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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्र.सं. नो भगवते वासुदेवा यख मूर्ते मांरस रस खङ्गमूर्तिधराय खङ्ग मूर्ति धरसेनाधिपतयेम हाखङ्गाय हुं फट्इतिपुनः शंखे २६ सशंखशिरं स शंखारिगदाधन ष्करंसु सितं। सितवसनमाल्य भूषय जेन्य हा नादम ग्निसंस्दले ॥ एवं ध्यात्वाशंखमूर्तिमा अग्नेयद्ले अनेनमत्रेण समर्चयेत् ॐ विहम बेहपी केशाय नमः । ॐ ॐस्छा नह पीके शनवप्रकी सैया दियॐ इत्यंते ॐ नमो भगवते वासुदेवायविल वे शंखमूर्ते मार सर सशंखमूर्निधराया मूर्ति घर सेनाधिपतयेम हा पांचजन्यायस्वाहा इतिम त्रः पुनः हलमूर्तिमपि हलायुधधरंव शंखमूर्तेरुक्त चिन्हों पे तंचतुर्भुजं च ध्यात्वानि के सिदले अनेनम कोण हलमूर्तिसं यजेत् ॐ विल वेह्रषीकेशायनमः । ॐ स्का ने हृषीकेश इति ॐ मित्यं तं ॐ नमो भगवते वासुदेवाय विल वे हलमूर्ते मांरसर सहलमूर्ति धराय्लमूर्ति सेनाधिपत हिलांगखा हा इति पुनः मुसलमूर्तिमपिमुसलायुध घर चहलम् तैरुक्तचिन्हो पेतं चतुर्भुजं च प्यालावा में व्यद्ले अननमत्रेणसमर्चयेत् ॥ ॐ वं वि स वे हृषीकेशायनमः। ॐ ॐ खाने हृषीकेशेत्यादि नृत्यते ॐ नमो भगवते वासुदेवायवि ष्ल वेमुसलमूर्ते मार सर क्षमुसलमूर्ति घराय मुसलमूर्ति घर सेनाधिपतये महामुसलायंखा हा इतिपुनः शूलम् निमपिशूल घरं चम सलमूर्तेरुक्त चिन्होपेतं चतुर्भुजं वध्याला रामः अनेन मन्त्रेणऐशान्येद लेसमचयेत् । ॐ विलवे हैषी केशाय नमः । ॐ ॐ स्वाने हृषीकेशेत्यादि य ॐ मित्संताॐ नभोन २६ For Private And Personal
SR No.020571
Book TitlePrapanchasara Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGiryanendra Saraswati
PublisherGiryanendra Saraswati
Publication Year
Total Pages755
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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