Only
SR No.020574
Book TitlePrashnavyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1002
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy