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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandit चिंत्यंततः समद्भूतं शिवशक्ति स्वरूपं श्रीचरणारविंदयुगलं संस्टश्य चरणा निपारंपर्यचक्रमेणन्यसेतातद्यथाएँ हीश्रीकएईलहोरक्त चरणाभ्यां नमःाहींनी हसकल ही शक्ल चरणा भ्यानमः।सेंहीश्रीसकल हीरक्त शक्ल मिश्र चरणाभ्यां नमःाहीश्रीमूलमन्त्रखंडानसमकानिर्वाणचरणाम्यानमः।मूलमन्त्रमुच्चार्यनिर्वाणरूपेपरेसंबिन् मये श्रीमहानि पुरसंदरिदेविदिव्यश्रीपादुकांपूजा मिातिम्रगीमुद्रयाएतैर्मन्लेः शिरसित्रिकोणमध्ये चन्यसेत्। पनदातमारभ्य शिरोवधिवक्ष्यमाणक्रमेणगुरुपरंपरामर्चयेत्ाहीश्रीपरमशिवानंदनाय श्रीपादकां पूजयामिरहीं श्रींपरा पक्वाश्रीपादकां पूजयामि।३ पराधिकानंदनाथा३ कुलेश्वर्यानंदनाथ।२ शुक्लादेयं नोश्री।३ कामेश्वरानंदनापा३ कामेश्वर्यवाश्रीपादुकांपूजयामिा. इतिदिव्योपेभ्योनमाहीं श्रींभोगानंदना यश्रीपादुकां पूजयामिश्क्लीगान नाथश्रीपादुकांपूजयामिा समयानंदेनायो।सहजानंदनाथश्री ३ इतिसि दीपेभ्योनमःाहीं श्रींगगनानंदनाथश्रीपादकां पूजयामि।३ विश्वानंदनाथश्रीपादुकांपूजयामिा३ विमलानं दनाथ श्रीपादुकां०३ मदनानंदनाथ०३भु वनानंदनाथ०३ लीलानंदनाथ०३ खात्मानंदनाथ.३ प्रियानंदनाथ इतिमानवौघे योनमःाहीश्रीयज्ञानंदनाथ०३ कप्तानंदनाथ०३:नित्यानंदनाथ०३ आत्मानंदनाथ०३ दंगानं For Private And Personal
SR No.020571
Book TitlePrapanchasara Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGiryanendra Saraswati
PublisherGiryanendra Saraswati
Publication Year
Total Pages755
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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