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सुदर्शिनी टीका अ० १ सू० ३० वेदनापीडितनारकाक्रन्दनिरूपणम्
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वचनानि ' जंपमाणा' जल्पमानाः = प्रलपन्तः ' दिसोदिसि ' दिशो दिशं = एकस्याः दिशोऽन्यां दिशमितस्तत इत्यर्थः ' विप्पेक्खत्ता ' विप्रेक्षमाणाः = समन्तात् पश्यन्तः 'अत्ताणा ' अत्राणाः = रक्षाहीनाः, अतएव 'असरणा' अशरणाः = शरणरहिताः, अतएव ' अणाहा ' अनाथाः = दीनाः, ' अबंधवा' अवान्धवाः = बान्धवरहिताः, ' बंधुविप्पहीणा' बन्धुविप्रहीणाः विद्यमानसम्बन्धिविमयुक्ताः, ' मियविव ' मृगा इव ' भव्विग्गा' भयोद्विग्नाः = भयव्याकुलाः ' वेगेण ' वेगेन ' विपला - यंति' विपलायन्ते प्रधावन्ति, ततः प्रधावमानान् तान् नारकान् 'बला बलात् 'घेचूण' गृहीत्वा 'निरणुकंपा ' निरनुकम्पाः दयारहिता: ' के ' केऽपि 'जमकाइया ' यमकायिका:- परमाधार्मिकाः, दसंता ' इसन्तः ' पलायमाणाणं' पलायमानानां च तेषां ' मुहं ' मुखं ' लोहण्डेहि ' लोहदण्डैः, ' विहाडे ' विघाटथ उद्घाट्य ' कलकलं' अतितप्तत्वात् कल-कल शब्दयुक्तं पूर्वोक्तं त्रपुकं
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प्रकार कहकर वे (कलुणाणि जंपमाणा ) करुणा वचनोंका उच्चारण करते हुए ( दिसोदिसि विप्पेक्खता) वहां से दूसरी दिशा में इधर उधर देखते हुए (अत्ताणा ) रक्षक रहित ( असरणा) शरण रहित (अणाहा) विनानाथ के ( अबंधवा ) दीनदशा संपन्न ( बंधुविप्पहीणा ) बांधवों से रहित - रक्षक जनों से रहित, अतः (भव्विग्गा ) भय से व्याकुल बन कर वे (मियविच) मृगों की तरह वहां से ( वेगेण ) वेगपूर्वक ( विप्पलायंति ) भागते हैं । इसके बाद भागते हुए उन नारकियों को (बलाघेण ) जबर्दस्ती से पकड़कर ( निरणुकंपा ) दयारहित बने हुए ( केइ ) कितनेक (जमकाइया) यमकायिक परमाधार्मिक देव ( हसंता ) हँस हँसकर ( पलायमाणाणं ) पलायन करते हुए उनके ( मुहं ) मुख को ( लोहदंडेहि ) लोहदंडों से ( बिहाडे ) फाडकर फिर उसमें (कलक -
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प्रभा उडीने “कलुणाणि जंपमाणा " ४३ वथनो मोसता, " दिसो दिसिं विष्पेक्खंता " त्यांथी मील दिशाभां आम तेम लेता, "अत्ताणा " २क्ष विनानां “असरणा', शरण विनाना, "अणाहा" अनाथ, “अबंधवा" ही नहशमां भूक्षयेला,
'बंधुविप्पहीणा " गांधव विनाना-रक्षण अरनार विनाना, भेवा ते नारडी भवो "भव्विग्गा" लयथी व्याडुण मनीने "मियविव" भृगोनी नेम त्यांथी ' वेगेण” वेगथी "विप्पलाय'ति' लागे छे. त्यारगाह लागतां भेवा ते ! नारी भवाने "बलाघेत्तूण " लेर ब्लुसभथी पडीने "निरणुकंपा " हया रहित अनेसा " केइ " डेंटलाई “जमकाइया ” यभाय, परमाद्यामि देवो "हसंता" इसी हसीने " पलायमाणाणं " नासता येषा तेमना "मुहं " भुमने 'लोहदंडे हिं" बोढाना
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