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नुक्तो, तुमाओ तुहितो, तुम्हासुंतो तुम्हें, तुज्झ, तुह तुमाण, तुहाण, तुम्हाण तुमए, तुहम्मि, तुमम्मि तुसु, तुमेसु, तुम्हेसु
अम्ह (अस्मद् )-हम एकवचन
बहुवचन हं, अहं, अम्मि
अम्ह, वयं अम्मि , मम
अम्हे, अम्ह ममए, मए
अम्हेहि मम, महं, मज्झ अम्हाण, मज्झाण, ममाण मइत्तो, ममाओ ममाहितो, अम्मेहि मम, मह, मज्झ ममाण, मज्झाण
म, अम्हम्मि, महम्मि अम्हेसु, ममेसु सर्वनामों में सव्व (सब, सभी) शब्द का बहुत प्रयोग होता है। प्राकृत में सव्व (पु.), सव्वा (स्त्री.), सव्वं (नपुं.) के रूप में क्रमश: जिणो, माला एवं वणं शब्दों की भाँति चलेंगे।
वाक्य-प्रयोग सो पाढं लिहइ--वह पाठ लिखता है। इमो हसइ--यह हँसता है। इमे णमन्ति--ये नमस्कार करते हैं। एते धावन्ति--ये दौड़ते हैं। ते तं धिक्कारन्ति-वे उनको धिक्कारते हैं। इमिणा कज्ज हवइ---इसके द्वारा कार्य होता है। अस्स पोत्थयं अत्थि--इसकी पुस्तक है। तुम गिहं गच्छसि--तुम घर जाते हो। तुम कओ आगच्छसि---तुम कहाँ से आते हो? तुज्झ अवराहो नत्थि--तुम्हारा अपराध नहीं है। तुम्हें कज्ज करित्था--तुम लोग काम करते हो। अहं जलं गवेसामि--मैं जल खोजता हूँ। हं पावं गरहेमि-मैं पाप से घृणा करता हूँ। अम्हे भणामो--हम कहते हैं। ण को वि तं हणिउं समत्थो--उसे कोई नहीं मार सकता । सव्वेसिं गुणाणं बम्हेचेरं उत्तम अत्थि--सब गुणों में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ है। तह कुणसु, जह न संसारं निवडिमो--ऐसा करो,
प्राकृत सीखें : ३०
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