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Acharya Shrik
प्रकरणम्
भाषानुवादसहितम
प्रशस्तपादभाष्यम् एतत् पञ्चविधमपि कर्म शरीरावयवेषु तत्सम्बद्धेषु च सत्प्रत्ययमसत्प्रत्ययं च । यदन्यत् तदप्रत्ययमेव तेष्वन्येषु च, तद् गमनमिति । कर्मणां जातिपञ्चकत्वमयुक्तम्, गमनाविशेषात् । सर्व हि क्षणिकं कर्म गमनमात्रमुत्पन्नं स्वाश्रयस्योर्ध्वमस्तिर्यग्वाप्यगुमात्रैः प्रदेशैः संयोगविभागान् करोति, सर्वत्र गमनप्रत्ययो
ये पाँचो ही प्रकार के कर्म शरीर के अवयवों में एवं उनसे सम्बद्ध दूसरे द्रव्यों में भी प्रयत्न से ( सत्प्रत्यय ) और बिना प्रयत्न के ( असत्प्रत्यय) के भी उत्पन्न होते हैं। इन दोनों से भिन्न सभी प्रकार के कर्म 'अप्रत्यय' कम हैं । ( अर्थात् ) शरीर के अवयवों या उनसे भिन्न द्रव्यों में रहनेवाले ये सभी अप्रत्यय-कर्म गमन रूप ही हैं।
(प्र०) यतः सभी क्रियाओं में गमनत्व की प्रतीति समान रूप से होती है, अतः क्रियाओं में उत्क्षेपणत्वादि पाँच जातियों का सम्बन्ध मानना अयुक्त है। ( अर्थात् ) कियायें सभी क्षणिक हैं, वे प्रथमत: गमन रूप ही उत्पन्न होती हैं। उत्पन्न होने के बाद अपने आश्रयद्रव्यों के ऊपर के प्रदेश, नीचे के प्रदेश या पार्श्वप्रदेश के साथ संयोगों और विभागों को उत्पन्न करती हैं। किन्तु सभी कर्मों में 'यह गमन है' इस प्रकार की प्रतीति समान रूप से होती है । अतः सभी क्रियायें गमन रूप ही हैं।
न्यायकन्दली सत्प्रत्ययमिति । प्रयत्नपूर्वकमप्रयत्नपूर्वकं च भवतीत्यर्थः । यदन्यदिति । एतेषु शरीरावयवेषु मुसलादिष्वन्येषु वा द्रव्येषु यत् तदप्रत्ययजं कर्म जायते सत्प्रत्ययादन्यत् तद् गमनमेव। चोदयति-कर्मणामिति उत्क्षेपणादीनां कर्मणां जातिपञ्चकत्वमयुक्तम्, गमनात् सर्वेषामविशेषादभेदादिति चोदनार्थः । सर्वेषां गमनादविशेषमेव कथयति-सर्वं होत्यादिना । उत्क्षेपणासमझना चाहिए। अर्थात् आगे के अवयवों का मूल प्रदेश के साथ विभाग से जिस स्थिति में उत्तर देश संयोग की उत्पत्ति होती है उस स्थिति में ।
___ 'सत्प्रत्ययमिति' अर्थात् ( कर्म दो प्रकार से उत्पन्न होते हैं) एक तो प्रयत्न से उत्पन्न होता है, दूसरा बिना प्रयत्न के ही उत्पन्न होता है । 'यदन्यत्' अर्थात् शरीर के अवयवों में एवं मूसल प्रभृति द्रव्यों में अथवा अन्य ही द्रव्यों में प्रयत्नजनित क्रिया से भिन्न जिस क्रिया की उत्पत्ति होती है, वह क्रिया गमन रूप ही है।
_ 'कर्मणाम्' इत्यादि सन्दर्भ के द्वारा आक्षेप करते हैं। आक्षेप ग्रन्थ का यह आशय है कि उत्क्षेपणादि में रहनेवाली उत्क्षेपणत्वादि पांच जातियों का जो उल्लेख
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