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प्रस्तावना.
लो बे, जे शीखवार्थी या प्राकृत जाषानुं व्याकरण घणुं स्फुट रीते सम जाय बे. ते उत्तम ग्रंथ पंकित शंकर पांकुरंगे घणा प्रयत्नथी संशोधन करी हाल उपाव्यो . ते वांचवाने सर्वने श्रमारी सविनय प्रार्थना दे. प्राकृ त जाषामां मारो चा प्रथम प्रवेश बे, तेथी या कार्यनो आरंज करवा मने शंका रहेती पण मारा विद्वान् मित्र वकील मूलचंद नथुजाइनी प्रेरणाथी मने पूर्ण उत्साद यावतां एक नवी जापानो अन्यासी थवा खातर में या साहस करेलुं बे, तो जे कांइ स्खलना यह होय ते कमा करी या ग्रंथी बीजी श्रावृत्तिमां अनेउत्तर जागमां जेम सुधारो थाय तेनी सूचना श्रापशो तो उपकार मानीश.
कार्तिक शुक्ल १ संवत् १९६०
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शास्त्री नर्मदाशंकर दामोदर.
जावनगर हाइस्कुलना शास्त्री.
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