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बहुब्रीहि
जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य का विशेषण बनते हों तो उस समास को बहुब्रीहि कहते हैं; यथा-जिओ कामो जेण सो=जिअकामो (काम का जीतने वाला), न अत्थि भयं जस्स सो=अभयो (निडर), पीअं अंबरं जस्स सो-पीअंबरो (पीले वस्त्र वाला), पुण्णेण सह-सपुण्णो (पुण्यसहित), जिआ परीसहा जेण सो=जिअपरीसहो (परीषह जीतने वाला)। तद्धित प्रयोग
प्राकृत में कुछ ऐसे शब्दों का भी प्रयोग होता है, जो तद्धित के प्रत्ययों द्वारा निर्मित होते हैं । तद्धित के कुछ शब्द इस प्रकार हैं :
केर-अम्हकेरं हमारा, तुम्हकेरं तुम्हारा, परकेरंपराया। इल्ल--गामिल्लं ग्रामीण, पुरिल्लं =नागरिक ।
उल्ल--अप्पुल्लं=आत्मा में उत्पन्न, तरुल्लं=वृक्ष के नीचे उत्पन्न हुआ।
अ--सिव+अ (सेवो)=शिव का पुत्र शंव, दसरह +अ (दासरहो)=दशरथ का पुत्र ।
तण--मणअ+त्तण>मणुअत्तणं = मनुष्यता, पीण+त्तण> पीणत्तण स्थूलता, बाल+त्तण. बालत्तण=बचपन।
हुत्तं-एयहुत्तं =एक बार, दुहुत्तं दो बार, सयहुत्तं=सौ बार। आल-रसालो= रसवाला, जटालो=जटावाला।
आलु-दया+-आलु>दयालु =दयावाला, लज्जा + आलु> लज्जालु लज्जावाला।
इल्ल--छाइल्लो छायावाला, घामिल्लो घामवाला।
मंत-हणुमंतो-हनुमान, सिरीमतो=धनवान, भक्तिवंतो= भक्तिवाला, इत्यादि।
प्राकृत सीखें : ६४
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