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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir इस ग्रन्थमाला का प्रथम पुष्प है श्रीधरकृत "न्यायकन्दली" टीका सहित प्रशस्तपादाचार्य कृत 'पदार्थधर्मसंग्रह' नाम का वैशेषिक भाष्य । इन पुस्तकों का संशोधन और अनुवाद विश्वविद्यालय के अनुसंधान सहायक न्यायाचार्य श्री दुर्गाधर झा ने किया है । “पदार्थधर्मसंग्रह" वैशेषिक शास्त्र में एक स्वतन्त्र ग्रन्थ है, कणाद कृत वैशेषिक सूत्रों की क्रमिक व्याख्या नहीं। यह ग्रन्थ इतना प्रामाणिक समझा गया कि इसके आगे सूत्र का प्रचार कम हो गया। पदार्थधमसंग्रह के ऊपर विद्वानों ने टीकायें लिखीं। ऐसी तीन टीकायें बहुत प्रसिद्ध हैं-श्रीधरकृत 'न्यायकन्दली'. उदयनकृत 'किरणावली' और व्योमशिवाचार्यकृत 'व्योमवती'। इनमें 'न्यायकन्दली', ग्रन्थ लगाने की दृष्टि से सर्वोत्तम है । इस कारण से इस टीका का और उसके अनुवाद का यहाँ समावेश किया गया है। आगे इस ग्रन्थमाला में उदयन कृत 'न्यायकुसुमाञ्जलि' (गद्य और पद्य ) और अन्य ग्रन्थों का प्रकाशन होगा। दर्शन शास्त्र के अतिरिक्त अन्य शास्त्रों के भी ग्रन्थ प्रकाशित किये जायेंगे। १४-१२-१९६३ क्षेत्रेशचन्द्र चट्टोपाध्याय For Private And Personal
SR No.020573
Book TitlePrashastapad Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhatt
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1977
Total Pages869
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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